
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने घोटाला मामले में आईपीएस अधिकारी के खिलाफ मामला रद्द किया
उच्च न्यायालय ने दलील को स्वीकार कर लिया और उनके खिलाफ मामले को रद्द कर दिया
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 7, 7ए, 8, 10, 11, 12 आर/डब्ल्यू, 13(2) और 13 (1)(डी) के तहत आरोप लगाए गए थे
बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आई मॉनेटरी एडवाइजरी (आईएमए) घोटाले के संबंध में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजय हिलोरी के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द कर दिया है।
पूर्वी बेंगलूरु के पूर्व पुलिस उपायुक्त हिलोरी पर आईएमए से संबंधित मामले में रिश्वत मांगने और स्वीकार करने का आरोप लगा था।
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक फरवरी, 2020 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें हिलोरी को आरोपी संख्या दो के रूप में नामित किया गया था।
निचली अदालत के समक्ष सीबीआई द्वारा दायर पूरक आरोप पत्र में उन्हें आरोपी संख्या 26 के रूप में नामित किया गया था। उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 7, 7ए, 8, 10, 11, 12 आर/डब्ल्यू, 13(2) और 13 (1)(डी) के तहत आरोप लगाए गए थे।
हिलोरी ने अपने खिलाफ दर्ज मामले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और दलील दी थी कि इस मामले में एक विभागीय जांच की गई थी, जिसमें उन्हें दोषी नहीं पाया गया।
न्यायाधीश एम. नागाप्रसन्ना ने अपने फैसले में कहा, विभागीय जांच पूरी होने के बाद जांच अधिकारी ने याचिकाकर्ता को आईएमए से संबंधित मामले में रिश्वत की मांग और स्वीकार करने के आरोप से दोषमुक्त कर दिया था। इसलिए, याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने का अनुरोध किया।
उच्च न्यायालय ने इस दलील को स्वीकार कर लिया और उनके खिलाफ मामले को रद्द कर दिया।
उच्च न्यायालय ने हिलोरी के खिलाफ मामला रद्द करते हुए स्पष्ट किया कि उसका फैसला केवल भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी के संबंध में है, अन्य आरोपियों के संबंध में नहीं।
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