नशे की लत, बुद्धि भ्रष्ट
नीमच जिले में जैन मुनियों पर हुआ हमला

लोगों को पतन की ओर लेकर जा रही शराब
मध्य प्रदेश के नीमच जिले में जैन मुनियों पर हुआ हमला एक सामाजिक चेतावनी है। लोग अपने कल्याण के लिए साधु-संतों के चरणों में बैठकर उपदेश सुनते हैं, अपनी बुराइयों का त्याग करते हैं, लेकिन नीमच जिले के सिंगोली थाना क्षेत्र में कुछ लोग शराब पीने के लिए जैन मुनियों से ही रुपए मांगने लगे! उन्होंने उन पर लाठी और धारदार हथियारों से हमला किया! हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है? ऐसी घटनाएं किसी के साथ नहीं होनी चाहिएं। खासकर साधु-संतों, जिनके प्रति भारतीय समाज सदैव सम्मान की भावना रखता आया है, पर हमला होना अत्यंत निंदनीय है। मध्य प्रदेश पुलिस ने हमले के आरोपियों को पकड़ने में तेजी दिखाई और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कार्रवाई का भरोसा दिलाते हुए ऐसी मानसिकता रखने वालों को कठोर संदेश दिया है। नशे की लत मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट कर देती है, विवेक को खत्म कर देती है। अगर ये (आरोपी) शराब की लत से मुक्ति पाने के लिए जैन संतों की शरण में जाते और उनके उपदेशों को जीवन में उतारते तो इनका उद्धार हो सकता था। इन्होंने जो अपराध किया, उसके लिए कठोर दंड मिलना चाहिए। प्राचीन काल में साधु-संतों को सताने वालों, उनका अनादर करने वालों, तपस्या एवं यज्ञ आदि में विघ्न डालने वालों को प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण ने कठोर दंड दिया था। नीमच की घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। शराब जैसी बुराई उन्हें तेजी से पतन की ओर लेकर जा रही है। जिन्हें शराब की लत लग जाती है, वे घर या बाहर, हंगामा करते ही हैं।
याद करें, कोरोना काल में जब शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत दी गई, तो सोशल मीडिया पर मारपीट के कई वीडियो आने लगे थे। कई शराबियों ने कोरोना संबंधी नियमों का उल्लंघन करते हुए गली-मोहल्लों में खूब हुड़दंग मचाया था। ऐसी घटनाएं गंभीर सामाजिक समस्या की ओर संकेत करती हैं। इन्हें सिर्फ इस आधार पर नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए कि संबंधित राज्य में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं है। शराब के नशे में डूबे मनुष्य का इतना नैतिक पतन हो सकता है कि वह मंदिर में विश्राम करने के लिए रुके साधु-संतों पर हमला करने से नहीं हिचकता। इन लोगों का अपने घरों में कैसा बर्ताव रहा होगा? जो बाहर मारपीट कर सकते हैं, क्या वे घरों में किसी पर हाथ नहीं उठाते होंगे? जो नशे के लिए साधु-संतों से रुपए मांगने में लज्जा महसूस नहीं करते, क्या वे धन प्राप्ति के लिए अनैतिक तरीके नहीं अपनाते होंगे? जो मंदिर जैसे पवित्र स्थान की मर्यादा का उल्लंघन कर सकते हैं, क्या वे अन्य स्थानों पर मर्यादा का पालन करते होंगे? शराब की एक बोतल कितनी बुराइयां पैदा कर देती है! सरकार को इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए। अगर तुरंत ऐसा संभव न हो तो इसके उपयोग को सख्ती से नियंत्रित करते हुए प्रतिबंध की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। हमारे गांवों-शहरों में पुस्तकालय आसानी से नहीं मिलते। योगाभ्यास एवं ध्यान केंद्र ढूंढ़ने के लिए चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। युवाओं को सही राह दिखाने के लिए नि:शुल्क परामर्श केंद्र तो शायद ही कहीं देखने को मिलें। हां, शराब के ठेके आसानी से मिल जाते हैं। उन पर खूब भीड़ उमड़ती है। कुछ 'तेजस्वी' लोग ऐसे सुझाव देते हैं कि साबुन, तेल, सब्जी आदि की तरह शराब की ऑनलाइन होम डिलिवरी शुरू होनी चाहिए। यानी जिन घरों में अब तक शराब नहीं पहुंची, वहां भी तुरंत पहुंचाने का इंतज़ाम! क्या हम नशाखोरी को बढ़ावा देकर स्वस्थ और खुशहाल समाज बना पाएंगे? शराब की बोतलें मुंह को लगाकर कई लोग बर्बाद हो गए। यह बुराई जड़ से खत्म करने के लिए सरकार और समाज, दोनों को आगे आना चाहिए।