मन की बात: ओलंपिक से लेकर जल संरक्षण और छोले-भटूरे तक … क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी

मन की बात: ओलंपिक से लेकर जल संरक्षण और छोले-भटूरे तक … क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी

मन की बात: ओलंपिक से लेकर जल संरक्षण और छोले-भटूरे तक … क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। फोटो स्रोत: भाजपा ट्विटर अकाउंट।

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों के साथ अपने विचार साझा किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि दो दिन पहले की अद्भुत तस्वीरें, यादगार पल, अब भी मेरी आंखों के सामने हैं। टोक्यो ऑलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को तिरंगा लेकर चलता देखकर मैं ही नहीं, पूरा देश ही रोमांचित हो उठा। पूरे देश ने जैसे अपने इन योद्धाओं से कहा- विजयी भवः, विजयी भवः।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि जब ये खिलाड़ी भारत से गए थे, तो मुझे भी इनसे गपशप करने का, उनके बारे में जानने का और देश को बताने का अवसर मिला था। ये खिलाड़ी जीवन की अनेक चुनौतियों को पार करके यहां पहुंचे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो देश के लिए तिरंगा उठाता है, उसके सम्मान में, भावनाओं से भर जाना स्वाभाविक ही है। कल यानी 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस भी है। इस बार 15 अगस्त को देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यह हमारा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि जिस आजादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने के हम साक्षी बन रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कितने ही स्वाधीनता सेनानी और महापुरुष हैं, जिन्हें अमृत महोत्सव में देश याद कर रहा है। सरकार और सामाजिक संगठनों की तरफ से भी लगातार इससे जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘अमृत महोत्सव’ किसी सरकार का, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं है। यह कोटि-कोटि भारतवासियों का कार्यक्रम है। रोज के काम करते हुए भी हम राष्ट्र निर्माण कर सकते हैं, जैसे वोकल फॉर लोकल हमारे देश के स्थानीय उद्यमियों, कलाकारों, शिल्पकारों, बुनकरों को सपॉर्ट करना, हमारे सहज स्वभाव में होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में, हैंडलूम कमाई का बहुत बड़ा साधन है। यह ऐसा क्षेत्र है जिससे लाखों महिलाएं, लाखों बुनकर, लाखों शिल्पी, जुड़े हुए हैं। आपके छोटे-छोटे प्रयास बुनकरों में एक नई उम्मीद जगाएंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2014 के बाद से ही ‘मन की बात’ में हम अक्सर खादी की बात करते हैं। यह आपका ही प्रयास है कि आज देश में खादी की बिक्री कई गुना बढ़ गई है। बात जब आजादी के आंदोलन और खादी की हो तो पूज्य बापू का स्मरण होना स्वाभाविक है। जैसे बापू के नेतृत्व में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चला था, वैसे ही आज हर देशवासी को भारत जोड़ो आंदोलन का नेतृत्व करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ एक ऐसा माध्यम है जहां सकारात्मकता है, संवेदनशीलता है। ‘मन की बात’ में हम सकारात्मक बातें करते हैं, इसका कैरेक्टर कलेक्टिव करते हैं। कुछ दिन पहले मायजीओवी की ओर से मन की बात के श्रोताओं को लेकर एक स्टडी की गई। स्टडी के बाद सामने आया कि संदेश और सुझाव भेजने वालों में से करीब 75 प्रतिशत 35 वर्ष से कम आयु के लोग होते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आप लोगों से मिले सुझाव ही मन की बात की असली ताकत है। आपके सुझाव ही मन की बात के माध्यम से भारत की विविधता को प्रकट करते हैं। एक समय था जब छोटे छोटे कंस्ट्रक्शन के काम में भी वर्षों लग जाते थे, लेकिन आज टेक्नोलॉजी की वजह से भारत मे स्थिति बदल रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि फिलहाल देश में छह अलग-अलग जगहों पर लाइट हाउस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। इनमें मॉडर्न टेक्नोलॉजी और इनोवेटिव तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आपने अंग्रेजी की एक कहावत सुनी होगी – टू लर्न इज टू ग्रो यानी सीखना ही आगे बढ़ना है। जब हम कुछ नया सीखते हैं, तो हमारे लिए प्रगति के रास्ते खुद-ब-खुद खुल जाते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर में आपसे पूछूं कि वो कौन से राज्य हैं जिन्हें आप सेब के साथ जोड़ेंगे? तो जाहिर है कि आपके मन में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड का नाम आएगा। पर अगर में कहूं कि इस लिस्ट में मणिपुर को भी जोड़ दीजिए तो आप शायद आश्चर्य से भर जाएंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि टीएस रिंगफामी यंग ये पेशे से एरोनॉटिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने अपनी पत्नी टीएस एंजेल के साथ मिलकर सेब की पैदावार की है। हमारे आदिवासी समुदाय में बेर बहुत लोकप्रिय है। आदिवासी समुदाय के लोग हमेशा से बेर की खेती करते रहे हैं। लेकिन कोविड-19 की बीमारी के बाद इसकी खेती विशेष रूप से बढ़ती जा रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड के दौरान ही उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक अनोखी पहल हुई है। वहां महिलाओं को केले के बेकार तने से फाइबर बनाने की ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया गया।

बनाना फाइबर के इस काम से एक स्थानीय महिला को 400 से 600 रुपए प्रतिदिन की कमाई हो जाती है। लखीमपुर खीरी में सैकड़ों एकड़ जमीन पर केले की खेती होती है। एक ओर बनाना फाइबर से प्रॉडट्स बनाए जा रहे हैं। वहीं कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ और दक्षिण कन्नड़ जिले की महिलाएं केले के आटे से डोसा और गुलाब जामुन जैसे स्वादिष्ट व्यंजन बनाने का अनूठा कार्य कर रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ के सेक्टर 29 में संजय राणा फूड स्टाल चलाते हैं और साइकिल पर छोले-भटूरे बेचते हैं। एक दिन उनकी बेटी रिद्धिमा और भतीजी रिया एक आइडिया के साथ उनके पास आईं। उन्होंने कोविड वैक्सीन लगवाने वालों को फ्री में छोले-भटूरे खिलाने को कहा।

एक और काम की चर्चा आज करना चाहूंगा। यह काम हो रहा है तमिलनाडु के नीलगिरि में। वहां राधिका शास्त्री ने अंबूआरएक्स प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। कुछ दिन पहले एक बहुत ही रोचक और बहुत ही इमोशनल इवेंट हुआ, जिससे भारत-जॉर्जिया मैत्री को नई मजबूती मिली है। इस एक समारोह ने दोनों देशों के साथ ही, गोवा और जॉर्जिया के बीच के संबंधों को भी और प्रगाढ़ कर दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब मैं आपको सिंगापुर लेकर चलता हूं, जहां इस महीने की शुरुआत में एक और गौरवशाली अवसर सामने आया। सिंगापुर के प्रधानमंत्री और मेरे मित्र ली ह्सेन लूंग ने हाल ही में रेनोवेट किए गए सिलाट रोड गुरुद्वारा का उद्घाटन किया। एक और विषय है जो मेरे दिल के बहुत करीब है। ये विषय है जल संरक्षण का। पानी की एक-एक बूंद को बचाना हमारी जीवन शैली का एक सहज हिस्सा बन जानी चाहिए।

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