लालू पर खतरे के बादल

लालू पर खतरे के बादल

रविवार को शुरु हुए रिपब्लिक टीवी की पहली ब़डी खबर में लालू प्रसाद यादव पर संगीन आरोप लगाए गए। रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी जमकर लालू पर बरसते ऩजर आए और साथ ही जेल में कैद बाहुबली मुहम्मद सहाबुद्दीन से उनकी बातचीत के टेप भी चैनल पर पूरे दिन चलाये गए। चैनल ने दावा किया कि लालू सहाबुद्दीन से न केवल बात करते बल्कि सहाबुद्दीन के कहे अनुसार काम करते भी ऩजर आए। पूरे दिन चैनल ने लालू प्रसाद यादव पर लगातार सवाल उठाए जिन्हें लालू प्रसाद या उनके परिवार के किसी सदस्य ने ख़ारिज भी नहीं किया। क्या यह लालू प्रसाद यादव की लाचारी का सुबूत है या फिर लालू ने इस खबर को पूरी तरह से ऩजर अंदा़ज करना ही बेहतर समझा? लालू की परेशानी वहीं ख़तम नहीं हुई बल्कि एक दिन बाद ही खबर आई कि चारा घोटाले के मसले में अब उन पर आपराधिक साजिश का मुकदमा भी चलाया जाएगा। चारा घोटाला लालू प्रसाद यादव के राजनैतिक सफर का वह काला धब्बा है जिसकी वजह से उन्हें शर्मिंदगी का सामना करना प़डा। लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में पहले ही दोषी करार दिया जा चुका है और अब उनके सामने आई यह नई मुसीबत से कहीं लालू के सामने खतरे के बादल न मंडराने लगे। पिछले कुछ अरसे से लगातार विवादों के घेरे में ऩजर आ रहे लालू पहले आय से अधिक और अनुचित ढंग से संपत्ति बनाने के मामले में विवादों के घेरे में थे और उसके बाद अर्नब गोस्वामी के नए चैनल रिपब्लिक टीवी पर पूरे दिन छाए रहे और अब उच्चतम न्यायलय ने उनकी नींद उ़डा दी है। अब लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आपराधिक साजिश की धारा के साथ अन्य धाराएं हटाने के उच्च न्यायलय के फैसले को पलट दिया। सच तो यह है की उच्चतम न्यायालय ने लालू के खिलाफ आपराधिक साजिश और अन्य मामलों की कार्यवाही ९ महीनों के अंदर समाप्त करने का भी आदेश दिया। चारा घोटाला देश की न्यायिक प्रणाली के सुस्त रवैये को दर्शाता है। इस मामले में सीबीआई ने लालू के खिलाफ वर्ष १९९७ में ही आरोप तय कर लिए थे लेकिन बीस साल बाद भी यह मुकदमा अधर में ही अटका प़डा हुआ है। जिस तरह के खतरे के बादल अब लालू पर मंडरा रहे हैं, ऐसा लग रहा है कि निकट भविष्य में जनता दल (यू) और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के बीच के गठबंधन पर इसका असर ऩजर आ सकता है। यह संभव है कि नितीश कुमार लालू को भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाकर राजद से अपनी पार्टी के गठबन्धन को तो़ड सकते हैं। पिछले कुछ दिनों से नीतिश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के प्रति झुकाव दिखाया है। साथ ही उच्चतम न्यायालय के इस आदेश के बाद और पत्रकार अर्नब द्वारा लगाए गए ता़जा आरोपों के बाद नीतीश कुमार को भी अपना पल़डा भारी ऩजर आने लगा होगा और लालू प्रसाद भी समझते हैं कि निकट भविष्य में उन्हें कई राजनैतिक समझौते करने प़ड सकते हैं। लालू के पुत्र अभी मंझे हुए राजनेता नहीं बने हैं और संभव है कि लालू की किसी भी गलती का असर उनके बेटों के राजनैतिक सफर पर प़ड सकता है। मौजूदा राजनैतिक संकट से बाहर निकलने के लिए लालू को कई पाप़ड बेलने प़डेंगे।

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