सेवा का मार्ग

सिविल सेवा परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों की असल परीक्षा अब शुरू होगी

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युवाओं को हमेशा अन्य विकल्पों को अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए

संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा के नतीजों के बाद उन युवाओं के घरों में खुशी की लहर है, जिन्हें इस परीक्षा में सफलता मिल गई। वहीं, जिन युवाओं का चयन नहीं हुआ, वे अपने प्रयासों में रही कमी का आकलन कर रहे होंगे। ऐसी स्थिति में मन में कुछ निराशा का होना स्वाभाविक है। इससे विचलित नहीं होना चाहिए। अब अगले कुछ दिनों तक अखबारों और सोशल मीडिया में सफल अभ्यर्थियों के साक्षात्कार पढ़ने-सुनने को मिलेंगे। वे ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और देशसेवा का संकल्प दोहराएंगे। वास्तव में सिविल सेवा परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों की असल परीक्षा अब शुरू होगी। उन्हें प्रशिक्षण के बाद जहां नियुक्त किया जाएगा, वहां अपने संकल्पों को साकार करने का अवसर मिलेगा। उन्हें दिखाना होगा कि वे किसी तरह के दबाव, प्रभाव, लालच और पक्षपात के बगैर सच्चे अर्थों में देशसेवा को समर्पित हैं। जो अधिकारी ईमानदारी और सत्य के मार्ग पर चलते हैं, उनके सामने कई बाधाएं आती हैं। उस दौरान उन्हें बहुत सूझबूझ के साथ इस तरह आगे बढ़ना होगा कि कर्तव्य से न डिगें और जनता की उम्मीदों पर खरे उतरें। प्राय: कई युवाओं में यह धारणा पाई जाती है कि अगर वे आईएएस या आईपीएस अधिकारी बन जाएंगे, तो 'सबकुछ'  सुधार देंगे। हालांकि हकीकत इससे कहीं अलग है। प्रशासनिक या पुलिस सेवा के अधिकारी के पास असीमित शक्तियां नहीं होती हैं। उन्हें कानूनी दायरे में रहकर काम करना होता है। अब सोशल मीडिया का ज़माना है। कैमरे के सामने की गई एक 'ग़लती' दुनियाभर में वायरल होते देर नहीं लगती। हाल के वर्षों में ऐसे भी मामले सामने आए, जब नए-नए आईएएस या आईपीएस अधिकारी बने शख्स ने किसी को धमकाया, अभद्र व्यवहार किया या अनैतिक तरीके से धन लेने की कोशिश की, तो उनकी हरकतें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं। ऐसी घटनाएं निश्चित रूप से आम आदमी के विश्वास को तोड़ती हैं। जो युवा भविष्य में पद संभालेंगे, उन पर बड़ी जिम्मेदारी होगी कि वे जनता के विश्वास को मजबूत करें।

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जो युवा किसी कारणवश इस साल सिविल सेवा परीक्षा में मनोनुकूल परिणाम नहीं प्राप्त कर सके, उन्हें दुगुने उत्साह के साथ भविष्य की तैयारी के लिए जुट जाना चाहिए। चूंकि इस परीक्षा में पद सीमित होते हैं और अवसर भी सीमित हैं, इसलिए युवाओं को हमेशा अन्य विकल्पों को अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर आप देशसेवा करने के लिए आईएएस या आईपीएस अधिकारी बनना चाहते हैं और परीक्षा में सफलता मिल गई तो अच्छी बात है, लेकिन देशसेवा का यही एकमात्र मार्ग नहीं है। आज ऐसे सैकड़ों विकल्प हैं, जिनमें से किसी एक को चुनकर आप देश के विकास और खुशहाली में योगदान दे सकते हैं। बेशक सिविल सेवा परीक्षा पास करने में बहुत मेहनत लगती है। इसके लिए रणनीति बनानी होती है, बहुत अध्ययन करना होता है। ऐसे अनेक क्षेत्र हैं, जिनमें इस स्तर के अध्ययन के साथ काम किया जाए तो नतीजे बेमिसाल होंगे। हमारे देश में खेती और किसानों के मुद्दे हमेशा चर्चा में रहते हैं। युवाओं को इस क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखानी चाहिए। समाज में दशकों से एक गलत धारणा ने जड़ जमा रखी है कि 'खेती और बागवानी के लिए पढ़ाई की जरूरत नहीं होती ... जो युवा पढ़ाई में होशियार है, उसे सिर्फ दफ्तर में बैठे रहकर काम करना चाहिए!' इस वजह से खेती में वैज्ञानिक तौर-तरीकों का प्रसार नहीं हुआ। साल 2022 में एक फिल्म आई थी- 'मेरे देश की धरती'। उसमें दिखाया गया था कि देश के प्रतिभाशाली युवा खेती में दिलचस्पी लें तो बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपने ज्ञान को देश की धरती से जोड़ना होगा। जो युवा भारत मां की सेवा के लिए प्रतिबद्ध होंगे, वे किसी एक विकल्प तक सीमित नहीं रहेंगे। उन्हें सेवा का मार्ग अपने आस-पास ही मिल जाएगा।

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