जब रॉ ने खोली मुशर्रफ के पाखंड की पोल

कारगिल युद्ध के मुख्य षड्यंत्रकर्ता परवेज मुशर्रफ मई 1999 में चीन गए हुए थे

जब रॉ ने खोली मुशर्रफ के पाखंड की पोल

कारगिल षड्यंत्र में पाकिस्तानी फौज का एक और वरिष्ठ अधिकारी अजीज खान भी शामिल था

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। किसी भी देश के लिए शक्तिशाली सशस्त्र बलों के साथ ही मजबूत खुफिया सेवा का होना बहुत जरूरी है। देश का सैनिक सरहद पर दुश्मन से लड़ता है, वहीं खुफिया सेवा से जुड़े लोग अहम जानकारियां निकालकर देश के दुश्मन को मात देते हैं।

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भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) ने देशसेवा करते हुए दुश्मन को कई बार शिकस्त दी है। साल 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान अपनी भूमिका से साफ इंकार करता रहा, लेकिन रॉ ने पाक के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ के फोन टेप कर पूरे मामले का भंडाफोड़ कर दिया था। इससे दुनिया को पता चल गया कि जिन घुसपैठियों को पाक 'मुजाहिदीन' बता रहा है, वे असल में उसी के फौजी हैं। इस फोन टेप से पाक की खूब किरकिरी हुई थी।

दरअसल कारगिल युद्ध के मुख्य षड्यंत्रकर्ता परवेज मुशर्रफ मई 1999 में चीन गए हुए थे। कारगिल षड्यंत्र में पाकिस्तानी फौज का एक और वरिष्ठ अधिकारी अजीज खान भी शामिल था। उसने मुशर्रफ को फोन किया, जिसकी बातचीत का ब्योरा कुछ इस प्रकार था:

अजीज: यह पाकिस्तान है। हमें कमरा नंबर 83315 में कनेक्ट कीजिए।
मुशर्रफ: हेलो अजीज!

अजीज: ग्राउंड सिचुएशन ओके। कोई बदलाव नहीं। उनके एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर को गिराया गया है। .. मियां साहब ने भारतीय समकक्ष से बात की है। उन्होंने कहा कि मामले को तूल आप लोग दे रहे हैं।
मुशर्रफ: ओके, क्या यह एमआई-17 हमारे इलाके में गिरा है?

अजीज: नहीं सर, यह उनके इलाके में गिरा है। हमने उसे गिराने का दावा नहीं किया है। हमने मुजाहिदीनों से उसे गिराने का दावा कराया है।  
मुशर्रफ: अच्छा किया।


अजीज: लेकिन यह देखने वाला नजारा था। हमारी अपनी आंखों के सामने उनका हेलीकॉप्टर गिरा।
मुशर्रफ: वेल डन। क्या इसके बाद उन्हें हमारी सीमा के पास उड़ान भरने में दिक्कत हो रही है?

अजीज: हां, अब उन पर बहुत दबाव है। उनकी उड़ानों में कमी आई है।
मुशर्रफ: बहुत अच्छे, फर्स्ट क्लास।

रॉ ने मुशर्रफ के ये फोन टेप तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े शीर्ष पदाधिकारियों को सुनाए। इसके बाद ये टेप हर देश के दूतावास के जरिए उनकी  सरकारों को मुहैया कराए गए। टेप में बड़बोले मुशर्रफ और अजीज खान की बातचीत से साफ पता चलता था कि उन्होंने कारगिल षड्यंत्र रचकर कितना बड़ा विश्वासघात किया है। फोन टेप से विश्वमंच पर भारत का पक्ष मजबूत हुआ।

आखिर में जब पाकिस्तान बुरी तरह हारने लगा तो नवाज शरीफ अमेरिकी राष्ट्रपति के पास गुहार लगाने पहुंचे। कारगिल में पाक की ऐसी शर्मनाक शिकस्त हुई कि वह अपने सैनिकों के शव लेने भी नहीं आया। 

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