मैसूरु दशहरा: उच्च न्यायालय ने बानू मुश्ताक को आमंत्रित किए जाने के खिलाफ याचिकाएं खारिज कीं

चार जनहित याचिकाओं पर विचार करने से इन्कार कर दिया

मैसूरु दशहरा: उच्च न्यायालय ने बानू मुश्ताक को आमंत्रित किए जाने के खिलाफ याचिकाएं खारिज कीं

Photo: PixaBay

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष 'मैसूरु दशहरा' उत्सव के उद्घाटन के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।

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मुख्य न्यायाधीश विभु भाकरू और न्यायमूर्ति सीएम जोशी की खंडपीठ ने मैसूरु से भाजपा के पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा द्वारा दायर याचिका सहित चार जनहित याचिकाओं पर विचार करने से इन्कार कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी संवैधानिक या कानूनी उल्लंघन को साबित करने में विफल रहे हैं।

पीठ ने कहा, 'हम यह स्वीकार करने के लिए सहमत नहीं हैं कि किसी अन्य धर्म के व्यक्ति द्वारा राज्य द्वारा आयोजित समारोह का उद्घाटन करना याचिकाकर्ताओं के कानूनी या संवैधानिक अधिकार या संविधान में निहित किसी भी मूल्य का उल्लंघन होगा। याचिकाएं खारिज की जाती हैं।'

मैसूरु जिला प्रशासन ने विपक्षी भाजपा सहित कुछ वर्गों की आपत्तियों के बावजूद 3 सितंबर को मुश्ताक को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया था।

यह विवाद इस आरोप से उपजा है कि बानू मुश्ताक ने अतीत में ऐसे बयान दिए हैं जिन्हें कुछ लोग 'हिंदू विरोधी' और 'कन्नड़ विरोधी' मानते हैं।

सिम्हा और अन्य आलोचकों का तर्क है कि इस उत्सव के लिए उनका चयन, जो पारंपरिक रूप से वैदिक अनुष्ठानों और देवी चामुंडेश्वरी को पुष्पा अर्पित करने के साथ शुरू होता है, धार्मिक भावनाओं और इस आयोजन से जुड़ी दीर्घकालिक परंपराओं का अनादर करता है।

राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए महाधिवक्ता के शशिकिरण शेट्टी ने इस बात पर जोर दिया कि दशहरा उद्घाटन एक राजकीय समारोह है। उन्होंने बताया कि उद्घाटन के लिए आमंत्रित किए जाने वाले व्यक्ति का चयन करने वाली समिति में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ स्थानीय सांसद और विधायक भी शामिल थे।

शेट्टी ने अदालत से जनहित याचिकाओं को खारिज करने का आग्रह किया और तर्क दिया कि पीआईएल में कोई दम नहीं है।

मैसूर में दशहरा उत्सव 22 सितंबर से शुरू होगा और 2 अक्टूबर को 'विजयादशमी' पर समाप्त होगा।

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