तकनीक का दूसरा पहलू भी जानें

तकनीक पर बहुत ज्यादा निर्भरता ठीक नहीं है

तकनीक का दूसरा पहलू भी जानें

'आंखें खुली रखें' और विवेक से काम लें

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में निर्माणाधीन रामगंगा पुल पर हुए हादसे से कई सवाल खड़े होते हैं। इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं और गूगल मैप के अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है। जिन युवकों ने इस हादसे में जान गंवाई, उनके बारे में कहा जा रहा है कि वे गूगल मैप का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसमें इस बात की जानकारी नहीं दी गई थी कि आगे पुल का हिस्सा क्षतिग्रस्त है। उनकी कार अपनी रफ्तार के साथ आगे बढ़ती गई और नीचे गिर गई। हादसे की असल वजह तो पूरी जांच के बाद ही सामने आएगी, लेकिन यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि अगर लोक निर्माण विभाग कुछ जगहों पर स्पष्ट चेतावनी लिख देता या कोई ऐसा अवरोधक लगा देता, जिससे वाहनचालक समय रहते सतर्क हो जाए तो हादसे को टाला जा सकता था। गूगल मैप, जिसे तकनीकी दृष्टि से बहुत उन्नत माना जाता है, क्या वह भी इसका अपडेट देने से चूक गया? इस हादसे ने सरकारी अधिकारियों की घोर लापरवाही का एक और नमूना पेश किया है। इसके साथ ही हम सबके लिए एक संदेश है कि तकनीक पर बहुत ज्यादा निर्भरता ठीक नहीं है। इसका इस्तेमाल एक हद तक फायदा देता है, लेकिन यहां जरा-सी त्रुटि बहुत बड़ा नुकसान करवा सकती है। बेशक गूगल मैप की वजह से लोगों को बहुत सुविधाएं हुई हैं। पहले, गंतव्य तक पहुंचने के लिए कई जगह रास्ता पूछना पड़ता था। अब हम राजस्थान की किसी ढाणी में बैठकर न्यूयॉर्क की सड़कें, गलियां देख सकते हैं। यह गूगल मैप की वजह से ही संभव हुआ है। इसका दूसरा पहलू यह है कि कोई भी तकनीक सौ फीसद सुरक्षित नहीं होती। उसमें गलतियां, खामियां मिलती हैं। जब कभी उसका इस्तेमाल करें तो इस तथ्य को ध्यान में रखें।

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साल 2022 में जयपुर का एक परिवार रात को निजी वाहन से खाटू श्यामजी जा रहा था। वह गूगल मैप के सहारे आगे बढ़ रहा था। उसका वाहन आश्चर्यजनक रूप से शहर के आस-पास ही चक्कर लगाता रहा। आधी रात बीतने के बावजूद गंतव्य नहीं आया। तब उस परिवार ने एक ढाबे पर खाना खाया और वहां किसी ट्रक चालक से रास्ता पूछा। अगर उस रात गूगल मैप के भरोसे ही चलते तो सुबह तक वहीं चक्कर लगाते रहते! कोई तकनीक किस तरह काम करती है, प्राय: इस संबंध में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होती। अगर गूगल के सन्दर्भ में देखें तो बहुत लोगों का मानना है कि जो कुछ इस पर मिल गया, वह सच है। कई लोग फर्जी खबरें शेयर करते रहते हैं। जब उनसे पूछा जाता है- 'क्या यह खबर सही है?' तो उनका जवाब होता है- 'मुझे गूगल पर मिली थी, इसलिए सही ही होगी!' इन दिनों 'गूगल सर्च' में कई लोगों के साथ धोखाधड़ी हो रही है। ऐसे बहुत मामले सामने आ चुके हैं, जब किसी कंपनी की सेवाओं के बारे में जानकारी लेने के लिए 'कस्टमर केयर' नंबर सर्च किया गया तो साइबर अपराधियों का नंबर मिला। दरअसल साइबर अपराधियों को मालूम है कि कुछ खास कीवर्ड जोड़ने से उनके द्वारा डाली गई फर्जी जानकारी सर्च में आ जाएगी। बहुत लोग उस पर विश्वास कर लेते हैं और जब दिए गए नंबर पर कॉल करते हैं तो साइबर अपराधी उनका बैंक खाता खाली कर देते हैं। किसी व्यक्ति को डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेना है, किसी को बैंक के कामकाज से जुड़ी जानकारी लेनी है, किसी ने ऑनलाइन शॉपिंग की थी, लेकिन सामान नहीं आया, किसी का पार्सल आने वाला था, जो अब तक नहीं पहुंचा ... ऐसे मामलों में लोग 'फोन नंबर' या 'कस्टमर केयर नंबर' टाइप कर सर्च करते हैं, जो बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। सिर्फ आधिकारिक वेबसाइट के जरिए संपर्क करना चाहिए। गूगल, फेसबुक, एक्स, वॉट्सऐप ... इन पर सही जानकारी के साथ आधी-अधूरी और गलत जानकारी की भी भरमार है। इसलिए 'आंखें खुली रखें' और विवेक से काम लें। तकनीक पर आंखें मूंदकर भरोसा न करें।

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