एएसआई ने शुरू किया ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण, मुस्लिम पक्ष ने किया बहिष्कार
सर्वे का काम पांच-छह दिनों तक चलने की संभावना है
इस दौरान हिंदू याचिकाकर्ता अपने वकीलों के साथ मौके पर मौजूद हैं
वाराणसी/भाषा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण शुक्रवार सुबह शुरू कर दिया।
हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि एएसआई की 43 सदस्यीय एक टीम सुबह करीब सात बजे ज्ञानवापी परिसर में दाखिल हुई और काम शुरू किया। सर्वे का काम दोपहर 12 बजे तक होने की संभावना है।यादव ने बताया कि सर्वे का काम पांच-छह दिनों तक चलने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि इस दौरान हिंदू याचिकाकर्ता अपने वकीलों के साथ मौके पर मौजूद हैं। मुस्लिम पक्ष की तरफ से कोई भी उपस्थित नहीं है।
मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे से अलग रहने का फैसला किया है।
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मुस्लिम पक्ष के वकील इस सर्वे में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि मुसलमानों की तरफ से उच्चतम न्यायालय में इस सर्वे के निर्णय को पहले ही चुनौती दी जा चुकी है।
उन्होंने कहा, उच्च न्यायालय ने बिना तोड़-फोड़ किए एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे का आदेश दिया है। अंजुमन इंतज़ामिया मसाजिद कमेटी ने कल ही उच्चतम न्यायालय में इस आदेश के विरुद्ध अपील कर दी थी, जिसकी आज सुनवाई होनी है। इसकी सूचना हमने वाराणसी के उच्च अधिकारियो को दे दी थी।
यासीन ने कहा, हमारा अनुरोध था कि शीर्ष अदालत के आदेश तक सर्वे स्थगित रखा जाए। दिल्ली से हमारे अधिवक्ता ने भी इसी आशय का पत्र यहां के अधिकारी को भेजा था, लेकिन उसका जवाब नहीं मिलने पर कमेटी ने देर रात बैठक करके तय किया कि वह इस सर्वे से विरत रहेगी।
इससे पहले, वाराणसी की जिला अदालत के निर्णय के बाद एएसआई की टीम ने गत 24 जुलाई को भी ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का काम शुरू किया था, लेकिन कुछ ही घंटों बाद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने इस सर्वे पर तत्काल रोक लगा दी थी और मामले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष रखने को कहा था।
उच्च न्यायालय ने तीन अगस्त को फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी, ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था।
मुस्लिम पक्ष ने उच्च न्यायालय के निर्णय को बृहस्पतिवार को ही उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।