क्या हम 'कड़ी निंदा' ही करते रहेंगे?

आतंकवादियों का खात्मा करने में तेजी लाई जाए

क्या हम 'कड़ी निंदा' ही करते रहेंगे?

देशवासी एकता और सौहार्द को मजबूत रखें

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर सारी हदें पार कर दी हैं। इस घटना से पूरे देश में गहरा आक्रोश है। हमारे नागरिकों का खून बहाने वाले आतंकवादियों को इसकी सख्त सज़ा मिलनी चाहिए। अब वक्त आ गया है कि ऐसे दरिंदों के साथ उनके आकाओं पर भी वार किया जाए। ये हमारे सब्र को बहुत आजमा चुके हैं। इतने बड़े देश को मुट्ठीभर आतंकवादी चुनौती दे रहे हैं! क्या हम 'कड़ी निंदा' ही करते रहेंगे? आतंकवादियों ने जिस तरह पर्यटकों की धार्मिक पहचान का पता लगाकर अचानक हमला किया, उससे लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। क्या ऐसा हमला स्थानीय मदद के बगैर संभव है? आतंकवादियों ने पहले पता लगाया होगा कि इस जगह काफी संख्या में पर्यटक मौजूद हैं, आस-पास सुरक्षा बलों के जवान नहीं हैं, लिहाजा हमला कर ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है। बेशक कश्मीर में आतंकवादियों का नेटवर्क मौजूद है, जिसमें शामिल लोग पकड़े जाते रहे हैं। उनमें कुछ सरकारी कर्मचारी थे। ऐसे लोग किसी खूंखार आतंकवादी से कम नहीं हैं। इनका पर्दाफाश किया जाए और ऐसी सज़ा दी जाए कि दूसरों के लिए नज़ीर बने। आतंकवादियों ने इस हमले की साजिश बहुत सोच-समझकर रची थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर थे। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत आए हैं। आतंकवादियों का मकसद रंग में भंग डालना तो था ही, कश्मीर में बढ़ते पर्यटन को नुकसान पहुंचाना भी था। कुछ दिनों बाद अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है। आतंकवादी अपनी उसी दहशत को दोबारा कायम करना चाहते हैं, जो हाल के वर्षों में बहुत कमजोर पड़ गई थी।

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पहलगाम हमले के बाद देशवासियों की जो भावना है, उससे भारत सरकार अनभिज्ञ नहीं है। हमले के गुनहगारों को सज़ा जरूर मिले, लेकिन हमें गहरे आक्रोश के बावजूद कुछ बातों को लेकर संयम बरतना चाहिए। अभी टीवी चैनलों और यूट्यूब चैनलों पर कई 'रक्षा विशेषज्ञ' मांग कर रहे हैं कि भारत को तुरंत सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक कर देनी चाहिए। उनकी यह मांग गलत नहीं है। आतंक के आकाओं के साथ यह जरूर होना चाहिए, लेकिन याद रखें, सर्जिकल स्ट्राइक या एयरस्ट्राइक कोई मोबाइल गेम नहीं है कि एक बटन दबाया और काम हो गया! ऐसी कार्रवाइयों में हमारे सैनिकों की जान दांव पर लगी होती है। लिहाज़ा कैसी कार्रवाई करनी चाहिए, कब करनी चाहिए, कहां करनी चाहिए - जैसी बातें भारतीय सेना पर छोड़ दें। हां, कार्रवाई जरूर होनी चाहिए, दुष्टों को दंड मिलना चाहिए। इसके समय, स्थान और तरीके के लिए कोई दबाव नहीं बनाना चाहिए। इस हमले के बाद यूट्यूब पर ऐसे वीडियो प्रसारित हो रहे हैं, जिनमें लोग बता रहे हैं कि अब भारत इस तरह जवाब दे सकता है! ये वीडियो पाकिस्तानी फौज और आईएसआई के अफसर भी देखते होंगे। जब मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा का हो तो दुश्मन की जानकारी में बढ़ोतरी करना कोई अक्लमंदी का काम नहीं है। यह भी याद रखें कि आतंकवादियों के खिलाफ की गईं एक-दो कार्रवाइयों से आतंकवाद खत्म नहीं होने वाला। इसके लिए देश को लंबी लड़ाई लड़नी होगी। एलओसी पर इतनी कड़ी नजर रखी जाए कि आतंकवादी इसे पार ही न कर पाएं। इसके लिए ड्रोन, कैमरों और अन्य अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाए। कश्मीर में सुरक्षा बलों का नेटवर्क मजबूत किया जाए और आतंकवादियों का खात्मा करने में तेजी लाई जाए। जो शख्स उन्हें भारत के खिलाफ मदद और संसाधन मुहैया कराए, उसका 'हृदय-परिवर्तन' करने, मुख्य धारा में लाने की कोशिशें करने के बजाय उसे जेल में डाला जाए। आतंकवाद के नाले का उद्गम स्थल रावलपिंडी स्थित जीएचक्यू (पाकिस्तानी फौज का मुख्यालय) है। इस नाले को बंद करने के लिए पाकिस्तानी फौज को गहरी चोट पहुंचाना जरूरी है। इसके बगैर आतंकवादी हमले बंद नहीं होंगे। भारत सरकार जो भी संभव हो, वह कार्रवाई करे। देशवासी एकता और सौहार्द को मजबूत रखें। हम यह लड़ाई एकजुट होकर ही जीत सकते हैं।

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