नेहरू के समय में जो गलतियां हुईं, उनका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा: शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का लोकसभा में संबोधन

नेहरू के समय में जो गलतियां हुईं, उनका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा: शाह

शाह ने कहा कि जब ये (कश्मीरी) विस्थापित हुए, तो अपने ही देश में उन्हें शरणार्थी बनना पड़ा

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं जो विधेयक (जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2023) लेकर आया हूं, वह बिल 70 वर्षों से जिन पर अन्याय हुआ, जो अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी की गई, उनको न्याय दिलाने का​ बिल है।

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शाह ने कहा कि नाम के साथ सम्मान जुड़ा है, इसे वही लोग देख पाते हैं, जो अपने से पीछे रह गए लोगों की अंगुली पकड़ कर संवेदना के साथ उन्हें आगे बढ़ाना चाहते हैं। वे लोग इसे नहीं समझ सकते, जो इसका उपयोग वोटबैंक के लिए करते हैं। नरेंद्र मोदी ऐसे नेता हैं, जो गरीब घर में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वे पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं।

शाह ने कहा कि जब ये (कश्मीरी) विस्थापित हुए, तो अपने ही देश में उन्हें शरणार्थी बनना पड़ा। आज के आंकड़ों के मुताबिक, 46,631 परिवार और 1,57,967 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए और इस प्रकार से विस्थापित हुए कि उनकी जड़ें अपने देश और प्रदेश से उखड़ गईं। यह बिल उनको अधिकार देने का है, उनको प्रतिनिधित्व देने का है।

शाह ने कहा कि जो कहते हैं क्या हुआ धारा 370 हटने से, पांच-छह अगस्त, 2019 को इनकी (कश्मीरी) वर्षों से न सुनी जाने वाली आवाज को मोदी ने सुना और आज उनको उनका अधिकार मिल रहा है।

शाह ने कहा कि कुछ लोग पूछ रहे थे कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से क्या होगा? कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से कश्मीर की विधानसभा में उनकी आवाज गूंजेगी और अगर फिर विस्थापन की स्थिति आएगी तो वो उसे रोकेंगे। 

शाह ने कहा कि जो लोग कहते थे कि जम्मू-कश्मीर में क्या हुआ, आप तो मूल से ही कटे हैं, मूल के साथ संपर्क ही नहीं हैं, तो कैसे मालूम ​होगा कि जम्मू-कश्मीर में बदलाव क्या हुआ? इंग्लैंड में छुट्टी मनाकर जम्मू-कश्मीर में बदलाव नहीं मालूम पड़ेगा।

शाह ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग को 70 वर्षों से संवैधानिक मान्यता नहीं दी, नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता दी। काका कालेलकर की रिपोर्ट को रोक कर रखा। मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं किया और जब लागू करने की बात हुई तो राजीव गांधी ने इसका विरोध किया।

शाह ने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने की बात कभी नहीं की गई। नरेंद्र मोदी की सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया।

शाह ने कहा कि नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उनका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा। पहली और सबसे बड़ी गलती- जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही सीजफायर कर दिया गया और पीओके का जन्म हुआ। अगर सीजफायर तीन दिन बाद होता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता। दूसरी- यूएन में भारत के आंतरिक मसले को ले जाने की गलती की।

शाह ने कहा कि पिछड़ा वर्ग की जब जब बात आएगी, कांग्रेस कभी सहयोग नहीं करेगी वह छोड़कर चली जाएगी। मुझे विश्वास था कि पिछड़ा वर्ग को सम्मान देने की बात पर कांग्रेस वोट दे ही नहीं सकती। वोट देने की न उन्हें परमिशन है और न ही उनकी इच्छा है, इसलिए वो चले गए।

शाह ने कहा कि पूरे देश में सिर्फ गरीब लोगों का पांच लाख तक के इलाज का खर्च सरकार उठाती है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में सभी व्यक्तियों का पांच लाख तक के इलाज का खर्च सरकार उठाती है।

शाह ने कहा कि पहले जम्मू में 37 सीटें थीं, अब 43 हैं। कश्मीर में पहले 46 थीं, अब 47 हैं और पीओके में 24 सीटें हमने रिजर्व रखी हैं, क्योंकि पीओके हमारा है। 

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