अब जनता की बारी...
ऑनलाइन मनी गेमिंग से दूर रहें
अपनी ऊर्जा उद्देश्यपूर्ण कार्यों में लगाएं
केंद्र सरकार द्वारा ऑनलाइन मनी गेमिंग पर सख्त कानून बनाए जाने के बाद अब जनता की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी वेबसाइटों और ऐप्स से दूर रहे। सरकार ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है, अब जनता की बारी है। उसे भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। सरकारी स्तर पर प्रतिबंध लगाए जाने का यह मतलब नहीं है कि देश से जुआ तुरंत खत्म हो जाएगा। ऐसी कंपनियां भविष्य में किसी और नाम तथा स्वरूप के साथ, कोई नया तकनीकी तरीका ढूंढ़कर 'मैदान' में आने की कोशिश कर सकती हैं। पूर्व में जब सरकार ने कुछ चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया था तो उन्होंने चकमा देने के लिए यही तरीका अपनाया था। सवाल है- अगर भविष्य में किसी और नाम तथा स्वरूप के साथ मनी गेमिंग वेबसाइट और ऐप्स दिखाई दें तो उनसे कैसे सुरक्षित रहा जाए? अभी इनका खतरा पूरी तरह टला नहीं है। उत्तर प्रदेश में एक 13 वर्षीय किशोर ने ऑनलाइन गेम में 14 लाख रुपए हारने के बाद आत्महत्या कर ली! उसने अपने पिता का बैंक खाता ही खाली कर दिया था। ऑनलाइन मनी गेमिंग के नाम पर जुआ, सट्टा और ऐसी गतिविधियों को सिर्फ कानून बनाकर पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता। कोई बुराई जनसहयोग से ही खत्म हो सकती है। ऑनलाइन जुआ, सट्टा खिलाने वालों को उक्त कानून से जोरदार झटका जरूर लगा है। वे अपने घाटे की भरपाई करने के लिए भविष्य में कोई नया पैंतरा आजमाएं, इससे पहले जनता को कुछ खास बातों को लेकर सावधान हो जाना चाहिए। छोटे बच्चों को अपने मोबाइल फोन, ऑनलाइन पेमेंट ऐप और वित्तीय सूचनाओं से संबंधित पासवर्ड न दें। अगर वे पढ़ाई के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं तो सिर्फ पढ़ाई करने दें। ज्ञानवर्द्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए बच्चों को मोबाइल फोन देना ठीक है, लेकिन एक हद तक। वे कौनसी वेबसाइट खोलते हैं, कौनसा ऐप डाउनलोड करते हैं - इस पर नजर रखना बहुत जरूरी है।
अपने बैंक खाते का पासवर्ड समय-समय पर बदलना चाहिए। उससे धन भेजने की लिमिट और यूपीआई की लिमिट तय करने से आपकी कमाई ज्यादा सुरक्षित रहेगी। अगर बैंक खाते और यूपीआई की लिमिट कम राशि पर सेट होगी तो बच्चा उससे ज्यादा राशि ट्रांसफर नहीं कर सकेगा। बैंकिंग ऐप और यूपीआई ऐप के लिए बहुत मजबूत पासवर्ड रखने चाहिएं। इसके अलावा फिंगरप्रिंट स्कैनिंग या फेस स्कैनिंग जैसे विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए। कई लोग अपने पासवर्ड को ब्राउजर में सेव करके रखते हैं। वे इसे सुविधाजनक मानते हैं। इससे समय की बचत होती है, लेकिन यह स्थिति बहुत खतरनाक साबित हो सकती है। पासवर्ड के ऑटोसेव होने से उस मोबाइल फोन के जरिए कोई भी व्यक्ति बैंक खाते में सेंध लगा सकता है। अगर प्लेस्टोर या ऐप स्टोर से खरीदारी कर रहे हैं तो पासवर्ड और बायोमैट्रिक कन्फर्मेशन को हमेशा ऑन रखना बेहतर होता है। इन प्लेटफॉर्म पर पेरेंटल नियंत्रण का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि बच्चा अनजाने में यहां पैसा खर्च न कर सके। कुछ युवाओं को ऑनलाइन मनी गेमिंग वेबसाइटों और ऐप्स के बगैर भारी बेचैनी होने लगती है। वे उनके दूसरे विकल्प तलाशने लगते हैं। कई युवा बार-बार अपने मोबाइल फोन को चेक करते हैं। उस स्थिति में बेहतर होगा कि कीपैड मोबाइल फोन रखें। अच्छी किताबें, समाचारपत्र और पत्रिकाएं पढ़ने की आदत डालें। दुनिया में ऑनलाइन गेमिंग के अलावा भी बहुत कुछ है। अपना अनमोल समय कुछ अच्छा पढ़ने और सीखने में लगाएंगे तो वह जीवन में बहुत काम आएगा। अपनी ऊर्जा उद्देश्यपूर्ण कार्यों में लगाएंगे तो जीवन सफल होगा।

