पूर्वी एशिया सम्मेलन: संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के लिए संयुक्त प्रयासों पर क्या बोले मोदी?

प्रधानमंत्री ने कहा कि क्षेत्र के सभी देशों की हिंद-प्रशांत में शांति, सुरक्षा और समृद्धि में रुचि है

पूर्वी एशिया सम्मेलन: संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के लिए संयुक्त प्रयासों पर क्या बोले मोदी?

आसियान के कई सदस्य देशों ने ‘चीन के मानक मानचित्र’ के नवीनतम संस्करण पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी

जकार्ता/भाषा। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को सभी देशों की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को मजबूत करने के लिए सभी की प्रतिबद्धता और संयुक्त प्रयासों की वकालत की।

Dakshin Bharat at Google News
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि भारत का मानना है कि दक्षिण चीन सागर के लिए आचार संहिता प्रभावी होना चाहिए और यह संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओएस) के अनुरूप होनी चाहिए।

उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब कुछ दिन पहले मलयेशिया, वियतनाम और फिलीपीन जैसे आसियान के कई सदस्य देशों ने ‘चीन के मानक मानचित्र’ के नवीनतम संस्करण में दक्षिण चीन सागर पर बीजिंग के क्षेत्रीय दावे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

गत 28 अगस्त को, बीजिंग ने ‘चीन के मानक मानचित्र’ का 2023 संस्करण जारी किया था, जिसमें ताइवान, दक्षिण चीन सागर, अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चीन को चीनी क्षेत्रों के रूप में शामिल किया गया है। भारत ने ‘मानचित्र’ को खारिज कर दिया है और इसे लेकर चीन के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि क्षेत्र के सभी देशों की हिंद-प्रशांत में शांति, सुरक्षा और समृद्धि में रुचि है।

उन्होंने कहा, समय की मांग एक ऐसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र की है, जहां यूएनसीएलओएस सहित अंतरराष्ट्रीय कानून सभी देशों पर समान रूप से लागू हो। जहां नौपरिवहन और ऊपर से उड़ान की स्वतंत्रता हो और जहां सभी के लाभ के लिए बेरोक-टोक वैध व्यापार हो।

मोदी ने कहा, भारत का मानना है कि दक्षिण चीन सागर के लिए आचार संहिता प्रभावी होनी चाहिए, यूएनसीएलओएस के अनुरूप होना चाहिए और इसमें उन देशों के हितों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए जो चर्चा का हिस्सा नहीं हैं।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख मंच है। वर्ष 2005 में अपनी स्थापना के बाद से, इसने पूर्वी एशिया के रणनीतिक, भू-राजनीतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आसियान के सदस्य देशों के अलावा, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत, चीन, जापान, कोरिया गणराज्य, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस शामिल हैं।

मोदी ने कहा, वर्तमान वैश्विक परिदृश्य कठिन परिस्थितियों और अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है। आतंकवाद, उग्रवाद और भू-राजनीतिक संघर्ष हम सभी के लिए बड़ी चुनौतियां हैं।

उन्होंने कहा, इनका सामना करने के लिए बहुपक्षवाद और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पूरी तरह से पालन करना आवश्यक है। और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को मजबूत करने के लिए सभी की प्रतिबद्धता और संयुक्त प्रयास भी आवश्यक हैं।

उन्होंने कहा, जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि आज का युग युद्ध का नहीं है। बातचीत और कूटनीति ही समाधान का एकमात्र रास्ता है।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News