समाधान का हिस्सा

मशीनों का उपयोग दुनिया की भलाई और बेहतरी के लिए होना चाहिए

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आज इंटरनेट कई सुविधाओं के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग और अपराधों का बड़ा मंच भी बन चुका है

बेल्जियम में एक व्यक्ति द्वारा कई सप्ताह तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट से बातचीत करने के बाद आत्महत्या का मामला हैरान करने वाला है। क्या तकनीक पर अतिनिर्भरता से इन्सान उसका ग़ुलाम बनने जा रहा है? लैपटॉप और मोबाइल फोन में अत्यधिक व्यस्त रहने वाली नई पीढ़ी तकनीक के इस स्वरूप को अपनाकर भविष्य में किस ओर जाएगी, यह चिंतनीय है। 

मशीनों का उपयोग दुनिया की भलाई और बेहतरी के लिए किया जाए तो उसका स्वागत है, लेकिन उसके दूसरे पक्ष की सदैव जांच-पड़ताल करते रहना चाहिए, जिसकी चर्चा उसके ‘चमत्कारों’ के शोर में दब जाती है। बेल्जियमवासी उस शख्स की पत्नी लिबर की मानें तो उसने चैटबॉट को भविष्यद्रष्टा समझ लिया था और उससे जलवायु परिवर्तन के बारे में सवाल करने लगा था। चैटबॉट उसे बताता रहा कि जिस प्रकार धरती पर कोयले की खपत हो रही है, उससे एक दिन जहरीली गैसों का इतना प्रसार हो जाएगा कि धरती पर ज़िंदा रहना मुश्किल हो जाएगा। 

बस, उसकी इसी ‘भविष्यवाणी’ से वह शख्स अवसादग्रस्त हो गया और अपनी ज़िंदगी खत्म कर ली। यह बहुत दुःखद है। इस घटना को गंभीरता से लेने की जरूरत है, क्योंकि इन दिनों दुनियाभर में ऐसी तकनीक का प्रचार-प्रसार होता जा रहा है। अभी इसके फायदों पर बात हो रही है, लेकिन देर-सबेर नुकसान भी सामने आएंगे। क़रीब दो दशक पहले, जब छोटे शहरों में इंटरनेट पहुंच रहा था, तब इसके फायदों का ही जिक्र होता था। कस्बों, गांवों और दूर-दराज के विद्यार्थियों को सबसे बड़ा फायदा यह था कि उन्हें परीक्षा परिणाम जानने के लिए एक दिन का इंतजार नहीं करना पड़ता था। इसके अलावा वे रोजगार के बारे में ऑनलाइन जानकारी ले सकते थे, बड़े शहरों/विदेशों में रहने वाले मित्रों/ रिश्तेदारों को ई-मेल भेज सकते थे। 

आज इंटरनेट कई सुविधाओं के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग और अपराधों का बड़ा मंच भी बन चुका है। हालांकि इसमें दोष इंटरनेट का नहीं, उन लोगों का है, जो इसका इस्तेमाल अपराध के लिए करते हैं।

तकनीक एक कदम और आगे जाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकारों को भी तैयार रहना चाहिए। यह देखने में आया है कि लोग चैटबॉट जैसी सेवाओं से गंभीर-अगंभीर, हर तरह के सवाल पूछते रहते हैं। कई तो अकेलापन दूर करने के लिए इसे अपना जीवनसाथी होने का भ्रम पाल बैठे हैं। जापान में ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। 

चूंकि इन्सान को अपने भविष्य को लेकर हमेशा जिज्ञासा रहती है। क्या होगा अगर लोग इससे अपने परीक्षा परिणाम, प्रेम-प्रसंग, मनपसंद जीवनसाथी से संबंधित सवाल पूछने लगें और उन्हें वैसा ही जवाब मिले, जैसा कि बेल्जियम के उस शख्स को मिला था? अगर चैटबॉट यह भविष्यवाणी कर दे कि ‘आप परीक्षा में फेल होने वाले हैं, प्रेम में असफलता मिलेगी, मनपसंद जीवनसाथी नहीं मिलेगा, कारोबार में घाटा होगा ...’ तो संबंधित व्यक्ति का अवसादग्रस्त होना स्वाभाविक है। वह उसके कथन को सच मान लेगा। 

आज भी बहुत लोग मानते हैं कि इंटरनेट पर जो चलता है, वह सच होता है, जबकि ऐसा नहीं है। इंटरनेट पर झूठ भी खूब चलता है। कई बार फ़र्ज़ी ख़बरें इतनी वायरल हो जाती हैं कि उन्हें सच मानकर दंगे तक हो जाते हैं। अगर ऐसे में कुछ लोग चैटबॉट आदि के हर शब्द को संसार का अंतिम सत्य मानना शुरू कर दें तो आश्चर्य की बात नहीं है। 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस परिवार और रिश्तों में किस तरह दरार डाल सकती है, इसका खुलासा लिबर के इन शब्दों में है कि चैटबॉट उनके पति से पूछने लगा था कि वह किससे ज्यादा प्रेम करता है। वह उसे स्वर्ग के सपने दिखाने लगा था, जिससे उसके मन में आत्महत्या के विचार आने लगे थे। 

अगर लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सलाह पर इसी तरह आंखें मूंदकर भरोसा करने लगें तो परिवार टूट सकते हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि सरकारें इस ओर ध्यान दें। मशीनें समाधान का हिस्सा होनी चाहिएं, न कि खुद समस्या बन जाएं।

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