हिमाकत का नया ड्रामा
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गहरे दबाव में आ गई है

पाकिस्तान को उसकी हरकतों की सज़ा मिलकर रहेगी
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा दिया गया यह बयान कि भारत सिंधु नदी पर किसी भी संरचना का निर्माण करेगा तो उनका देश उसे नष्ट कर देगा, दोनों देशों के बीच तनाव को और ज्यादा बढ़ा सकता है। क्या आसिफ इस बयान का मतलब समझते हैं? अगर पाकिस्तान ऐसा दुस्साहस करेगा, तो क्या भारत की ओर से उस पर पुष्पवर्षा होगी? ख्वाजा आसिफ ऐसे किसी भ्रम में न रहें। पाकिस्तान ने ऐसा कोई भी कदम उठाया तो भारत जबर्दस्त पलटवार करेगा। ये पाकिस्तानी मंत्री अपनी याददाश्त पर जोर डालें। भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित क्यों किया है? पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है। उसने पहलगाम में तो सारी हदें पार कर दीं। ऐसे में भारत ने सिंधु जल संधि के संबंध में जो फैसला लिया, वह उचित ही है। अब दोनों देशों में सोशल मीडिया पर कई लोग यह कहते हुए इस पर सवाल उठा रहे हैं कि पाकिस्तानी किसानों का क्या होगा? इसका जवाब भारत सरकार से नहीं, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से लेना चाहिए। उन्होंने पहलगाम हमले से पहले पाकिस्तानी किसानों और आम जनता के बारे में क्यों नहीं सोचा? अगर उन्हें अपने लोगों की इतनी ज्यादा फिक्र थी तो उनकी भलाई की ओर ध्यान देते। ऐसी हरकत न करते कि सिंधु जल संधि को स्थगित करने की नौबत आती। ख्वाजा आसिफ ध्यान रखें कि यह तो शुरुआत है। भारत सरकार जो कदम उठा रही है, निकट भविष्य में उसका पाकिस्तान पर गहरा असर होगा। पाकिस्तान का शेयर बाजार डांवाडोल स्थिति में पहुंच गया है। भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी डाक सेवाएं स्थगित करते हुए अपने बंदरगाहों पर पाकिस्तानी झंडे वाले जहाजों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। पाकिस्तान से सभी वस्तुओं के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात पर भी तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध की घोषणा हो चुकी है।
इन कदमों से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गहरे दबाव में आ गई है। इस साल जब पाकिस्तान के खेतों में बुवाई शुरू होगी तो उसे सूखे का सामना करना पड़ सकता है। यही नहीं, जब फसल को पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होगी, तब सैलाब आ सकता है। अब भारत, पाकिस्तान को सिंधु जल प्रवाह संबंधी सूचना देने की जिम्मेदारी से मुक्त है। कब पानी आएगा, कब नहीं आएगा, कितना आएगा — इसकी जानकारी पाकिस्तान अपने स्तर पर किसानों को दे। जहां तक भारत द्वारा बनाई गई किसी संरचना पर पाकिस्तान के हमले का सवाल है, ख्वाजा आसिफ याद रखें कि भारत के तरकश में ढेरों घातक तीर हैं। क्या उसके बाद इस्लामाबाद, लाहौर, रावलपिंडी और कराची जैसे शहर सुरक्षित रहेंगे? पाकिस्तान ने 3 दिसंबर, 1971 को भारत के कई इलाकों पर हवाई हमले किए थे। उनके जवाब में भारत ने ऐसा प्रहार किया था कि पाकिस्तान का नक्शा ही बदल गया। अगर पाकिस्तान सिंधु जल प्रवाह के बहाने फिर एक बार वैसी ही हिमाकत करने के मंसूबे बना रहा है तो उसे साल 1971 से कहीं ज्यादा भयानक नतीजों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। एक तरफ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ कह रहे हैं कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद इस्लामाबाद की प्रतिक्रिया 'जिम्मेदाराना और नपी-तुली' थी, वहीं ख्वाजा आसिफ धमकियां दे रहे हैं! एक नेता शब्दों की जलेबियां बना रहे हैं, दूसरे नेता आग उगल रहे हैं। ये किसकी स्क्रिप्ट पढ़ रहे हैं? ऐसा लगता है कि ये अपनी नौकरी बचाने के लिए रावलपिंडी के आदेशों का पालन कर रहे हैं। इस बार भारत ने मजबूत इरादा कर लिया है। पाकिस्तान को उसकी हरकतों की सज़ा मिलकर रहेगी।