शिल्प व वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति होगा बेंगलूरु का सालासर बालाजी मंदिर
मंदिर के गर्भगृह की पूजा 14 अप्रैल को ब्रह्मर्षि गुरुदेव द्वारा होगी

सनातन धर्म में मंदिर निर्माण में शिलापूजन के लाभ काे उत्कृष्ट माना गया है
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के सालासर बालाजी सेवा समिति के तत्वावधान में बीटीएम लेआउट के रांका कालाेनी में कुल 25 हजार वर्गफीट के भूखंड पर सालासर बालाजी मंदिर का निर्माण कार्य जाेराें पर चल रहा है।
अयाेध्या के रामलला के मंदिर निर्माण में शामिल वास्तुकार व शिल्पकार चेतन साेमपुरा के निर्देशन में मंदिर का निर्माण 12,250 वर्ग फीट में बहुत ही व्यवस्थित ढंग से किया जा रहा है। मंदिर का शिखर लगभग 72 फीट ऊंचा हाेगा।सेवा समिति के अध्यक्ष प्रमाेद मुरारका ने बताया कि मंदिर के द्वार अर्थात मुख्य मार्ग पर शृंगार चाैकी बनाई जा रही है जिसमें संगमरमर की इनले पद्धति का फर्श बनाया जा रहा है। 7 हजार वर्गफीट में मंदिर का रंगमंडप बनाया जा रहा है जाे कि स्तंभ रहित हाेगा ताकि बालाजी की प्रतिमा के दर्शन आसानी व सुविधा से हाे सकें।
मंदिर के संतृप्ति स्थान में तीन गर्भगृह हाेंगे, जिसमें सबसे बड़ा मुख्य गर्भगृह हाेगा, जहां भगवान सालासर बालाजी विराजमान हाेंगे।
समिति के उपाध्यक्ष सतीश मित्तल ने बताया कि यह सालासर मंदिर आस्था के केन्द्र के साथ साथ हिंदू मंदिर वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति भी हाेगा। उन्हाेंने बताया कि इस मंदिर में भी बंसी पहाड़पुर क्षेत्र का लाल पत्थर लगाया जा रहा है, जिस पर बहुत ही बारीकी से शिल्पकारी की
जा रही है।
अयाेध्या राम मंदिर में भी बंसी पहाड़पुर के ही पत्थर का उपयाेग किया गया है क्याेंकि यह कंक्रीट के निर्माण के मुकाबले अधिक टिकाऊ है। उन्हाेंने बताया कि मंदिर निर्माण काे लेकर बेंगलूरु ही नहीं पूरे दक्षिण भारत में सालासर मंदिर के लिए विशेष उत्साह है।
समिति के सचिव मनित साेमानी ने बताया कि सनातन धर्म में मंदिर निर्माण में शिलापूजन के लाभ काे उत्कृष्ट माना गया है। उसी उद्देश्य से शिला सहयाेग के लिए मंदिर ने एक याेजना बनाई है जिसमें प्रत्येक शिला के लिए 11 हजार रुपए की सहयाेग राशि तय की गई है।
उन्हाेंने बताया कि निर्माणाधीन मंदिर की गर्भगृह की पूजा का आयाेजन 14 अप्रैल काे किया है। 12 अप्रैल काे हनुमान जयंती व 13 अप्रैल काे धार्मिक अनुष्ठान हाेंगे, जिसकी तैयारियां जाेराें पर चल रही है। गर्भगृह की पूजा तिरुपति सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव के कर कमलाें से सम्पन्न हाेगी।