अवसरवादी पाक

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रूसी सांसद इगोर मोरोजोव का यह दावा चिंताजनक है


रूसी सांसद इगोर मोरोजोव का यह दावा चिंताजनक है कि यूक्रेन परमाणु बम बनाने की कोशिश में जुटा है, जिसकी मदद पाकिस्तान कर रहा है। हालांकि इस पर आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए, चूंकि इस मामले में पाकिस्तान का रिकॉर्ड पहले भी बहुत खराब रहा है। अपनी आतंकवादी हरकतों के लिए बदनाम यह पड़ोसी देश परमाणु शक्ति को लेकर हमेशा अगंभीर रवैया रखता रहा है, जिसकी वजह से इसके सेना प्रमुख से लेकर मंत्री तक इसके इस्तेमाल की धमकियां देते रहते हैं। 

इस समय यूक्रेन की हालत पतली है। रूस उस पर खूब गोले दाग रहा है। हालांकि रूस की स्थिति भी कोई बहुत अच्छी नहीं है। वह अब तक विजयी नहीं हुआ है, लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कोई नरमी बरतने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने हाल में ऐसे जनरल को कार्रवाइयों का जिम्मा सौंपा, जो अपनी क्रूरता के लिए जाना जाता है। यूक्रेन को अमेरिका से अपेक्षित सहायता नहीं मिली। उसके शहर खंडहर हो चुके हैं। अर्थव्यवस्था चौपट है। इस स्थिति में उसका परमाणु बम की ओर रुझान होना स्वाभाविक-सा प्रतीत होता है। 

अगर पाकिस्तान उसे परमाणु तकनीक बेचकर बम बनाने की स्थिति में ले आता है तो इसके परिणाम अत्यंत गंभीर होंगे। फिर यह तबाही करोड़ों लोगों को लपेटे में ले सकती है, क्योंकि अगर यूक्रेन परमाणु अस्त्रों का इस्तेमाल करता है तो पुतिन का रुख क्या होगा, यह बताने की आवश्यकता नहीं है, जो पहले ही परमाणु हथियार ले जाने में समक्ष मिसाइलों का प्रदर्शन कर अप्रत्यक्ष रूप से यूरोप व अमेरिका को चेता चुके हैं। बेहतर तो यह होगा कि युद्ध तुरंत रुके और दोनों ओर की सेनाएं पूर्व स्थिति में लौट जाएं, लेकिन यह कठिन प्रतीत होता है।

पुतिन के सामने 'नाक बचाने' का सवाल है। वे रूसी जनता के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते हैं कि जो उनसे टकराने की जुर्रत करेगा, उसका यही हाल होगा। अगर रूसी सेना यूक्रेन से बिना किसी निर्णायक विजय के लौटती है तो इससे रूस में पुतिन के खिलाफ भारी असंतोष भड़क सकता है। फिर उनके प्रतिद्वंद्वी और जनता की ओर से यह सवाल पूछा जा सकता है कि 'जब कुछ हासिल नहीं हुआ तो इतने सैनिकों का क्यों बलिदान कराया, क्यों अरबों डॉलर का नुकसान मोल लिया?' 

पाकिस्तान अवसरवादी है। उसकी अर्थव्यवस्था पहले ही नष्ट हो चुकी है। बाकी कसर इस साल आई बाढ़ ने पूरी कर दी। निर्यात के नाम पर ऐसा कुछ नहीं है, जिससे खजाने में डॉलर आ सकें। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ चीन गए हैं ताकि और कर्ज मिल जाए। इस आर्थिक संकट में उसे अरबों डॉलर चाहिएं, जिसके लिए वह परमाणु तकनीक बेचने से भी नहीं हिचकेगा। उसके कुख्यात शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक रहे अब्दुल कदीर खान उत्तर कोरिया, लीबिया, ईरान जैसे देशों को यह तकनीक बेच चुके हैं, जिसके बाद उन्हें नजरबंद भी रहना पड़ा था। 

अगर मौजूदा शहबाज सरकार कंगाली से तुरंत राहत पाने के लिए परमाणु तकनीक बेच देती है तो इससे पाक का आर्थिक संकट जरूर कुछ कम हो जाएगा, लेकिन विश्व के समक्ष गंभीर संकट उपस्थित हो जाएगा। इसे रोकने के लिए सक्षम संगठनों और एजेंसियों को पाकिस्तान पर कड़ी नजर रखनी होगी। उसे जवाबदेह बनाना होगा। अगर जरूरी हो तो पाक पर कठोर प्रतिबंध लगाए जाएं। परमाणु शक्ति गंभीर जवाबदेही और अत्यंत संयम का विषय है। पाक जैसे देशों के पास परमाणु अस्त्र होना बंदर के हाथ में दियासलाई होने जैसा है।

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