इसरो के पूर्व प्रमुख के डॉ. कस्तूरीरंगन का निधन हुआ
वे पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित थे

Photo: isro website
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। इसरो के पूर्व प्रमुख डॉ. के कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलूरु में निधन हो गया। वे 84 साल के थे। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने आज सुबह बेंगलूरु स्थित अपने आवास में आखिरी सांस ली। उनका पार्थिव शरीर 27 अप्रैल को अंतिम दर्शन के लिए रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) में रखा जाएगा।
इसरो द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, डॉ. कस्तूरीरंगन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग में भारत सरकार के सचिव के रूप में 9 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को शानदार ढंग से आगे बढ़ाया था।इससे पहले, वे इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक थे, जहां उन्होंने नई पीढ़ी के अंतरिक्ष यान, भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इनसैट-2) और भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों (आईआरएस-1ए और 1बी) के साथ-साथ वैज्ञानिक उपग्रहों के विकास से संबंधित गतिविधियों की देखरेख की थी।
वे भारत के पहले दो प्रायोगिक पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों, भास्कर-1 और 2 के परियोजना निदेशक भी थे। इसके बाद पहले परिचालन भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह, आईआरएस-1A के समग्र निर्देशन के लिए जिम्मेदार थे।
डॉ. कस्तूरीरंगन का जन्म 24 अक्टूबर, 1940 को केरल के एर्नाकुलम में सीएम कृष्णास्वामी अय्यर और विशालाक्षी के घर में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा श्रीराम वर्मा हाई स्कूल से पूरी की थी। डॉ. कस्तूरीरंगन ने मुंबई के रामनारायण रुइया कॉलेज से विज्ञान में ऑनर्स के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। इसके बाद मुंबई विश्वविद्यालय से भौतिकी में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री ली थी।
उन्होंने साल 1971 में अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में काम करते हुए प्रायोगिक उच्च ऊर्जा खगोल विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। उन्होंने खगोल विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान और अनुप्रयोगों के क्षेत्र में 240 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित किए थे। वे साल 1994-2003 तक इसरो के अध्यक्ष रहे थे। उन्हें पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
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