पारंपरिक कला को आगे बढ़ाकर कारीगरों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही मोदी सरकार: राजीव चंद्रशेखर

पारंपरिक कला को आगे बढ़ाकर कारीगरों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही मोदी सरकार: राजीव चंद्रशेखर

कालीन के निर्यात को 600 करोड़ से 6,000 करोड़ तक पहुंचाने पर पूरी तरह दिया जा रहा ध्यान


श्रीनगर/दक्षिण भारत। केंद्रीय कौशल विकास औऱ उद्यमिता तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोमवार को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 3.0 के तहत कश्मीर के नमदा शिल्प का पुनरुद्धार करने के लिए विशेष पायलट परियोजना और पूर्व कौशल को मान्यता देने (आरपीएल) के कार्यक्रम, जो पीएमकेवीवाई का महत्वपूर्ण घटक है, के तहत स्थानीय बुनकरों और कारीगरों को कौशल में दक्ष बनाने के लिए परियोजना की शुरुआत की घोषणा की। 

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इनका उद्देश्य कश्मीर की पारंपरिक नमदा शिल्प का संरक्षण और आरपीएल असेसमेंट एवं सर्टिफिकेशन से स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों की उत्पादकता में सुधार के लिए उन्हें अपने कौशल में दक्ष बनाना है। नमदा प्रोजेक्ट से कश्मीर के 6 जिलों (श्रीनगर, बारामूला, गांदरबल, बांदीपोरा, बडगाम और अनंतनाग) में 30 नमदा समूहों के 2250 लोगों को फायदा होगा। आरपीएल की पहल का लक्ष्य जम्मू-कश्मीर के 10,900 कारीगरों और बुनकरों के कौशल को और निखारना और संवारना है।

बता दें कि नमदा शिल्प सामान्य बुनाई प्रक्रिया की जगह फेल्टिंग तकनीक से भेड़ के ऊन से बना गलीचा होता है। कच्चे माल की कम उपलब्धता, कुशल और प्रशिक्षित कारीगरों तथा मार्केटिंग तकनीक की कमी से इस शिल्प का निर्यात 1998 से 2008 तक करीब 100 प्रतिशत विलुप्त हो गया। इसलिए पीएमकेवीवाई की विशेष परियोजना के तहत कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने इस विलुप्त प्राय कला के संरक्षण के लिए शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग कोर्स को डिजाइन किया है। इस परियोजना को 25 बैचों में ट्रेनिंग के 3 तीन चक्र से अमल में लाया जाएगा। हर ट्रेनिंग प्रोग्राम करीब साढ़े 3 महीने का होगा। इसके नतीजे के तौर पर यह सभी चक्र करीब 14-16 महीनों में समाप्त हो जाएंगे।   

नमदा परियोजना एक उद्योग-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा जिसमें नमदा शिल्प उत्पादन से जुड़े लाभार्थी शामिल होंगे, जो कश्मीर में नमदा शिल्प से जुड़ी समृद्ध विरासत को संरक्षित और पुनर्जीवित करने में अपना योगदान देंगे। इससे कश्मीर में नमदा शिल्प समूह से जुड़े मौजूदा कारीगरों की पहुंच बढ़ेगी। इसी के साथ रोजगार मिलने की संभावनाओं में भी सुधार आएगा।

मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस पहल का शुभारंभ करते हुए कहा, भारत की विरासत काफी समृद्ध है। यहां पारंपरिक कला के कई रूप देखने को मिलते हैं। मोदी सरकार को पारंपरिक और विरासत संबंधी कौशल को फिर से जीवित करने, उसे बढ़ावा देने और कारीगरों और शिल्पकारों को पूरा समर्थन देकर उनकी आर्थिक स्थिति को स्थिर बनाने में पूर्ण विश्वास है। यही नहीं, हमें उनकी कला को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए, जिससे दुनिया हमारी जीवंत संस्कृति से परिचित हो सके। 

मंत्री ने कहा, जब मैंने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया तो राज्य के लोगों ने अनुकूल कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सहयोग मांगा। इसीलिए कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने स्थानीय नौजवानों की आकांक्षाओं को पूरा करने और उन्हें विकास के पथ पर बढ़ावा के लिए इस परियोजना को आकार दिया। मुझे पूरा विश्वास है कि स्थानीय इंडस्ट्रीज के साथ आने से हम कालीन निर्यात को 600 करोड़ से बढ़ाकर 6,000 करोड़ तक ले जाने में सक्षम होंगे। इससे 8 लाख लोगों के लिए रोजगार का सृजन होगा।

उन्होंने कहा, यह कार्यक्रम स्थानीय युवकों का कौशल विकास, उन्हें अपने हुनर में और दक्ष बनाने और अपनी स्किल्स का दोबारा विकास कर उनके करियर को ऊंचाइयों तक पहुंचाने की सीढ़ी प्रदान करेगा। यह कार्यक्रम युवाओं को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन के मजबूत स्तंभ बनाएगा।

मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निवेश कर रही है और पारंपरिक कला को आगे बढ़ाकर कारीगरों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही है। जम्मू-कश्मीर के विकास पर लगातार तेज नजर रखते हुए काम कर रही है। सरकार ने सभी मोर्चों पर अपने वादों को पूरा किया है।

मंत्री ने एमएसडीई, नेशनल स्किल डिवेलपमेंट कार्यक्रम और सेक्टर स्किल काउंसिल के अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की क्योंकि राज्य के स्थानीय य़ुवाओं के अनुकूल बनाए किए गए कार्यक्रम की परिकल्पना, प्रोसेसिंग और मंजूरी केवल 2 महीने के रेकॉर्ड समय में दी गई। 
अनुकूल रूप से डिजाइन किया गया यह कार्यक्रम नए नजरिए का प्रतीक है, जिस पर सरकार अपने कौशल विकास कार्यक्रम को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। यह कार्यक्रम कारीगरों और शिल्पकारों को लगातार उनके कौशल में दक्ष बनाने, उनकी प्रतिभा को निखारने और उनके हुनर को और तराशने के सिद्धांत पर आधारित है, जिसके नतीजे के रूप में रोजगार की पक्की गारंटी मिलेगी। इस कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में इंडस्ट्री भी महत्वपूर्ण हितधारक है।

इस अवसर पर कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा, हमारी टीम प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत इस प्रोजेक्ट पर काफी उत्साह से काम कर रही है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने नमदा को संरक्षित रखने के लिए शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग कोर्स डिजाइन किया है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमे इस विलुप्त होने की कगार पर पहुंची कला को न केवल पुनर्जीवित कर सकेंगे, बल्कि इसे आर्थिक रूप से ज्यादा व्यावाहरिक बना जाएगा। इसके तहत रोजगार का सृजन कर स्थानीय कारीगरों की मदद की जाएगी। 

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