‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ आदिवासी लेखिका जसिन्ता केरकेट्टा को और ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ प्रो. प्रभाशंकर प्रेमी को

‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ आदिवासी लेखिका जसिन्ता केरकेट्टा को और ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ प्रो. प्रभाशंकर प्रेमी को

(बाएं) लेखिका जसिन्ता केरकेट्टा और (दाएं) प्रो. प्रभाशंकर प्रेमी

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। भारत की ‘सिलिकन सिटी’ बेंगलूरु के हिंदी रचनाकारों की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘शब्द’ ने वर्ष 2025 के लिए ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ तथा ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ के विजेताओं की सोमवार को घोषणा की। एक लाख रुपए का ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’  हिंदी की मूर्धन्य कवयित्री जसिन्ता केरकेट्टा को उनके कविता संग्रह ‘प्रेम में पेड़ होना’ के लिए प्रदान किया जाएगा। पच्चीस हजार रुपए का ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ शिक्षाविद प्रोफेसर प्रभाशंकर प्रेमी को कर्नाटक में उच्च एवं प्रौढ़ शिक्षा में हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय अवदान के लिए दिया जाएगा। यह घोषणा करते हुए ‘शब्द’ के अध्यक्ष डॉ श्रीनारायण समीर ने आज यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि दोनों पुरस्कार विजेताओं को आगामी 28 दिसंबर, 2025 को बेंगलूरु में आयोजित एक सारस्वत समारोह में पुरस्कार राशि के साथ पारंपरिक मैसूर पेटा, स्मृति चिह्न, श्रीफल और अंगवस्त्रम् भेंट कर सम्मानित किया जाएगा।  

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विज्ञप्ति के अनुसार इन पुरस्कारों का निर्णय हिंदी भाषा और साहित्य के सर्जक विद्वानों की पाँच सदस्यीय मूल्यांकन समिति की संस्तुति के आधार पर निर्णायक मंडल ने सर्वसम्मति से किया। निर्णय में पुरस्कार विजेताओं की कृतियों के पारदर्शी मूल्यांकन के साथ-साथ उनके अब तक के सर्जनात्मक अवदान को भी आधार बनाया गया। निर्णायक मंडल ने ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ के लिए अपनी संस्तुति में कहा है कि “आदिवासी समाज के जीवन और संघर्ष को कविता में मुखरित कर सभ्य समाज का ध्यानाकर्षण करने में कवयित्री जसिन्ता केरकेट्टा ने उल्लेखनीय कार्य किया है। उनकी कविता प्रेम के वैभव की अभिव्यक्ति है। इस कविता में आदिवासी समाज की यातना एवं मनुष्य के अनियंत्रित दोहन से बंजर होती धरती की आकुल पुकार है तथा वैयक्तिक प्रेम की विरलता असाधारण है।” ऐसे ही ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ की संस्तुति में निर्णायक मंडल ने कहा है कि  “बेंगलूरु एवं कर्नाटक में हिंदी तथा कन्नड़ के बीच समन्वय एवं सौहार्द का विकास एवं प्रसार को निर्बाध बनाने तथा उत्तर-दक्षिण के बीच आपसदारी के भाव को मजबूत करने में प्रो प्रभाशंकर प्रेमी के अमूल्य अवदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने ‘बसव मार्ग’ पत्रिका के सम्पादन के माध्यम से नागरिक जीवन में सदाचार एवं आडंबरमुक्त जीवन शैली को बढ़ावा देने में समर्पित भाव से प्रशंसनीय कार्य किया है।” 

‘शब्द’ के अध्यक्ष डॉ समीर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ बेंगलूरु के प्रसिद्ध समाजसेवी और अज्ञेय साहित्य के मर्मज्ञ बाबूलाल गुप्ता के फाउंडेशन के सौजन्य से दिया जाता है। इसी तरह ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’  बेंगलूरु और चेन्नई से प्रकाशित प्रमुख हिंदी दैनिक समाचार पत्र समूह ‘दक्षिण भारत राष्ट्रमत’ के सौजन्य से प्रदान किया  जाता है । विज्ञप्ति के अनुसार उक्त पुरस्कारों के लिए कुल 35  प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं । इन पर समग्रता में विचार करते हुए बाबूलाल गुप्ता, श्रीकांत पाराशर, नलिनी पोपट, डॉ. उषारानी राव तथा डॉ. श्रीनारायण समीर के निर्णायक मंडल ने सर्व सम्मति से पुरस्कार विजेताओं के नामों का चयन किया।

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