मप्र में फिर शिवराज का ‘राज’, आज ले सकते हैं मुख्यमंत्री पद की शपथ
मप्र में फिर शिवराज का ‘राज’, आज ले सकते हैं मुख्यमंत्री पद की शपथ
भोपाल/दक्षिण भारत। वरिष्ठ भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान सोमवार (23 मार्च) को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि चौहान इसी दिन चौथी बार बतौर मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण कर सकते हैं। इस शपथग्रहण को लेकर संभावना जताई गई है कि यह राजभवन में हो सकता है। चौहान के साथ चार और चेहरे शपथ ले सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ की कुर्सी मुख्यमंत्री बनने के सिर्फ 15 महीने बाद ही हिल गई। मप्र में सियासी संकट उस समय और गहरा गया था जब पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। वहीं, कांग्रेस के 22 विधायकों ने बागी होकर इस्तीफे भेज दिए।संकट में घिरी कमलनाथ सरकार लगातार इन विधायकों को मनाने की कोशिश कर रही थी लेकिन यह काम नहीं आई। उधर, शिवराज सिंह चौहान एवं भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के प्रदेश की सत्ता में रहने को चुनौती दी, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराया जाए। न्यायालय के आदेशानुसार, कांग्रेस सरकार को सत्ता में बने रहने के लिए शक्ति परीक्षण में खरा उतरना था, लेकिन वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने 20 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी।
इस तरह एक बार फिर मप्र की सत्ता में भाजपा की वापसी की राह साफ हो गई। मप्र में कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर 15 साल के बाद सत्ता में लौटी थी लेकिन तकरीबन सवा साल के शासन के बाद ही राज्य में तेजी से बदले सियासी समीकरण उनकी सरकार के लिए भारी पड़े।
Bhopal: Shivraj Singh Chouhan has been elected as the leader of BJP legislative party in Madhya Pradesh, at the meeting held at the party office. MP Observer Arun Singh, and state in-charge Vinay Sahasrabuddhe joined in the meeting from Delhi via video conference. pic.twitter.com/Y2aXQoN5ky
— ANI (@ANI) March 23, 2020
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कमलनाथ के समर्थक मध्य भारत के इस महत्वपूर्ण राज्य को भाजपा के हाथों से छीनकर कांग्रेस की झोली में डालने का पूरा श्रेय उन्हें देते रहे हैं, जहां 2003 से 2018 तक शिवराज सिंह चौहान का कब्जा था और वे सबसे लंबे समय तक मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके थे।
कभी कांग्रेस में रहकर भाजपा के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब पुरानी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा तो कमलनाथ सरकार का सूरज भी अस्त हो गया।
सिंधिया यह कहते रहे कि अगर कमलनाथ सरकार ने घोषणापत्र में किए गए वादे पूरे नहीं किए तो वे सड़कों पर उतरेंगे। इस पर कमलनाथ ने जवाब दिया था, ‘तो उतर जाएं’। हालांकि, यह दांव कमलनाथ के लिए भारी पड़ गया और उनकी कुर्सी चली गई।
अगर सीटों के गणित की बात करें तो यहां मामला भाजपा के पक्ष में है। मप्र विधानसभा सदस्यों की संख्या 230 है। दो विधायकों का देहांत हो चुका है। इसके अलावा 22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। इस प्रकार यह आंकड़ा 206 पर आ गया है। अब किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी। चूंकि भाजपा के विधायकों की संख्या 107 है। इसलिए, वह बहुमत साबित कर सकती है।