सख्त नसीहत जरूरी

पिछले दिनों अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का 'डीपफेक वीडियो' सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था

सख्त नसीहत जरूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कृत्रिम मेधा (एआई) द्वारा बनाए गए डीपफेक वीडियो से संबंधित खतरों को लेकर आगाह कर चुके हैं

डीपफेक मुद्दे पर केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री अश्विनी वैष्णव का यह बयान कि  'सरकार जल्द ही इस पर सोशल मीडिया मंचों से चर्चा करेगी और अगर उन्होंने इस संबंध में पर्याप्त कदम नहीं उठाए तो उन्हें आईटी अधिनियम के ‘सेफ हार्बर प्रतिरक्षा’ खंड के तहत संरक्षण नहीं मिलेगा' स्वागत-योग्य है। 

Dakshin Bharat at Google News
पिछले दिनों जिस तरह अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का 'डीपफेक वीडियो' सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, उसके मद्देनजर सोशल मीडिया कंपनियों की बड़ी जिम्मेदारी है कि वे सतर्क रहें और अगर किसी ऐसे वीडियो को लेकर शिकायत प्राप्त हो तो उस पर समुचित कार्रवाई भी करें। कोई व्यक्ति किसी को निशाना बनाने के लिए डीपफेक वीडियो का निर्माण करता है तो उसका अगला कदम सोशल मीडिया पर इसे प्रसारित करना होता है। इसके अलावा उसकी मंशा किसी की मानहानि, दुष्प्रचार, किसी को भ्रमित करना, अशांति फैलाना या प्रभावित करना हो सकता है। 

सोशल मीडिया पहले ही बहुत असुरक्षित हो गया है। यहां शातिर अपराधी आए दिन लोगों को तरह-तरह से लूट रहे हैं। इसको ध्यान में रखते हुए कई लोग तो सोशल मीडिया को छोड़ चुके हैं। अब डीपफेक तकनीक अपराधियों के लिए ऐसा अस्त्र साबित हो सकती है, जिस पर समय रहते नियंत्रण के उपाय नहीं किए गए तो अपराध बढ़ने की आशंका है, खासकर आर्थिक अपराध और ऑनलाइन ठगी। 

वैष्णव ने उचित कहा, 'वे कदम उठा रहे हैं ... लेकिन हमें लगता है कि कई और कदम उठाने होंगे। ... और हम बहुत जल्द ... शायद अगले तीन-चार दिनों में सभी मंचों की एक बैठक करने जा रहे हैं। हम उन्हें इस पर विचार-मंथन के लिए बुलाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि मंच इसे (डीपफेक) रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास करें और अपने तंत्र को साफ़ करें।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कृत्रिम मेधा (एआई) द्वारा बनाए गए डीपफेक वीडियो से संबंधित खतरों को लेकर आगाह कर चुके हैं। बेशक ऐसे वीडियो समाज में असंतोष पैदा कर कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर सकते हैं। सोशल मीडिया कंपनियां अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकतीं। अभी उनके मंच पर 'फेक न्यूज' खूब प्रसारित हो रही हैं। 

कंपनियां दावा करती हैं कि वे अपने मंच को ऐसी सामग्री से साफ रखेंगी, लेकिन जब तक कोई कार्रवाई होती है, वह सामग्री सोशल मीडिया पर काफी प्रसारित हो जाती है। इससे बड़ा भ्रम फैलता है। हाल में कुछ वॉट्सऐप समूहों में एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ था, जिसके बारे में यह दावा किया जा रहा था कि वह जम्मू-कश्मीर का है, जहां सुरक्षा बलों द्वारा आम लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। वह दावा पूरी तरह ग़लत था, क्योंकि उस वीडियो का जम्मू-कश्मीर से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं था। वह सीरिया का पुराना वीडियो था, लेकिन कुछ शरारती तत्त्वों ने इसके जरिए झूठ फैलाने की कोशिश की। 

ऐसे वीडियो को प्रसारित करने के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ हो सकता है। भारत ने अपने विभिन्न अभियानों में पाक मूल के जिन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया, उन्होंने पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए थे। उनका कहना था कि जब उन्हें आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया गया तो जज्बात भड़काने के लिए ऐसे वीडियो दिखाए गए, जिनमें सुरक्षा बलों द्वारा आम लोगों पर हिंसा की जा रही थी। उन वीडियो के जरिए उनके दिमाग में भारत के खिलाफ जहर भरा गया। असल में वे वीडियो इराक, यमन, सीरिया, अफगानिस्तान ... जैसे देशों के थे, जहां काफी समय से खून-खराबा हो रहा है। 

डीपफेक तकनीक युवाओं को भ्रमित करने में खतरनाक किरदार निभा सकती है। लिहाजा सरकार को सोशल मीडिया कंपनियों को सख्त नसीहत देनी चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर झूठ फैलाने की इजाजत किसी को नहीं होनी चाहिए।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

गांदरबल हमला: व्यापक तलाशी अभियान का आगाज, सबूत ढूंढ़ने में जुटे एनआईए के अधिकारी गांदरबल हमला: व्यापक तलाशी अभियान का आगाज, सबूत ढूंढ़ने में जुटे एनआईए के अधिकारी
Photo: NIA
हिज़्बुल्लाह ने इज़राइल के हर्मीस-900 ड्रोन को मार गिराने का दावा किया
ये पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोले- 'यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थ बनने के लिए भारत के पास है विश्वसनीयता'
जब तक आतंकी हमले बंद न करे पाक, न हो उसके साथ कोई बातचीत: फारूक अब्दुल्ला
उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक को कक्षा 8 से 10 की अर्धवार्षिक परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने से रोका
निर्दोष नागरिकों की हत्या करना और हिंसा फैलाना अपराध हैं: प्रियंका वाड्रा
डिजिटल मंच और राष्ट्रीय सुरक्षा