कर्नाटक: लोकसभा चुनाव के लिए 'जिताऊ' उम्मीदवार की तलाश, क्या पूरी होगी कांग्रेस की आस?

हालांकि कुछ जगहों पर 'उम्मीदवार' हैं भी, लेकिन वे चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं

कर्नाटक: लोकसभा चुनाव के लिए 'जिताऊ' उम्मीदवार की तलाश, क्या पूरी होगी कांग्रेस की आस?

कुछ जिलों से उम्मीदवारों के बारे में रिपोर्टें मिल चुकी हैं, लेकिन उनसे प्रदेश के नेता संतुष्ट नहीं हैं

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक में लोकसभा के 20 निर्वाचन क्षेत्रों में जीतने की रणनीति तैयार करने के लिए वाली कांग्रेस को आगामी चुनावों में 'जिताऊ' उम्मीदवार ढूंढ़ने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। मुख्यमंत्री सिद्दरामैया के प्रतिनिधित्व वाले चामराजनगर, मैसूरु-कोडगु लोकसभा क्षेत्र सहित राज्य के 15 निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों की तलाश हो रही है।

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पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बेंगलूरु ग्रामीण को छोड़कर 27 सीटों पर हार गई थी। उस समय, जद (एस) के साथ गठबंधन में मैदान में उतरी कांग्रेस को केवल एक निर्वाचन क्षेत्र में जीत मिली थी। इसी तरह, जद (एस) भी केवल हासन निर्वाचन क्षेत्र से जीती और बाकी में हार गई्। हालांकि, राज्य के 28 लोकसभा क्षेत्रों में से भाजपा ने 25 निर्वाचन क्षेत्रों में अभूतपूर्व जीत हासिल कर एक नया इतिहास रचा था।

विधानसभा चुनाव में 136 सीटें जीतकर सत्ता में आई कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में भी इन्हीं आंकड़ों के आधार पर कम से कम 20 सीटें जीतीं और शीर्ष पंक्ति के नेताओं ने तारीफ पाने के लिए काफी प्रयास किए।

केवल मैसूरु-कोडगु निर्वाचन क्षेत्र नहीं, मांड्या, हसन, चामराजनगर, कोलार, तुमकूरु, बेंगलूरु सेंट्रल, बेंगलूरु दक्षिण, विजापुर, धारवाड़, उत्तर कन्नड़, उडुपी-चिक्कमगलुरु, हावेरी, रायचूर 15 निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसे उम्मीदवार ढूंढ़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है, जिन पर जीतने के वास्ते दांव लगाया जा सके।

हालांकि कुछ जगहों पर उम्मीदवार हैं भी, लेकिन वे चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इस कमी को दूर करने के लिए पर्दे के पीछे से भाजपा और जद (एस) के करिश्माई और प्रभावशाली नेताओं को आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है। जद (एस), भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में शामिल हो गई है। वहीं, बीवाई विजयेंद्र को राज्य भाजपा अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है।

विपक्षी दलों के नेता, जिन्होंने पहले कांग्रेस में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी, वे अब पीछे हट गए हैं। हालांकि मंत्री के प्रभार के तहत प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए समितियां नियुक्त की गई हैं, लेकिन 'जिताऊ' उम्मीदवार ढूंढ़ने में उन्हें भी खूब मेहनत करनी पड़ रही है।

कुछ जिलों से उम्मीदवारों के बारे में रिपोर्टें मिल चुकी हैं, लेकिन उनसे प्रदेश के नेता संतुष्ट नहीं हैं। अब देखना यह होगा कि सिद्दरामैया और शिवकुमार आगे क्या रणनीति बनाएंगे!

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