एआई की माया

पिछले दिनों अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का 'डीपफेक वीडियो' सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था

एआई की माया

अब एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी का डीपफेक बनाकर गाजियाबाद में एक बुजुर्ग से ठगी की घटना हुई है

प्राचीन ग्रंथों में देवों और दानवों की कथाएं बहुत पढ़ने को मिलती हैं। देवता जहां अपनी शक्ति का उपयोग सत्य की रक्षा करने के लिए करते थे, वहीं दानव थोड़ी-सी भी शक्ति पा जाते, तो चहुंओर त्राहि-त्राहि मचा देते। कई दानव माया का ज्ञान भी प्राप्त कर लेते थे, जिससे वे वेश बदलकर बड़े-बड़े पाप और पाखंड में लिप्त हो जाते थे। इन दिनों एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से डीपफेक वीडियो बनाने की कला भी ऐसे लोगों के हाथों में आ गई है, जिसके बूते उन्होंने आम लोगों को लूटना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का 'डीपफेक वीडियो' सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, अब एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी का डीपफेक बनाकर गाजियाबाद में एक बुजुर्ग से ठगी की जो घटना हुई है, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली है। वीडियो को देखकर कहीं से भी आभास नहीं होता कि यह फर्जी है। इस वीडियो में वे अधिकारी धमकी देते नजर आते हैं। यही नहीं, इस वीडियो से साइबर ठग ने उन बुजुर्ग से 74 हजार रुपए ठग लिए। उसने और रुपयों के लिए सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी का चेहरा सामने रखकर वीडियो कॉल किया तो बुजुर्ग की बेटी ने दूसरे मोबाइल फोन से वीडियो रिकॉर्ड कर लिया और पुलिस को सूचित कर दिया। बाद में पता चला कि यह डीपफेक वीडियो है और इसमें दिखाई दे रहे अधिकारी अब सेवारत नहीं हैं और न उन्होंने वीडियो कॉल के जरिए उन बुजुर्ग से संपर्क किया था! वीडियो में अधिकारी के चेहरे और आवाज का इस्तेमाल किया गया था। यह तो अच्छा हुआ कि उन बुजुर्ग ने अपनी बेटी से इस बात का जिक्र कर दिया, जिसके बाद उन्होंने पुलिस की मदद ली। अन्यथा साइबर ठग उनकी जीवनभर की जमा-पूंजी ले उड़ते।

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बड़ा सवाल है- जब कभी पुलिस या किसी जांच एजेंसी के नाम से फर्जी वीडियो कॉल आता है तो लोग उनके झांसे में क्यों आ जाते हैं? इसका जवाब है- डर। जी हां, साइबर ठग आम जनता के 'डर' का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं। भारत में पुलिस के साथ आम जनता के संबंध मधुर नहीं माने जा सकते। सीधे और शरीफ लोगों के मन में पुलिस की जो छवि है, उसकी वजह से वे उसके साथ अपनी समस्या साझा करने से डरते हैं। साइबर अपराधी इस बात से भलीभांति परिचित हैं। वे इसी डर का फायदा उठाकर शरीफ लोगों को धमकाते हैं। कभी कहते हैं कि आपके नाम पर जो पार्सल आया है, उसमें गांजा या कोई आपत्तिजनक चीज मिली है। किसी को यह कहकर डराया जाता है कि आपके आधार कार्ड पर आतंकवादियों ने सिम ले रखी है। कोई व्यक्ति इस धौंस में आ जाता है कि जिस लड़का / लड़की से आप ऑनलाइन बातचीत करते थे, उसने आत्महत्या कर ली है। ठगों के पास ऐसे बहानों की लंबी सूची है, जिनमें से किसी एक को चुनकर वे लोगों को डराते हैं, फिर उनके बैंक खाते खाली कर देते हैं। ऐसी स्थिति में पीड़ित को पुलिस थाने जाकर शिकायत दर्ज करानी चाहिए, लेकिन उसके मन में डर होता है कि कहीं वहां मुझसे अभद्र व्यवहार न हो जाए ... मुझे गिरफ्तार कर जेल में न डाल दिया जाए! वह अंदर ही अंदर घुटन महसूस करता रहता है। डीपफेक वीडियो बनाकर लोगों को ठगने वाले इंटरनेट के दानवों को कानून की नकेल डालनी होगी। इसके साथ ही जनता और पुलिस के बीच अविश्वास की खाई को पाटना जरूरी है। ऐसा माहौल बनाया जाए कि अगर किसी को साइबर ठग सताए तो पीड़ित बेखौफ होकर पुलिस के पास जाए और वहां अधिकारी हमदर्दी से पेश आते हुए उसकी मदद करें। अन्यथा भविष्य में साइबर ठग डीपफेक से और भी बड़े अपराध कर सकते हैं।

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