तंबाकू की लत, स्वास्थ्य चौपट

बच्चों को तंबाकू के नशे से कैसे दूर रखा जाए?

तंबाकू की लत, स्वास्थ्य चौपट

तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में बच्चों से खुलकर बात करें

दुनिया में हर साल विभिन्न अध्ययन तंबाकू के दुष्प्रभावों की जानकारी देते हैं, लेकिन बहुत कम लोग इसकी लत को छोड़ पाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल 13.5 लाख लोग तंबाकू के कारण जान गंवाते हैं। कई परिवार ऐसे हैं, जो आर्थिक अभावों का सामना कर रहे हैं। उनमें भी ऐसे सदस्य मिल जाएंगे, जो हर महीने अपनी कमाई का एक निश्चित हिस्सा तंबाकू उत्पादों पर खर्च कर देते हैं। एक ओर तंबाकू उत्पादों ने बाजार में जगह बना ली है, वहीं अब तंबाकू-मुक्त निकोटीन विकल्पों का प्रचार किया जा रहा है। ये कितने सुरक्षित हैं, इस पर बहस होनी चाहिए। भारत के एक प्रसिद्ध चिकित्सा संस्थान के विशेषज्ञ का यह कहना उल्लेखनीय है कि निकोटीन पाउच जोखिम-मुक्त नहीं हैं। चूंकि भारत में तंबाकू के इस्तेमाल की दर बहुत ज्यादा है और हर दस में से एक भारतीय की तंबाकू से जुड़ीं बीमारियों के कारण असमय मौत हो जाती है, इसलिए अब समय आ गया है कि हम सुरक्षित विकल्पों पर विचार करें। अगर ऐसे विकल्पों को सख्ती से नियंत्रित किया जाए तो लोगों को सिगरेट छोड़ने में मदद मिल सकती है। ‘पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड’ नामक संस्था के इस अनुमान की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है कि धुआं-मुक्त निकोटीन विकल्प धूम्रपान की तुलना में 95 प्रतिशत तक कम हानिकारक हैं। हालांकि हमें इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि उसने ऐसे विकल्पों को 100 प्रतिशत सुरक्षित नहीं बताया है।

Dakshin Bharat at Google News
बड़ा सवाल यह है कि बच्चों को तंबाकू के नशे से कैसे दूर रखा जाए? इसके लिए सबसे पहले उन वजहों के बारे में जानना होगा, जो उन्हें तंबाकू की लत की ओर लेकर जाती हैं। प्राय: कई बच्चे जिज्ञासावश तंबाकू का नशा शुरू कर देते हैं। अगर परिवार में कोई सदस्य तंबाकू का सेवन करता है तो बच्चों को इसकी आदत लगने की आशंका ज्यादा होती है। कई बच्चे अपने दोस्तों के साथ तंबाकू का सेवन करने लगते हैं। दुकानों पर तंबाकू उत्पादों का आसानी से उपलब्ध होना भी इसकी लत को बढ़ावा देता है। नशे का यह सामान लोगों के स्वास्थ्य का नाश कर रहा है। बेहतर तो यह होगा कि सरकार तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए या इनकी बिक्री के नियम इतने सख्त हों कि स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थी इन्हें खरीद ही न पाएं। शिक्षण संस्थानों में समय-समय पर अचानक निरीक्षण करना चाहिए, ताकि जो विद्यार्थी तंबाकू का सेवन करते हों, उनका पता लगाने में आसानी हो। उनके साथ सख्ती करने के बजाय स्नेह से समझाना चाहिए कि तंबाकू आपके जीवन के लिए बहुत खतरनाक है। माता-पिता को चाहिए कि वे तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में बच्चों से खुलकर बात करें। अगर घर में कोई व्यक्ति तंबाकू का सेवन करता है तो पहले उसे नशा छोड़कर मिसाल कायम करनी चाहिए। गांवों में कई बच्चे इसलिए धूम्रपान करने लग जाते हैं, क्योंकि वे बड़े-बुजुर्गों के लिए हुक्का-चिलम भरकर लाते हैं। नशाखोरी को परंपरा और प्रतिष्ठा का सूचक बना लेना कोई गर्व की बात नहीं है। घरों में खैनी, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम, शराब जैसी नुकसानदेह चीजें नहीं, बल्कि अच्छी किताबें रखेंगे, तो बच्चों का भविष्य संवरेगा। नशा हमेशा नाश की ओर लेकर जाता है।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download