कांग्रेस 'वोट चोरी' में विश्वास करती है तो तेलंगाना में सत्ता छोड़कर मिसाल कायम करे: बंडी संजय कुमार
'जब जीतते हैं तो लोकतंत्र का जश्न मनाते हैं और जब हारते हैं तो 'वोट चोरी' का रोना रोते हैं, ऐसा नहीं हो सकता'
Photo: @bandisanjay_bjp X account
हैदराबाद/दक्षिण भारत। कांग्रेस के 'वोट चोरी' के आरोपों पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री बंडी संजय कुमार ने सोमवार को कहा कि पार्टी को तेलंगाना और कर्नाटक में सत्ता छोड़कर एक मिसाल कायम करनी चाहिए, क्योंकि इन दोनों दक्षिणी राज्यों में सरकारें 'उसी चुनाव आयोग के तहत बनी थीं'।
एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को हराने के लिए 'सत्य' का सहारा लेते हुए, राहुल गांधी ने अपना पूरा तर्क 'असत्य' पर बनाया, और देश को गुमराह किया।'भाजपा नेता ने आगे कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सभ्यता की भाषा में शक्ति को ऊर्जा के रूप में बताया, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे सत्ता के रूप में देखा।
संजय कुमार ने कहा कि सभ्यता से जुड़े किसी संदर्भ को राजनीतिक गुस्से में बदलना भारत की सांस्कृतिक भाषा और यहां तक कि आधारभूत विज्ञान की भी खराब समझ को दिखाता है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले सही कहा था, जो लोग शक्ति पर हमला करने की कोशिश करते हैं, वे आखिरकार खुद को ही नुकसान पहुंचाते हैं। हिंदू धर्म जल्दी-जल्दी ब्रीफिंग से नहीं सीखा जाता, और शक्ति गद्दी जैसी नहीं है।
संजय कुमार ने कहा कि अगर कांग्रेस सच में मानती है कि चुनाव में धांधली हुई है तो उसे तेलंगाना और कर्नाटक में सत्ता छोड़कर एक मिसाल कायम करनी चाहिए, ये सरकारें भी उसी चुनाव आयोग, उसी वोटर लिस्ट और उसी संविधान के तहत बनी हैं। जब आप जीतते हैं तो लोकतंत्र का जश्न मनाते हैं और जब हारते हैं तो 'वोट चोरी' का रोना रोते हैं, ऐसा नहीं हो सकता।
संजय कुमार ने कहा कि पहले, कांग्रेस ने यह झूठा दावा करके डर फैलाया था कि आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा। अब वह एक और झूठ फैला रही है कि वोटर वेरिफिकेशन से आधार, राशन कार्ड, ज़मीन या संपत्ति छिन जाएगी। यह जानबूझकर डराने वाली राजनीति है। कांग्रेस ने असत्य को अपना राजनीतिक हथियार बना लिया है। यह सच्चाई की लड़ाई नहीं है। यह तो अस्वीकार करने का एक बहाना है।
चुनावी हार को 'वोट चोरी' कहना उन करोड़ों मतदाताओं का अपमान है जिन्होंने सोच-समझकर, स्वतंत्र होकर अपना फैसला लिया। इमरजेंसी से लेकर दशकों तक संस्थाओं में हेरफेर तक, कांग्रेस ने लोकतंत्र को अपनी निजी संपत्ति समझा है।


