वियतनामी सैनिकों के शौर्य की गाथा और युद्ध की भयावहता की कहानी कहता हो ची मिन्ह स्थित युद्ध अवशेष संग्रहालय
संग्रहालय देखकर मन द्रवित व व्यथित तो होता है लेकिन सैन्य साहस व शौर्य का स्मरण भी होता है
.. श्रीकांत पाराशर ..
दक्षिण पूर्व एशियाई देश वियतनाम के दो युद्ध वहाँ के इतिहास में हमेशा के लिए अंकित हो गए जिनमें फ्रांस व चीनी उपनिवेश के खिलाफ वर्ष 1946 से 1954 तक लड़ा जाने वाला इंडो- चाइना वार तथा वर्ष 1955 से 1975 तक लड़ा गया अमेरिकन युद्ध शामिल है। वियतनाम के सबसे बड़े शहर हो ची मिन्ह शहर में स्थित युद्ध अवशेष संग्रहालय ( जो वार मेमोरियल के नाम से प्रसिद्ध है) में इन वियतनाम युद्धों के दुखद किंतु वियतनामी सैनिकों के वीरतापूर्ण इतिहास की झलक मिलती है। अमेरिका के मुक़ाबले अत्यंत कम साधन संपन्न एक छोटे से देश वियतनाम ने जिस साहस और शौर्य से युद्ध लड़ा और अमेरिकी सैनिकों के छक्के छुड़ाए, उन्हें पराजित किया उस वीरता की कहानी यहां वार मेमोरियल में प्रदर्शित अनगिनत चित्र व दस्तावेज़ मानो स्वयं बखान करते हैं। यह स्थल शहर के लगभग मध्य में ही स्थित है। वियतनाम के इतिहास को गहराई से जानने के इच्छुक लोगों के लिए यह विशेष रुचिकर स्थान है।यह संग्रहालय वर्ष 1975 में शुरू किया गया।यहाँ प्रवेश करते ही परिसर में विभिन्न सैन्य उपकरण जैसे टैंक, विमान, हेलीकॉप्टर, मिसाइल्स आदि रखे हुए हैं जो उस दौर की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करते हैं और साथ ही वियतनामी सैनिकों की बहादुरी को भी दर्शाते हैं क्योंकि यहां युद्ध के दौरान वियतनामी सेना द्वारा उपयोग में लाए गए विमान व उपकरण आदि हैं तो साथ ही इनमें से अनेक अवशेष युद्ध के दौरान वियतनामी सैनिकों द्वारा अमेरिकी सैनिकों को परास्त कर उनसे हथियाये गए उपकरणों के हैं। वार मेमोरियल दो तल वाले भवन में स्थित है जहाँ प्रथम तल में युद्ध के दौरान अमेरिकी सैनिकों द्वारा वियतनामी जनता पर किए गए युद्ध अपराधों की विचलित कर देने वाली भयावह तस्वीरें हैं, पीड़ित ज़िंदा निर्दोष लोगों द्वारा दिए गए बयान हैं तथा कुछ विशिष्ट घटनाओं का दुर्लभ चित्रों के साथ विस्तृत विवरण दिया गया है, जो विशेष रूप से अमेरिकी सैनिकों की क्रूरता की कहानी कहते हैं। दूसरे तल में, किसी भी युद्ध के बाद देश किस बर्बादी के हालात में पहुंच जाता है, युद्ध के परिणाम कितने भयावह होते हैं उन दृश्यों को वास्तविक चित्रों के साथ प्रदर्शित किया गया है। इन हृदय विदारक दृश्यों को देखकर कठोर से कठोर पत्थर दिल इंसान की भी आँखें नम हुए बिना नहीं रह सकती।
वियतनाम ने फांसिसीयों को भी देश से खदेड़ने के लिए युद्ध लड़ा था, अपनी बहादुरी के बल पर चीनियों को भी पैर नहीं जमाने दिए थे, इंडो चाइना वार इसका प्रमाण है। यहां वार मेमोरियल में चीन व फ्रांस के औपनिवेशिक दौर के भी सभी दस्तावेज मौजूद हैं। अधिक विचलित करने वाली तस्वीरें अमेरिका-वियतनाम युद्ध की हैं जिनमें अमेरिकी सैनिकों की क्रूरता और निर्दोष जन सामान्य पर की गई निर्ममता को दर्शाने वाली तस्वीरें ज़्यादा हैं। यहां तस्वीरों के साथ वियतनामी व अंग्रेजी भाषा में कैप्शन लिखे गए हैं ताकि बाहर के पर्यटकों को भी समझने में सहूलियत हो।

यहां यह बताना ज़रूरी है कि वार मेमोरियल वियतनामी सैनिकों के शौर्य व साहस को तो दर्शाता ही है लेकिन युद्ध की क्रूर वास्तविकता को प्रदर्शित करते दस्तावेज़ चीख चीखकर कहते दिखाई देते हैं कि युद्ध कैसा भी हो, उसके परिणाम मानवता के लिए अनुकूल कभी नहीं होते। वियतनाम पर अमेरिका ने जिन एजेंट ओरेंज नामक रासायनिक हथियारों का उपयोग किया उनसे पीढ़गत जन्मजात शारीरिक विकृतियां व विरूपता ने अपना भयावह चेहरा दिखाया जिसे देखकर आम व्यक्ति व्यथित हुए बिना नहीं रह सकता और वह अमेरिका की निर्दयता की निंदा करता है। युद्ध के बाद उपजी चुनौतियों से निपटना आसान नहीं था लेकिन वियतनाम की जनता ने भरपूर साहस और दृढ़ता के साथ हर चुनौती का सामना किया तथा देश के प्रति पूरी निष्ठा के साथ हर नागरिक ने सहयोग किया। उसी का परिणाम है कि आज यह देश विश्व में सबसे तेज गति से विकास की ओर बढने वाले देशों की पंक्ति में खड़ा है। वियतनाम पर जो अमेरिका ने युद्ध थोपा व युद्ध संबंधी क्रूर अपराध किए उनकी निंदा संयुक्त राष्ट्र सहित पूरे विश्व में हुई तथा वियतनाम के साथ अनेक बड़े देश भी खड़े दिखाई दिए।

हालाँकि वियतनाम ने अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी और उसमें सफलता भी हासिल की लेकिन इसकी क़ीमत भी उसे बहुत ज़्यादा चुकानी पड़ी। यहां प्रस्तुत दस्तावेज इस बात की भी गवाही देते हैं कि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष तो करना पड़ता है लेकिन युद्ध हमेशा लड़ते रहना शांति और विकास में बड़ी बाधा है, इसलिए सहां वार मेमोरियल में शांति और सुलह के दस्तावेज भी मौजूद हैं। वियतनाम ने भी एकीकरण के बाद तेजी से विकास किया और निरंतर तेज गति से विकास पथ पर अग्रसर है, इसका कारण यहां शांति स्थापित हो जाना है। पर्यटक यहां से गहन चिंतन व पीड़ादायक मार्मिक अहसास लेकर निकलते हैं। यह संग्रहालय प्रात: 7.30 से सायं 6 बजे ( वियतनामी समय) तक खुला रहता है। यहां वयस्क के लिए 40 हजार वियतनामी डोंग तथा 6 वर्ष से 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए 20 डोंग प्रवेश शुल्क है। भारत के एक रुपए के बदले लगभग 322 डोंग मिलते हैं।
कर्नाटक के पर्यटकों के लिए अब वियतनाम जाने के लिए बहुत बड़ी सुविधा हो गई है । वियतनाम की सबसे बड़ी निजी विमानन कंपनी वियतजेट एयरलाइंस की बेंगलूरु से सप्ताह में कुल चार उड़ानें सीधी वियतनाम के हो ची मिन्ह शहर के लिए उपलब्ध हैं और इस शहर के नज़दीक ही बहुत सारे पर्यटन स्थल हैं।


