समय से बड़ा बलवान कोई नहीं: संतश्री ज्ञानमुनि
'कितना भी बड़ा अज्ञानी क्यों न हो, अगर लगातार अभ्यास करता रहा तो वह भी विद्वान बन सकता है'
'लगातार अभ्यास करते रहना चाहिए'
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के यलहंका स्थित सुमतिनाथ जैन संघ के तत्वावधान में चातुर्मासार्थ विराजित संत ज्ञानमुनिजी ने कहा कि जो प्रयास करते हैं, निरंतर अभ्यास करते हैं, वे विद्वान बन जाते हैं। धीरे-धीरे ही सब कुछ होता है। कितना भी बड़ा अज्ञानी क्यों न हो, अगर लगातार अभ्यास करता रहा तो वह भी विद्वान बन सकता है।
उत्तराध्ययन सूत्र का श्रवण करते करते महापुरुष महान बन गए, इसलिए कहते हैं कि लगातार अभ्यास करते रहना चाहिए। जीवन को बदलने का सबसे अच्छा मार्ग अभ्यास है। किसी भी चीज का अभ्यास किया जाए तो एक दिन वह परफेक्ट बन जाता है।धर्म, ध्यान का भी अभ्यास करते करते मनुष्य का जीवन बदल जाता है। मनुष्य को अपनी इंद्रियों पर काबू रखना चाहिए। अगर काबू नहीं किया तो कर्मों के चक्र में फंसना पड़ेगा। कर्म किसी को छोड़ने वाला नहीं है।
संतश्री ने कहा कि जब मनुष्य धर्म में लगता है तो उसको अच्छे, बुरे कर्मों के बारे में पता चल जाता है। मनुष्य अपने कर्मों की वजह से ही संसार में भटक रहा है। जब तक कर्मों की निर्जरा नहीं होगी, संसार में भटकना जारी रहेगा।
सब सुख और दुख का कारण कर्म ही है। संसार को पार करना है तो कर्मों को समझना पड़ेगा। दुख और सुख दोनों हमारा ही है। ये सब हमारे कर्मों का ही परिणाम है। जैसा देंगे वापस वैसा ही मिलेगा। समय बहुत बलवान होता है।
चेतनप्रकाश डुंगरवाल ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्याध्यक्ष कांतिलाल तातेड़ ने सभी का स्वागत किया। संचालन करते हुए महामंत्री मनोहरलाल लुकड़ ने कार्यक्रम की जानकारी दी।


