युद्ध का नया मोर्चा

आम लोग भी निशाने पर हैं

युद्ध का नया मोर्चा

यह मुद्दा काफी चर्चा में है

भारत सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद जो कदम उठाए हैं, उनसे पाकिस्तान में भारी घबराहट है। पाक पर निर्णायक चोट करने के लिए उसकी घेराबंदी की जा रही है। इस दौरान आम नागरिकों को बहुत सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि दुश्मन एक ऐसा युद्ध शुरू कर चुका है, जिसमें कोई धमाका नहीं हो रहा, लेकिन नुकसान हो सकता है। वह है- साइबर युद्ध! पाकिस्तानी हैकरों ने भारत की कई सरकारी वेबसाइटों पर हमले किए हैं। आम लोग भी इनके निशाने पर हैं। यह युद्ध मोबाइल फोन और कंप्यूटरों के जरिए लड़ा जा रहा है। इसका हमें ज्ञान होना जरूरी है, क्योंकि जरा-सी गलती खुद का और देश का बड़ा नुकसान करवा सकती है। चूंकि पूरा देश चाहता है कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत सरकार बहुत सख्त कार्रवाई करे, इसलिए यह मुद्दा वॉट्सऐप समूहों पर काफी चर्चा में है। लोगों के पास इससे संबंधित जो भी लिंक आ रहे हैं, वे उन पर क्लिक कर रहे हैं। इसके अलावा जिन फाइलों के नाम में 'पहलगाम', 'इंडियन आर्मी', 'इंडियन एयरफोर्स' जैसे शब्द लिखे होते हैं, लोगों के मन में उन्हें जल्द डाउनलोड करने और खोलने की जिज्ञासा होती है। अनजान और गैर-भरोसेमंद लोगों द्वारा भेजी गईं ऐसी फाइलों में वायरस हो सकते हैं। यह आईएसआई का पुराना तरीका है। ऐसी फाइल को डाउनलोड करते ही हैकर सिस्टम में सेंध लगा सकते हैं। उसके बाद पूरे डेटा तक उनकी पहुंच हो जाती है। जो लोग खुद या उनके परिवार का कोई सदस्य सुरक्षा बलों में कार्यरत है, उन्हें बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे माहौल में छोटी-छोटी बातें, जो संभवत: हमें ज्यादा महत्त्वपूर्ण न लगें, लेकिन दुश्मन उनका फायदा उठा सकता है।  

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राजस्थान में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित कई गांवों में लोगों के पास ऐसी फोन कॉल आई हैं, जिनमें बहुत चालाकी से हमारे सुरक्षा बलों के वाहनों की आवाजाही से जुड़ी जानकारी लेने की कोशिश की गई। आईएसआई के एजेंट अन्य राज्यों में भी लोगों को कॉल कर रहे हैं। वे पहले आत्मीयता जताते हैं, उसके बाद बातों में उलझाते हैं, फिर कोई जानकारी लेने की कोशिश करते हैं। आम आदमी को शायद पता भी न चले कि उसने जिस व्यक्ति को जानकारी दी है, वह उसका कितना दुरुपयोग कर सकता है! एक ऑडियो कॉल में आईएसआई का एजेंट किसी भारतीय किशोर (जिसके पिता सेना में सेवारत हैं) को फोन करते हुए बड़ी चालाकी से यह जानकारी लेने की कोशिश कर रहा था कि उसके नजदीकी रेलवे स्टेशन से कितने सैनिक गए हैं! हालांकि उस बच्चे ने बहुत सूझबूझ दिखाई और ऐसी कोई भी जानकारी देने से साफ इन्कार कर दिया। अनजान व्यक्ति द्वारा फोन पर ऐसी सूचना मांगे जाने की स्थिति में यही करना चाहिए। ऐसे लोगों की पहचान बहुत आसानी से की जा सकती है। प्राय: ये लोग 'जे हिंद' कहते हुए अभिवादन करते हैं। ज्यादातर का लहजा पाकिस्तानी पंजाब का होता है। वे हिंदी के ऐसे शब्दों का भी प्रयोग करते हैं, जो आम भारतीय सामान्य बोलचाल में नहीं करता। प्राय: उन शब्दों का उच्चारण ग़लत होता है। जैसे - मेरा उनसे 'वरतालाप' (वार्तालाप) हुआ था। ये लोग कुछ नामों का उच्चारण करते समय अपनी पोल खुद ही खोल देते हैं। जैसे- राधे श्याम को राधे शयाम/शियाम, विजय को विजे/वजे, अर्जुन को अरजन, अरविंद को अरबंद, कर्ण सिंह को करन सिंघ कहते हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि उनके उच्चारण पर पाकिस्तानी पंजाबी और उर्दू का गहरा असर होता है। इसे आसानी से दूर नहीं किया जा सकता। अलबत्ता हिंदी जानने वाले भारतीय नागरिक इनके उच्चारण की ओर थोड़ा-सा ध्यान देकर असलियत का पता लगा सकते हैं। इन नंबरों की सूचना पुलिस या सुरक्षा बलों को जरूर देनी चाहिए। समस्त भारतवासी एकजुट और सजग रहकर ही दुश्मन को मात दे सकते हैं।

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