चंद्रयान-3 से लेकर 'वोकल फॉर लोकल' तक .. 'मन की बात' में यह बोले मोदी

मोदी ने देशवासियों के साथ कई बातें साझा कीं

चंद्रयान-3 से लेकर 'वोकल फॉर लोकल' तक .. 'मन की बात' में यह बोले मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद जी-20 के शानदार आयोजन ने हर भारतीय की खुशी को दोगुना कर दिया

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में देशवासियों के साथ कई बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि जब चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा पर उतरने वाला था, तब करोड़ों लोग अलग-अलग माध्यमों के जरिए एक साथ इस घटना के पल-पल के साक्षी बन रहे थे। इसरो के यूट्यूब लाइव चैनल पर 80 लाख से ज्यादा लोगों ने इस घटना को देखा, जो अपने आप में ही एक रिकॉर्ड है। इससे पता चलता है कि चंद्रयान-3 से करोड़ों भारतीयों का कितना गहरा लगाव है। चंद्रयान की इस सफलता पर देश में इन दिनों एक बहुत ही शानदार क्विज प्रतियोगिता भी चल रहा है। उसे नाम दिया गया है –‘चंद्रयान-3 महाक्विज। मायजीओवी पोर्टल पर हो रही इस प्रतियोगिता में अब तक 15 लाख से ज्यादा लोग हिस्सा ले चुके हैं। मायजीओवी की शुरुआत के बाद यह किसी भी क्विज में सबसे बड़ी भागीदारी है। मैं तो आपसे भी कहूंगा कि अगर आपने अब तक इसमें हिस्सा नहीं लिया है तो अब देर मत करिए, अभी इसमें, छह दिन और बचे हैं। इस क्विज में जरूर हिस्सा लीजिए।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद जी-20 के शानदार आयोजन ने हर भारतीय की खुशी को दोगुना कर दिया। भारत मंडपम तो अपने आप में एक सेलेब्रिटी की तरह हो गया है। लोग उसके साथ सेल्फी खिंचा रहे हैं और गर्व से पोस्ट भी कर रहे हैं। भारत ने इस सम्मेलन में अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में फुल मेंबर बनाकर अपने नेतृत्व का लोहा मनवाया है। आपको ध्यान होगा, जब भारत बहुत समृद्ध था, उस ज़माने में, हमारे देश में और दुनिया में सिल्क रूट की बहुत चर्चा होती थी। यह सिल्क रूट व्यापार-कारोबार का बहुत बड़ा माध्यम था। अब आधुनिक ज़माने में भारत ने एक और इकोनॉमिक कॉरिडोर जी-20 में सुझाया है। यह है इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर। यह कोरिडोर आने वाले सैकड़ों वर्षों तक विश्व व्यापार का आधार बनने जा रहा है और इतिहास इस बात को हमेशा याद रखेगा कि इस कोरिडोर का सूत्रपात भारत की धरती पर हुआ था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 के दौरान जिस तरह भारत की युवाशक्ति, इस आयोजन से जुड़ी, उसकी आज, विशेष चर्चा आवश्यक है। साल-भर तक देश के अनेक विश्वविद्यालयों में जी-20 से जुड़े कार्यक्रम हुए। अब इसी शृंखला में दिल्ली में एक और रोमांचक कार्यक्रम होने जा रहा है –‘जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम’। इस कार्यक्रम के माध्यम से देशभर के लाखों यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स एक-दूसरे से जुड़ेंगे। इसमें आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और मेडिकल कॉलेज जैसे कई प्रतिष्ठित संस्थान भी भाग लेंगे। मैं चाहूंगा कि अगर आप कॉलेज स्टूडेंट हैं, तो 26 सितम्बर को होने वाले इस कार्यक्रम को जरूर देखिएगा, इससे जरूर जुड़िएगा। भारत के भविष्य में युवाओं के भविष्य पर, इसमें बहुत सारी दिलचस्प बातें होने वाली हैं। मैं खुद भी इस कार्यक्रम में शामिल होऊंगा। मुझे भी अपने कॉलेज स्टूडेंट से संवाद का इंतजार है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज से दो दिन बाद, 27 सितम्बर को ‘विश्व पर्यटन दिवस’ है। पर्यटन को कुछ लोग सिर्फ सैर-सपाटे के तौर पर देखते हैं, लेकिन पर्यटन का एक बहुत बड़ा पहलू ‘रोजगार’ से जुड़ा है। कहते हैं, सबसे कम निवेश में सबसे ज्यादा रोजगार अगर कोई सेक्टर पैदा करता है, तो वो पर्यटन सेक्टर ही है। पर्यटल को बढ़ाने में, किसी भी देश के लिए गुडविल उसके प्रति आकर्षण बहुत मायने रखता है। बीते कुछ वर्षों में भारत के प्रति आकर्षण बहुत बढ़ा है और जी-20 के सफल आयोजन के बाद दुनिया के लोगों का इंटरेस्ट भारत में और बढ़ गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 में एक लाख से ज्यादा प्रतिनिधि भारत आए। वे यहां की विविधता, अलग-अलग परम्पराएं, भांति-भांति का खानपान और हमारी धरोहरों से परिचित हुए। यहाँ आने वाले प्रतिनिधि अपने साथ जो शानदार अनुभव लेकर गए हैं, उससे पर्यटन का और विस्तार होगा।आप लोगों को पता ही है कि भारत में एक से बढ़कर एक विश्व धरोहर स्थल भी हैं और इनकी संख्या लगातार बढती जा रही है। कुछ ही दिन पहले शान्तिनिकेतन और कर्नाटक के पवित्र होयसड़ा मंदिरों को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। मैं इस शानदार उपलब्धि के लिए समस्त देशवासियों को बधाई देता हूं। मुझे साल 2018 में शान्तिनिकेतन की यात्रा का सौभाग्य मिला था। इससे गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का जुड़ाव रहा है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शान्तिनिकेतन का आदर्श वाक्य संस्कृत के एक प्राचीन श्लोक से लिया था।व ह श्लोक है –

“यत्र विश्वम भवत्येक नीडम्”

अर्थात, जहां एक छोटे से घोंसले में पूरा संसार समाहित हो सकता है।

कर्नाटक के जिन होयसड़ा मंदिरों को यूनेस्टको ने विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है, उन्हें 13वीं शताब्दी के बेहतरीन वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इन मंदिरों को यूनेस्टको से मान्यता मिलना, मंदिर निर्माण की भारतीय परंपरा का भी सम्मान है। भारत में अब विश्व धरोहर संपत्तियों की कुल संख्या 42 हो गई है। भारत का प्रयास है कि हमारे ज्यादा-से-ज्यादा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जगहों को विश्व धरोहर स्थल की मान्यता मिले। मेरा आप सबसे आग्रह है कि जब भी आप कहीं घूमने जाने की योजना बनाएं तो यह प्रयास करें कि भारत की विविधता के दर्शन करें। आप अलग-अलग राज्यों की संस्कृति को समझें, धरोहर वाले स्थानों को देखें। इससे आप अपने देश के गौरवशाली इतिहास से तो परिचित होंगे ही, स्थानीय लोगों की आय बढ़ाने का भी आप अहम माध्यम बनेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति और भारतीय संगीत अब वैश्विक हो चुका है। दुनियाभर के लोगों का इनसे लगाव दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। एक प्यारी सी बिटिया द्वारा की गई एक प्रस्तुति उसका एक छोटा सा ऑडियो आपको सुनाता हूं। (इसके बाद ऑडियो चलाया जाता है)

इसे सुनकर आप भी हैरान हो गए न! कितनी मधुर आवाज है और हर शब्द में जो भाव झलकते हैं, ईश्वर के प्रति इनका लगाव हम अनुभव कर सकते हैं। अगर मैं ये बताऊं कि यह सुरीली आवाज जर्मनी की एक बेटी की है, तो शायद आप और अधिक हैरान होंगे। इस बिटिया का नाम – कैसमी है। इक्कीस साल की कैसमी इन दिनों इंस्टाग्राम पर खूब छाई हुई हैं। जर्मनी की रहने वाली कैसमी कभी भारत नहीं आई हैं, लेकिन वे भारतीय संगीत की दीवानी हैं, जिसने कभी भारत को देखा तक नहीं, उसकी भारतीय संगीत में ये रुचि, बहुत ही प्रेरणादायक है। कैसमी जन्म से ही देख नहीं पाती हैं, लेकिन यह मुश्किल चुनौती उन्हें असाधारण उपलब्धियों से रोक नहीं पाई। (प्रधानमंत्री ने कैसमी द्वारा कन्नड़ में गाया गया गीत भी शेयर किया)

भारतीय संस्कृति और संगीत को लेकर जर्मनी की कैसमी के इस जुनून की मैं हृदय से सराहना करता हूं। उनका यह प्रयास हर भारतीय को अभिभूत करने वाला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में शिक्षा को हमेशा एक सेवा के रूप में देखा जाता है। मुझे उत्तराखंड के कुछ ऐसे युवाओं के बारे में पता चला है, जो इसी भावना के साथ बच्चों की शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं। नैनीताल जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखी घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी इसके जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुँच रही हैं और इतना ही नहीं, यह सेवा बिल्कुल निशुल्क है। अब तक इसके माध्यम से नैनीताल के 12 गांवों को कवर किया गया है। बच्चों की शिक्षा से जुड़े इस नेक काम में मदद करने के लिए स्थानीय लोग भी खूब आगे आ रहे हैं। इस घोड़ा लाइब्रेरी के जरिए यह प्रयास किया जा रहा है कि दूरदराज के गांवों में रहने वाले बच्चों को स्कूल की किताबों के अलावा ‘कविताएँ’, ‘कहानियाँ’ और ‘नैतिक शिक्षा’ की किताबें भी पढ़ने का पूरा मौका मिले। यह अनोखी लाइब्रेरी बच्चों को भी खूब भा रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे हैदराबाद में लाइब्रेरी से जुड़े एक ऐसे ही अनूठे प्रयास के बारे में पता चला है। यहां, सातवीं क्लास में पढ़ने वाली बिटिया ‘आकर्षणा सतीश’ ने तो कमाल कर दिया है। आपको यह जानकार आश्चर्य हो सकता है कि महज 11 साल की उम्र में यह बच्चों के लिए एक-दो नहीं, बल्कि सात-सात लाइब्रेरी चला रही है। ‘आकर्षणा’ को दो साल पहले इसकी प्रेरणा तब मिली, जब वो अपने माता-पिता के साथ एक कैंसर अस्पताल गई थी। उसके पिता जरूरतमंदों की मदद के सिलसिले में वहाँ गए थे। बच्चों ने वहाँ उनसे ‘कलरिंग बुक्स’ की मांग की और यही बात इस प्यारी-सी गुड़िया को इतनी छू गई कि उसने अलग-अलग तरह की किताबें जुटाने की ठान ली। उसने, अपने आस-पड़ोस के घरों, रिश्तेदारों और साथियों से किताबें इकट्ठा करना शुरू कर दिया और आपको यह जानकार खुशी होगी कि पहली लाइब्रेरी उसी कैंसर अस्पताल में बच्चों के लिए खोली गई। जरूरतमंद बच्चों के लिए अलग-अलग जगहों पर इस बिटिया ने अब तक जो सात लाइब्रेरी खोली हैं, उनमें अब करीब 6 हजार किताबें उपलब्ध हैं। छोटी-सी ‘आकर्षणा’ जिस तरह बच्चों का भविष्य संवारने का बड़ा काम कर रही है, वो हर किसी को प्रेरित करने वाला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दौर डिजिटल प्रौद्योगिकी और ई-बुक्स का है, लेकिन फिर भी किताबें, हमारे जीवन में हमेशा एक अच्छे दोस्त की भूमिका निभाती है। इसलिए, हमें बच्चों को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

हमारे शास्त्रों में कहा गया है –

जीवेषु करुणा चापि, मैत्री तेषु विधीयताम्।

अर्थात्, जीवों पर करुणा कीजिए और उन्हें अपना मित्र बनाइए। हमारे तो ज्यादातर देवी-देवताओं की सवारी ही पशु-पक्षी हैं। बहुत से लोग मंदिर जाते हैं, भगवान के दर्शन करते हैं, लेकिन जो जीव-जंतु उनकी सवारी होते हैं, उस तरफ़ उतना ध्यान नहीं देते। ये जीव-जंतु हमारी आस्था के केंद्र में तो रहने ही चाहिए, हमें इनका हर संभव संरक्षण भी करना चाहिए। बीते कुछ वर्षों में, देश में शेर, बाघ, तेंदुआ और हाथियों की संख्या में उत्साहवर्धक बढ़ोतरी देखी गई है। कई और प्रयास भी निरंतर जारी हैं, ताकि इस धरती पर रह रहे दूसरे जीव-जंतुओं को बचाया जा सके। ऐसा ही एक अनोखा प्रयास राजस्थान के पुष्कर में भी किया जा रहा है। यहां सुखदेव भट्ट और उनकी टीम मिलकर वन्य जीवों को बचाने में जुटे हैं, और जानते हैं उनकी टीम का नाम क्या है? उनकी टीम का नाम है – कोबरा। यह ख़तरनाक नाम इसलिए है क्योंकि उनकी Team इस क्षेत्र में खतरनाक साँपों का Rescue करने का काम भी करती है। इस टीम में बड़ी संख्या में लोग जुड़े हैं, जो सिर्फ एक कॉल पर मौके पर पहुंचते हैं और अपने मिशन में जुट जाते हैं। सुखदेवजी की इस टीम ने अब तक 30 हजार से ज्यादा जहरीले सांपों का जीवन बचाया है। इस प्रयास से जहां लोगों का खतरा दूर हुआ है, वहीं प्रकृति का संरक्षण भी हो रहा है। यह टीम अन्य बीमार जानवरों की सेवा के काम से भी जुड़ी हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के दौरान उस दृश्य को भला कौन भूल सकता है, जब कई विश्व नेता बापू को श्रद्धासुमन अर्पित करने एक साथ राजघाट पहुंचे। यह इस बात का एक बड़ा प्रमाण है कि दुनियाभर में बापू के विचार आज भी कितने प्रासांगिक है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि गांधी जयंती को लेकर पूरे देश में स्वच्छता से संबंधित बहुत सारे कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है। केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों में ‘स्वच्छता ही सेवा अभियान’ काफी जोर-शोर से जारी है। भारतीय स्वच्छता लीग में भी काफी अच्छी भागीदारी देखी जा रही है। आज मैं ‘मन की बात’ के माध्यम से सभी देशवासियों से एक आग्रह भी करना चाहता हूं - 1 अक्टूबर यानी रविवार को सुबह 10 बजे स्वच्छता पर एक बड़ा आयोजन होने जा रहा है। आप भी अपना वक्त निकालकर स्वच्छता के जुड़े इस अभियान में अपना हाथ बटाएं। आप अपनी गली, आस-पड़ोस, पार्क, नदी, सरोवर या फिर किसी दूसरे सार्वजनिक स्थल पर इस स्वच्छता अभियान से जुड़ सकते हैं और जहाँ-जहाँ अमृत सरोवर बने हैं, वहां तो स्वच्छता अवश्य करनी है। स्वच्छता की ये कार्यांजलि ही गांधीजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मैं आपको फिर से याद दिलाना चाहूंगा कि इस गांधी जयंती के अवसर पर खादी का कोई न कोई उत्पाद ज़रूर ख़रीदें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में त्योहारों का सीजन भी शुरू हो चुका है। आप सभी के घर में भी कुछ नया खरीदने की योजना बन रही होगी। कोई इस इंतजार में होगा कि नवरात्र के समय वो अपना शुभ काम शुरू करेगा। उमंग, उत्साह के इस वातावरण में आप वोकल फॉर लोकल का मंत्र भी जरुर याद रखें। जहां तक संभव हो, आप भारत में बने सामानों की खरीदारी करें, भारतीय उत्पाद का उपयोग करें और मेड इन इंडिया सामान का ही उपहार दें। आपकी छोटी—सी ख़ुशी, किसी दूसरे के परिवार की बहुत बड़ी ख़ुशी का कारण बनेगी। आप, जो भारतीय सामान खरीदेंगे, उसका सीधा फ़ायदा, हमारे श्रमिकों, कामगारों, शिल्पकारों और अन्य विश्वकर्मा भाई-बहनों को मिलेगा। आजकल तो बहुत सारे स्टार्टअप्स भी स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दे रहे हैं। आप स्थानीय चीजें खरीदेंगे तो स्टार्टअप्स के इन युवाओं को भी फ़ायदा होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ में बस आज इतना ही। अगली बार जब आपसे ‘मन की बात’ में मिलूंगा तो नवरात्र और दशहरा बीत चुके होंगे। त्योहारों के इस मौसम में आप भी पूरे उत्साह से हर पर्व मनाएं, आपके परिवार में खुशियां रहें - मेरी यही कामना है। इन पर्वों की आपको बहुत सारी शुभकामनाएं। आपसे फिर मुलाकात होगी, और भी नए विषयों के साथ, देशवासियों की नई सफलताओ के साथ। आप, अपने संदेश मुझे ज़रूर भेजते रहिए, अपने अनुभव शेयर करना ना भूलें। मैं प्रतीक्षा करूंगा।

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