'मन की बात' की 101वीं कड़ी में क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी?

प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सभी ने जो आत्मीयता और स्नेह ‘मन की बात’ के लिए दिखाया है, वह अभूतपूर्व है

'मन की बात' की 101वीं कड़ी में क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी?

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की शक्ति इसकी विविधता में है

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम की 101वीं कड़ी में देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस बार ‘मन की बात’ का यह एपिसोड सेकंड सेंचुरी का प्रारंभ है। पिछले महीने हम सभी ने इसकी स्पेशल सेंचुरी को सेलेब्रेट किया है। आपकी भागीदारी ही इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी ताकत है। 100वें एपिसोड के ब्रॉडकास्ट के समय, एक प्रकार से पूरा देश एक सूत्र में बंध गया था। हमारे सफाईकर्मी भाई-बहन हों या फिर अलग-अलग सेक्टरों के दिग्गज, ‘मन की बात’ ने सबको एक साथ लाने का काम किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सभी ने जो आत्मीयता और स्नेह ‘मन की बात’ के लिए दिखाया है, वह अभूतपूर्व है, भावुक कर देने वाला है। जब ‘मन की बात’ का प्रसारण हुआ, तो उस समय दुनिया के अलग-अलग देशों में, अलग-अलग टाइम जोन में, कहीं शाम हो रही थी तो कहीं देर रात थी, इसके बावजूद, बड़ी संख्या में लोगों ने 100वें एपिसोड को सुनने के लिए समय निकाला। 

मैंने हजारों मील दूर न्यूजीलैंड का वो विडियो भी देखा, जिसमें 100 वर्ष की एक माताजी अपना आशीर्वाद दे रही हैं। ‘मन की बात’ को लेकर देश-विदेश के लोगों ने अपने विचार रखे हैं। बहुत सारे लोगों ने रचनात्मक विश्लेषण भी किया है। लोगों ने इस बात की प्रशंसा की है कि ‘मन की बात’ में देश और देशवासियो की उपलब्धियों की ही चर्चा होती है। मैं एक बार फिर आप सभी को इस आशीर्वाद के लिए पूरे आदर के साथ धन्यवाद देता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते दिनों हमने ‘मन की बात’ में काशी-तमिल संगमम की बात की, सौराष्ट्र-तमिल संगमम की बात की। कुछ समय पहले ही वाराणसी में, काशी-तेलुगु संगमम भी हुआ। एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को ताकत देने वाला ऐसे ही एक और अनूठा प्रयास देश में हुआ है। यह प्रयास है, युवा संगम का। मैंने सोचा, इस बारे में विस्तार से क्यों न उन्हीं लोगों से पूछा जाए, जो इस अनूठे प्रयास का हिस्सा रहे हैं। इसलिए अभी मेरे साथ फ़ोन पर दो युवा जुड़े हुए हैं - एक हैं अरुणाचल प्रदेश के ग्यामर न्योकुम और दूसरी बेटी है बिहार की विशाखा सिंह। 

(इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी उनसे बातचीत करते हैं)

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की शक्ति इसकी विविधता में है। हमारे देश में देखने के लिए बहुत कुछ है। इसी को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने ‘युवासंगम’ नाम से एक बेहतरीन पहल की है। इस पहल का उद्देश्य पीपल टू पीपल कनेक्ट बढ़ाने के साथ ही देश के युवाओं को आपस में घुलने-मिलने का मौका देना। विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षा संस्थानों को इससे जोड़ा गया है। ‘युवासंगम’ में युवा दूसरे राज्यों के शहरों और गावों में जाते हैं, उन्हें अलग-अलग तरह के लोगों के साथ मिलने का मौका मिलता है। युवासंगम के पहले दौर में लगभग 1200 युवा, देश के 22 राज्यों का दौरा कर चुके हैं। जो भी युवा इसका हिस्सा बने हैं, वे अपने साथ ऐसी यादें लेकर वापस लौट रहे हैं, जो जीवनभर उनके ह्रदय में बसी रहेंगी। हमने देखा है किकई बड़ी कंपनियों के सीईओ, बिजनेस लीडर, उन्होंने बैग-पैकर्स की तरह भारत में समय गुजारा है। मैं जब दूसरे देशों के लीडर्स से मिलता हूं, तो कई बार वो भी बताते हैं कि वो अपनी युवावस्था में भारत घूमने के लिए गए थे। हमारे भारत में इतना कुछ जानने और देखने के लिए है कि आपकी उत्सुकता हर बार बढ़ती ही जाएगी। मुझे उम्मीद है कि इन रोमांचक अनुभवों को जानकर आप भी देश के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा के लिए जरूर प्रेरित होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सबने एक कहावत कई बार सुनी होगी, बार-बार सुनी होगी - बिन पानी सब सून। बिना पानी जीवन पर संकट तो रहता ही है, व्यक्ति और देश का विकास भी ठप्प पड़ जाता है। भविष्य की इसी चुनौती को देखते हुए आज देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा रहा है। हमारे अमृत सरोवर, इसलिए विशेष हैं, क्योंकि, ये आजादी के अमृत काल में बन रहे हैं और इसमें लोगों का अमृत प्रयास लगा है। आपको जानकर अच्छा लगेगा कि अब तक 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों का निर्माण भी हो चुका है। ये जल संरक्षण की दिशा में बहुत बड़ा कदम है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 1965 के युद्ध के समय, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। बाद में अटलजी ने इसमें जय विज्ञान भी जोड़ दिया था। कुछ वर्ष पहले, देश के वैज्ञानिकों से बात करते हुए मैंने जय अनुसंधान की बात की थी। ‘मन की बात’ में आज बात एक ऐसे व्यक्ति की, एक ऐसी संस्था की, जो, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान, इन चारों का ही प्रतिबिंब है। ये सज्जन हैं, महाराष्ट्र के शिवाजी शामराव डोले। शिवाजी डोले, नासिक जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। वे गरीब आदिवासी किसान परिवार से आते हैं, और एक पूर्व सैनिक भी हैं। फौज में रहते हुए उन्होंने अपना जीवन देश के लिए लगाया। रिटायर होने के बाद उन्होंने कुछ नया सीखने का फैसला किया और कृषि में डिप्लोमा किया, यानी वे जय जवान से, जय किसान की तरफ बढ़ चले। अब हर पल उनकी कोशिश यही रहती है कि कैसे कृषि क्षेत्र में अपना अधिक से अधिक योगदान दें। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ में इस बार इतना ही। अगली बार कुछ नए विषयों के साथ आपके बीच आऊंगा, तब तक कुछ इलाकों में गर्मी और ज्यादा बढ़ चुकी होगी। कहीं-कहीं पर बारिश भी शुरू हो जाएगी। आपको मौसम की हर परिस्थिति में अपनी सेहत का ध्यान रखना है। 21 जून को हम ‘विश्व योग दिवस’ भी मनाएंगे। उसकी भी देश-विदेश में तैयारियां चल रही हैं। आप इन तैयारियों के बारे में भी अपने ‘मन की बात’ मुझे लिखते रहिए। किसी और विषय पर कोई और जानकारी अगर आपको मिले तो वो भी मुझे बताइयेगा। मेरा प्रयास ज्यादा से ज्यादा सुझावों को ‘मन की बात’ में लेने का रहेगा। एक बार फिर आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। अब मिलेंगे- अगले महीने, तब तक के लिए मुझे विदा दीजिए।

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