भगवान विष्णु की मूर्ति के मामले में टिप्पणी के बाद सीजेआई बोले- 'सभी धर्मों का सम्मान करता हूं'

सोशल मीडिया पर हो रही सीजेआई की आलोचना

भगवान विष्णु की मूर्ति के मामले में टिप्पणी के बाद सीजेआई बोले- 'सभी धर्मों का सम्मान करता हूं'

Photo: PixaBay

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण के मामले में अपनी टिप्पणियों की ऑनलाइन आलोचना के मद्देनजर गुरुवार को 'सभी धर्मों' के प्रति सम्मान की बात कही। 

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उन्होंने कहा, 'किसी ने मुझे बताया कि मैंने जो टिप्पणियां की थीं, उन्हें सोशल मीडिया पर प्रचारित किया गया है ... मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।'

सीजेआई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने 16 मई को मध्य प्रदेश में यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर के हिस्से जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट की मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनः स्थापित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'यह विशुद्ध रूप से प्रचार हित याचिका है ... जाकर स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रबल भक्त हैं, तो आप प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान करें।'

प्रधान न्यायाधीश ने कहा था, 'इस बीच, यदि आप शैव धर्म के विरोधी नहीं हैं, तो आप वहां जाकर पूजा कर सकते हैं ... वहां शिव का एक बहुत बड़ा लिंग है, जो खजुराहो में सबसे बड़ा है।'

पीठ ने राकेश दलाल द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया था, जिसमें छतरपुर जिले के जावरी मंदिर में क्षतिग्रस्त मूर्ति को बदलने और उसकी प्राण प्रतिष्ठा करने की मांग की गई थी।

प्रधान न्यायाधीश की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर कई आलोचनात्मक पोस्ट की गईं।

जब प्रधान न्यायाधीश ने उल्लेख किया कि खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति के बारे में उनके बयान को गलत तरीके से उद्धृत किया गया, तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे प्रधान न्यायाधीश को पिछले 10 वर्षों से जानते हैं और न्यायमूर्ति गवई सभी धार्मिक स्थलों पर समान श्रद्धा के साथ जाते हैं तथा किसी भी देवता का अपमान करने के बारे में सोच भी नहीं सकते।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'मैं पिछले 10 वर्षों से सीजेआई को जानता हूं।'

मेहता ने आगे कहा, 'हम न्यूटन का नियम पढ़ते थे - हर क्रिया की एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। अब सोशल मीडिया के आगमन के साथ, हमारे पास एक नया नियम है - 'हर क्रिया की एक गलत और असंगत सोशल मीडिया प्रतिक्रिया होती है।'

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