
जापान से सीखें राष्ट्रभाषा का सम्मान, बुलेट ट्रेन लेने के लिए भारतीयों को सीखनी पड़ी जापानी
जापान से सीखें राष्ट्रभाषा का सम्मान, बुलेट ट्रेन लेने के लिए भारतीयों को सीखनी पड़ी जापानी
नई दिल्ली। जापान अपनी कई खूबियों के लिए जाना जाता है। छोटा-सा देश जहां आए दिन भूकंप से नुकसान होता रहता है, पर जापानी नवनिर्माण की कला जानते हैं। दूसरे महायुद्ध में पूरी तरह बर्बाद हुआ यह मुल्क अगले बीस सालों में ही दोबारा प्रगति की रफ्तार पकड़ चुका था। देशप्रेम के लिए जापानियों की मिसाल दी जाती है। जापान ने पश्चिम से टेक्नोलॉजी जरूर ली, पर अपनी भाषा नहीं छोड़ी। जो जापानी नहीं जानता, उसका उस देश में गुजारा नहीं हो सकता।
आज यह सब बताने की जरूरत इसलिए हुई क्योंकि भारत जापान से जो बुलेट ट्रेन लेने जा रहा है, उसके लिए भारतीय अधिकारियों को जापानी सीखनी ही पड़ेगी। बिना जापानी सीखे बुलेट ट्रेन का संचालन बहुत कठिनाई भरा हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए कंपनी का स्टाफ जापानी भाषा का प्रशिक्षण ले रहा है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड पर बुलेट ट्रेन का जिम्मा है। पहली बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलाई जाएगी।
कंपनी ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस काम के लिए जापानी सीखें, क्योंकि बिना प्रारंभिक जापानी ज्ञान के अगर कोई कर्मचारी बुलेट के संचालन से जुड़ेगा तो उसे काफी कठिनाइयां का सामना करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति पूरे प्रोजेक्ट और यात्रियों के लिए खतरा हो सकती है।
इसलिए कंपनी का स्टाफ इन दिनों जापानी वर्णमाला, दैनिक इस्तेमाल में आने वाले शब्द और लोगों से सामान्य बातचीत करना सीख रहा है। उन्हें इसके साथ अपने रोजमर्रा के अन्य काम करने होते हैं। उसके बाद तय समय पर क्लास लेनी होती है। यही नहीं, कोई व्यक्ति एक दिन भी क्लास नहीं छोड़ सकता, क्योंकि उसके बाद यह भाषा सीखना और ज्यादा मुश्किल हो जाएगा।
जापानी भाषा को काफी कठिन माना जाता है लेकिन जो लोग जापान में पढ़ाई, नौकरी, कारोबार आदि करते हैं, उनके लिए इसे सीखना बेहद जरूरी है। जापान में सभी पाठ्यक्रम जापानी भाषा में उपलब्ध हैं और वहां साक्षरता दर करीब-करीब सौ फीसद है। दूसरी ओर हम हैं, जिनके पास हिंदी जैसी समृद्ध और सरल भाषा है, परंतु आज तक उसे वह सम्मान नहीं दे पाए जिसकी यह हकदार है और न ही शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य प्राप्त कर सके। क्या इस मामले में हमें जापान से कुछ सीखना नहीं चाहिए?
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