अन्ना हजारे ने राजघाट से शुरु किया सत्याग्रह
अन्ना हजारे ने राजघाट से शुरु किया सत्याग्रह
नई दिल्ली। समाजासेवी अन्ना हजारे ने देश में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों को नाकाफी बताते हुए गांधी जयंती के अवसर पर सोमवार को यहां राजघाट पर एक दिवसीय उपवास कर भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह की शुरुआत की।हजारे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर भ्रष्टाचार के खिलाफ चुनाव पूर्व किए गए अच्छे दिनों के वादे की याद दिलाते हुए उन्हें सत्याग्रह शुरू करने की जानकारी दी। सुबह दिल्ली पहुंचने पर हजारे ने संवाददाताओं से कहा, आज दो अक्टूबर को गांधी जयंती है, हमारे देश को आजाद हुए ७० साल हो गए हैं, लेकिन गांधी जी के सपनों के भारत से हम भटक गए हैं। यही वजह है कि मैं गांधी जी की समाधि से अपना सत्याग्रह शुरु कर रहा हूं। उन्होंने दिन में लगभग ११ बजे राजघाट पहुंचने पर बापू को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद लगभग तीन घंटे तक मौन साधना की।इससे पहले मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि आज गांधी जयंती के अवसर पर आत्मचिंतन करते हुए मन ब़डा दुखी है। हजारे ने भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए देश में लोकपाल की नियुक्ति करने, विदेशों में जमा काला धन वापस लाने, कृषि उपज का पूरा दाम दिलाकर किसानों की आत्महत्या रोकने जैसे चुनावपूर्व किए गए तमाम वादों का जिक्र करते हुए हालात में कोई बदलाव नहीं आने पर दुख व्यक्त किया।उन्होंने लिखा कि न लोकपाल की नियुक्ति हुई, ना विदेश से काला धन वापस आया और ना ही नोटबंदी से देश में छुपाए काले धन का जनता को हिसाब मिला। किसानों की आत्महत्या भी नहीं रुकी। भ्रष्टाचार दिनों दिन ब़ढता ही जा रहा है। इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने पूछा कि क्या महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल और शहीद भगत सिंह का सपना पूरा हुआ। हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ २०१२ में किए गए अपने आंदोलन की याद दिलाते हुए कहा कि उस समय भाजपा नेताओं ने लोकपाल की नियुक्ति का वादा किया था लेकिन भाजपा सरकार बनने के तीन साल बाद भी यह बात अधूरी है। इतना ही नहीं उन्होंने मोदी को भी तीन साल से लगातार इस बात की याद दिलाते हुए कहा कि मैंने आपको इस बारे में पत्र लिखे, लेकिन आपने किसी पत्र का जबाब भी नहीं दिया।