'सुनहरे' सपने, 'स्याह' सच्चाई
कई लोग खाड़ी देशों में नौकरी करने जाते हैं

वहां मानवाधिकारों को लेकर सवाल उठते रहे हैं
अबू धाबी में शहजादी खान के मामले में जिसका डर था, वही हुआ। एक ऐसा देश, जो भाषा, संस्कृति, परंपराओं और कई तरह से हमसे बिल्कुल अलग है, वहां हत्या जैसे मामले में आरोपी बनाए जाने वाले शख्स पर क्या गुजरती है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर, ईरान जैसे देशों में कानून बहुत सख्त हैं। वहां हर साल कई लोगों को मृत्युदंड दिया जाता है। यूं तो इस दंड का प्रावधान कई देशों के कानून में है और बेहद खतरनाक अपराधियों, आतंकवादियों के लिए यह उचित ही है, लेकिन पूरा-पूरा इन्साफ तब माना जाएगा, जब आरोपी को अदालत में अपना बचाव करने के लिए पर्याप्त मौका तो मिले। शहजादी खान के मामले में मुख्यत: दो बातें सामने आई हैं- पहली, बच्चे की मौत टीका लगाए जाने से हुई थी; दूसरी, बच्चे की मौत में शहजादी की कोई भूमिका थी। सवाल यह भी है कि सामान्य आर्थिक पृष्ठभूमि वाली कोई महिला अबू धाबी जाकर ऐसा काम क्यों करेगी? संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब जैसे देशों में कामकाज के लिए जाने वाले व्यक्ति को भलीभांति पता होता है कि वहां मामूली अपराध के लिए भी सख्त सजाएं हैं। ऐसे में कोई शख्स अबू धाबी जाकर इतना भयानक अपराध करेगा! क्या उसे अपनी जान प्यारी नहीं थी? इन देशों में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका आदि से बहुत लोग नौकरी करने जाते हैं। प्राय: यह समझा जाता है कि जो उधर गया है, वह तो खूब नोट कमा रहा है, उसकी तो मौज ही मौज है! हालांकि हकीकत इससे ठीक उलट है। तेल और गैस जैसे प्राकृतिक संसाधनों की खोज के बाद दौलतमंद बने इन देशों में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
वहां किसी गंभीर आरोप में पुलिस पकड़ ले तो व्यक्ति खुद को असहाय पाता है। अगर विवाद प्रवासी और स्थानीय निवासी के बीच हो तो अदालतों का झुकाव 'अपने लोगों' की ओर ही होता है। वहां नौकरी कर चुके कई लोग बताते हैं कि उन्हें मोटी कमाई के नाम पर ऐसी जगह भेजा गया, जहां मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलती थीं। एक कमरे में आधा से एक दर्जन लोगों के साथ रहते, सुबह चुपचाप काम पर जाते, रात को आते, खाना खाकर सो जाते। अगर नियोक्ता के किसी आदेश से असंतुष्ट हैं तो उस पर सवाल उठाना भूल ही जाइए। वहां नियोक्ताओं को इस बात का भरपूर अनुभव हो चुका है कि किसी 'मजदूर' को कैसे दबाकर रखा जाए! कुछ कंपनियां तो नियुक्ति के पहले ही दिन पासपोर्ट और मूल दस्तावेज अपने पास रख लेती हैं। ऐसी भी शिकायतें हैं कि किसी के एक या दो महीनों का वेतन कंपनी यह कहते हुए रख लेती है कि निर्धारित अवधि के बाद दे दिया जाएगा। वह मिलेगा या नहीं, यह 'बॉस' की कृपा पर निर्भर करता है। अब सोशल मीडिया के जमाने में ऐसी बातों का खुलासा थोड़ा जल्दी हो जाता है। कुछ साल पहले बिहार के एक शख्स का वीडियो सामने आया था, जिसमें उसने आपबीती बताई थी कि एजेंट ने कहा कि सऊदी में नौकरी का बढ़िया मौका है, कोई तकलीफ नहीं होगी। जब वह सऊदी आया तो पता चला कि ऊंट चराने होंगे। उसने तो सपने में कभी रेगिस्तान नहीं देखा था! इसी तरह एक शख्स ने संयुक्त अरब अमीरात में अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि एक दिन उसकी गाड़ी की रफ्तार सामान्य से कुछ ज्यादा थी। इसका उस पर बहुत भारी जुर्माना लगा, इतना भारी कि एक महीने का वेतन भी कम पड़ गया! ये देश प्रवासियों को नागरिकता देने के मामले में बहुत सख्त हैं। लोगों की पूरी जिंदगी वहां गुजर जाती है, लेकिन उन्हें नागरिकता नहीं दी जाती। स्थानीय नागरिक से शादी करने के मामले में कई तरह की पाबंदियां हैं। अगर दुर्भाग्य से किसी कानूनी मामले में फंस गए तो आवाज उठाने वाला कोई नहीं होता। इसलिए ऐसी जगह जाएं तो 'सुनहरे सपनों' के भरोसे न जाएं।About The Author
Related Posts
Latest News
