सिम सत्यापन से मजबूत होगी साइबर सुरक्षा

फोन में सिम नहीं होगी तो मैसेजिंग ऐप नहीं चलेगा!

सिम सत्यापन से मजबूत होगी साइबर सुरक्षा

मैसेजिंग ऐप्स पर फर्जी अकाउंट बहुत बन चुके हैं

केंद्र सरकार ने ऐप-आधारित संचार सेवाओं के संबंध में जो नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, वे वक्त की जरूरत हैं। इनके लागू होने पर वॉट्सऐप, सिग्नल, टेलीग्राम जैसे ऐप मोबाइल फोन में सिम चालू होने की स्थिति में ही काम कर पाएंगे, जिससे ऑनलाइन ठगी की घटनाओं पर कुछ रोक लगेगी। हालांकि इससे कई लोगों को असुविधाएं भी होंगी। वर्तमान में बहुत लोग एक ही नंबर से अपने मोबाइल फोन और लैपटॉप पर एकसाथ लॉग इन रखते हैं। जब फोन में सिम नहीं होगी तो ऐप नहीं चलेगा। इसी तरह जब वेब ऐप में लॉग इन करेंगे तो वह छह घंटे बाद ऑटो‑लॉग आउट हो जाएगा और यूजर को दोबारा लॉग इन करना होगा। नई व्यवस्था के साथ कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन फायदे भी बहुत हैं। इससे साइबर अपराधियों की राह मुश्किल जरूर होगी, जो फर्जीवाड़ा कर कई लोगों के नाम पर सिम खरीदते या ओटीपी लेते हैं और उनके जरिए धड़ल्ले से ठगी को अंजाम देते हैं। प्राय: साइबर ठग एक अकाउंट बनाकर उससे अनेक लोगों को शिकार बनाते हैं। जब पुलिस द्वारा कंपनी से शिकायत की जाती है, तब उस अकाउंट को प्रतिबंधित किया जाता है। इस अवधि में ठगी की कोशिशें जारी रहती हैं। नए दिशा-निर्देशों में इस बात का खास ध्यान रखा गया है। जब सक्रिय सिम के न होने से ऐप के जरिए संदेश भेजना संभव नहीं होगा तो साइबर ठग हतोत्साहित होंगे। बहुत कम लोगों को पता होगा कि पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई भी भारतीय नंबरों का इस्तेमाल कर वॉट्सऐप और टेलीग्राम जैसे ऐप चलाती है और भारत में अपने एजेंट तैयार करती है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान ऐसे कुछ लोग पकड़े गए थे, जिन्होंने अपने नाम पर सिम जारी करवाई थीं। उनका इस्तेमाल पाकिस्तानी दूतावास कर रहा था। ये सिम आईएसआई के एजेंटों तक पहुंचाई जाती हैं, जो भारतविरोधी गतिविधियां करते हैं।

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पूर्व में ऐसे भी मामले सामने आए थे, जिनमें पाया गया कि लोगों को बहला-फुसलाकर सिम लेने को मजबूर किया गया। फिर, ओटीपी मांगा गया, जो उन्होंने भेज दिया। उसके बाद उन्हें पता ही नहीं चला कि आईएसआई के एजेंट कहीं दूर बैठकर उन नंबरों से वॉट्सऐप, टेलीग्राम आदि चला रहे थे। यह हरकत राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे पैदा कर सकती है। मैसेजिंग ऐप्स का मकसद लोगों को जोड़ना होना चाहिए, लेकिन हाल के वर्षों में इन पर स्पैम और फेक न्यूज की बाढ़-सी आ गई है। इससे कई जगह शांति और सुरक्षा को लेकर गंभीर चुनौतियां पैदा हो चुकी हैं। ऐसी घटनाओं के पीछे कुछ स्वार्थी तत्त्व होते हैं, जिन्हें अव्यवस्था और अराजकता फैलाने में बड़ा आनंद आता है। वे इन ऐप्स पर कई अकाउंट बनाकर रखते हैं और जब कोई अफवाह फैलानी होती है, वे एक ही पोस्ट को हर जगह शेयर करने लगते हैं। इससे कुछ ही सेकंडों में झूठ का बोलबाला हो जाता है। उम्मीद है कि नए दिशा-निर्देशों से ऐसे अपराधियों को भी झटका लगेगा। नंबर, सिम और डिवाइस का संयोजन होने से संदेश का मूल स्रोत पता करने में आसानी होगी। अगर कोई व्यक्ति फर्जी नंबर और विदेशी डिवाइस का इस्तेमाल करते हुए संदेश भेजकर साइबर अपराध करना चाहेगा तो उसके लिए यह काम मुश्किल होगा। मैसेजिंग ऐप्स पर फर्जी अकाउंट बहुत बन चुके हैं। उन्हें कंपनियां बंद भी करती रहती हैं, लेकिन उनकी कार्रवाई की रफ्तार बहुत धीमी होती है। अब ये अकाउंट बड़ी संख्या में एकसाथ ही निष्क्रिय हो सकते हैं। इसके बाद साइबर अपराधी दूसरे तरीके ढूंढ़ेंगे। सरकार को चाहिए कि वह उन चुनौतियों का आकलन करते हुए दिशा-निर्देशों को इतना मजबूत बनाए कि साइबर अपराधियों की कहीं दाल ही न गले।

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