भारत: अन्नदाता और संस्कृतिदाता

प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' में देश की उपलब्धियां बताईं

भारत: अन्नदाता और संस्कृतिदाता

भारत ने 357 मिलियन टन खा‌द्यान्न का उत्पादन किया है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम की 128वीं कड़ी में जिन सकारात्मक घटनाओं का उल्लेख किया, वे देश के लिए बड़ी उपलब्धियां हैं। इनके बारे में जानकर देशवासियों को और बेहतर काम करने की प्रेरणा मिलेगी। भारत ने 357 मिलियन टन खा‌द्यान्न का उत्पादन कर ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया है। इसके लिए देश के किसान बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत से अन्न के भंडार भर दिए। एक दौर था, जब भारतवासियों के लिए पश्चिमी मीडिया कहता था कि ये अपनी धरती को माता कहते हैं, लेकिन अपना पेट भरने के लिए पर्याप्त अनाज नहीं उगा सकते। आज भारत के पास इतना अनाज है कि वह कई देशों का पेट भर सकता है। देश को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने देश में अनाज की कमी दूर करने के लिए दृढ़ संकल्प लिया था और धरती मां ने भी अपार स्नेह बरसाया। प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर और कर्नाटक के जिन इलाकों में मधुमक्खी पालन के बारे में बताया, उनसे देश के अन्य लोग बहुत कुछ सीख सकते हैं। इससे लाखों लोगों के लिए रोजगार के नए रास्ते खुल सकते हैं। देश में घी और शहद की बहुत मांग है, बशर्ते वे पूरी तरह शुद्ध हों। बड़े शहरों में लोग इनके लिए ज्यादा कीमत देने के लिए भी तैयार हैं, लेकिन वे शुद्धता की गारंटी चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में 'वन तुलसी' के फूलों से मधुमक्खियां अनूठे शहद का निर्माण करती हैं। क्या इस पौधे को देश के अन्य इलाकों में उगाया जा सकता है? क्या इसके बीज/पौधे दूसरे राज्यों में उपलब्ध कराए जा सकते हैं? विशेषज्ञों को इन प्रश्नों पर विचार करते हुए अन्य राज्यों के युवाओं को प्रशिक्षित करना चाहिए।

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हरियाणा के कुरुक्षेत्र में 'महाभारत अनुभव केंद्र' अद्भुत स्थान है। यहां लोगों को 3डी, लाइट एंड साउंड शो के जरिए महाभारत के दृश्यों को महसूस करने का अवसर मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने इस केंद्र का उल्लेख कर देशवासियों को भारत की आध्यात्मिक गौरव गाथा से जोड़ने का प्रयास किया है। हाल में सऊदी अरब में पहली बार किसी सार्वजनिक मंच पर गीता की प्रस्तुति दी गई। यह देश धार्मिक एवं सांस्कृतिक मामलों में बहुत परंपरागत दृष्टिकोण रखता है। वहां ऐसे आयोजनों के लिए अनुमति मिलना ही बहुत मुश्किल होता है। सऊदी अरब के लोग गीता के ज्ञान में आध्यात्मिक शांति ढूंढ़ रहे हैं। यही नहीं, वे योग, ध्यान, शाकाहार, आयुर्वेद में रुचि ले रहे हैं। सऊदी नागरिक खुलकर मीडिया में नहीं बता सकते, लेकिन कई लोगों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने जब से शाकाहार अपनाते हुए भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन जीना शुरू किया, वे बेहतर महसूस कर रहे हैं। लातविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया और अल्जीरिया में भी गीता का दिव्य ज्ञान लोगों का जीवन बदल रहा है। प्रधानमंत्री ने सत्य कहा कि 'काशी तमिल संगमम' विश्व की सबसे पुरानी भाषा और विश्व के सबसे प्राचीन शहरों में से एक शहर का संगम है। हर बार की तरह इस बार भी इसकी थीम ('लर्न तमिल' अर्थात् 'तमिल सीखें') बहुत रोचक है। इससे लोगों को तमिल भाषा और इसके महान साहित्य के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। बेशक 'काशी तमिल संगमम' उन सभी लोगों के लिए एक महत्त्वपूर्ण मंच बन गया है, जिन्हें तमिल भाषा से लगाव है। यह इस भाषा को लेकर देशवासियों में और लगाव पैदा करेगा। ऐसे आयोजन उन स्वार्थी तत्त्वों को भी जवाब हैं, जो भाषा के नाम पर लोगों में फूट डालते हैं। भारत की सभी भाषाएं सुंदर हैं। वे हमारी शक्तियां हैं।

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