आतंकवाद का चक्रव्यूह

आतंकवाद का चक्रव्यूह

भारत पिछले कई दशकों से पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद का सामना करता आ रहा है। जम्मू और कश्मीर में जिस तरह से रोजाना आतंकियों से सुरक्षाकर्मियों की झ़डप होती है उससे सा़फ है कि आतंकवाद की समस्या कितनी गंभीर है। पकिस्तान द्वारा आतंकवाद को दिए जा रहे समर्थन का खुलासा भारत द्वारा लगातार दुनिया के समक्ष किया जाता रहा है। पिछले ही दिनों आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन को अमेरिका द्वारा अंतराष्ट्रीय आतंकी संगठनों की सूची में शामिल किए जाने के बाद उस पर पाबंदी लगाई गयी है। आतंक के खिलाफ भारत की ल़डाई को अमेरिका के इस फैसले से कुछ हद तक सहायता मिल सकेगी और साथ ही अमेरिका के आतंकवाद और पकिस्तान के सन्दर्भ में लगातार बदल रहे ऩजरिए का भी फायदा भारत को होगा। पाकिस्तान के प्रशासन द्वारा जिस तरह से हिजबुल मुजाहिद्दीन पर पाबंदी के बाद अमेरिकी सरकार के फैसले पर निराशा जताई है उससे यह समझ आता है कि पाकिस्तान और आतंकवाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। पाकिस्तान धीरे-धीरे आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का नया घरौंदा बनता जा रहा है। आईएस पाकिस्तान में अपना जाल फैलता जा रहा है। अपनी हरकतों से न तो पाकिस्तान बा़ज आता है और नहीं आईएस। ट्रंप प्रशासन को यह समझ आ गया है कि अगर अभी से पाकिस्तान पर नकेल नहीं कसी जाए तो इसका अंजाम खतरनाक हो सकता है। गुरुवार को बार्सिलोना में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी आईएस ने ली है और आईएस के ब़ढते खतरे से आखिरकार पूरा विश्व चिंतित हो चुका है। पाकिस्तान ने ओसामा-बिन-लादेन को अप्रत्यक्ष पनाह दी थी और शायद आईएस के आकाओं को भी इसी तरह की सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारियों में पकिस्तान जुट गया है। ऐसे समय में भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंक के चक्रव्यूह में हमारे देश के युवकों को आकर्षित करने में आतंकी संगठन विफल रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से जिस तरह के आतंकी हमलों को अंजाम दिया जा रहा है उनसे यह समझ आता है कि केवल एक ब़डी गा़डी भी आतंकी के हाथों में एक खतरनाक हथियार साबित हो सकता है। ऐसे हमलों को अंजाम देने के लिए आतंकी अपने ही देश में बैठकर युवाओं को इंटरनेट के जरिए फांसते हैं और फिर उनको लगातार भ्रमित कर उनसे संगीन अपराध कराने में सफल हो जाते हैं। हमारे युवकों को ऐसे जाल से बचाने के लिए केवल प्रशासन को ही नहीं बल्कि अभिभावकों, शिक्षकों और साथियों का सामूहिक प्रयास आवश्यक है। देश के समक्ष यह एक गंभीर चुनौती है जिससे लगातार ल़डाई के लिए सभी को कमर कस लेनी चाहिए।

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