स्वप्न के बारे में जानिए अनोखी बातें!

स्वप्न के बारे में जानिए अनोखी बातें!

मारे सोने और जागने के बीच के समय को स्वप्न कहते है। इस समय हमारा शरीर निश्चल अवस्था में रहता है। लेकिन शरीर की सभी क्रियाएं एवं मस्तिष्क सक्रीय बना रहता है। हमारा मन समस्त विचारों, संकल्पों, चिंतन, मोह, माया, शोक, आकांक्षा, आदि के बारे ने स्प्वन अवस्था में सोचता रहता है। जो सपने हम जागते समय सोचते रहते है और वो कभी पुरे नहीं होते है अक्सर हमारे वो सपने स्वप्न में पूर्ण हो ही जाते है।स्वप्न विशेषज्ञों के मुताबिक स्वप्न के अंदर हमारे शरीर में वो सभी कार्य और क्रियाएं होती रहती है जो हम जागृत अवस्था में पूर्ण नहीं कर पाते है। वास्तव में स्वप्न एक कार्य है जिसमें उसका अर्थ भी निहित होता है। पुनर्जन्म को स्वीकार करने वालों का मानंना है कि पूर्व जन्म की बहुत सी घटनाएं नए जन्म में स्वप्न के रूप में दिखाई देती हैं। जिन्हें समझकर उनका सटीक विश्लेषण करके उनके शुभ या अशुभ होने के बारे में समझा जा सकता है।स्वप्न ज्योतिष के मुताबिक हमारे स्वप्न भी सच होते हैं, जब हम निद्रा अवस्था में अलग-अलग समय पर देखे गए स्वप्नों का फल भी अलग-अलग प्रापत करते है। निश्चित समयावधि में उनका फल भी हमको मिल जाता है। हमारे स्वप्न लगभग परिणाम देते है। रात्रि में तीन बजे के बाद और सूर्योदय से पहले देखे स्वप्न सात दिनों में, मध्य रात्रि के स्वप्न एक मास में और रात्रि से पहले देखे गए स्वप्न लगभग एक वर्ष में शुभ या अशुभ प्रभाव देते हैं।हमारे स्वप्नों की चर्चा हमें किसी अनजान शक्स से नहीं करनी चाहिए। उनकी चर्चा किसी बाहरी व्यक्ति से न करके किसी ज्ञानी पुरुष, विद्वान ज्योतिष, ब्राह्मण या तंत्र विशेषज्ञ से ही पूर्व दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए अन्यथा ऐसा स्वप्न निष्फल हो जाता है। शुक्ल पक्ष की षष्ठी से लेकर द्वादशी तिथि तक और पूर्णिमा को तथा कृष्ण पक्ष की सप्तमी से लेकर नवमी एवं चतुर्दशी तिथि को देखे गए स्वप्न शुभ फल देने वाले माने गए हैं।गौरतलब है की हम जो शुभ स्वप्न देखते है वो आगे आने वाले समय में हमारे लिए शुभ होते हैं, कि शुभ स्वप्न देखना सौभाग्य का सूचक होता है। इसलिए रात्रि के ब्रह्म मुहूर्त में शुभ स्वप्न देखने की पश्चात जागृत होने पर पुनः सोने के बजाय शेष रात्रि में जागरण करते हुए अपने इष्ट देव का स्मरण एवं भजन करना चाहिए तथा प्रातः काल में सकन आदि से निवृत्त होने के बाद किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए।रात्रि के प्रथम पहर में देखे गए स्वप्न फलीभूत नहीं होते। इसी प्रकार भय, असंयम, चिंता, मानसिक परेशानी, रोग, प्यास या भूख लगी होने अथवा मल-मूत्र का वेग होने की दशा में जो भी स्वप्न देखे जाते हैं उनका फल नहीं मिलता है अर्थात ऐसे स्वप्न निष्फल होते हैं। इसी तरह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी, चतुर्दशी और कृष्ण पक्ष की अमावस्या और त्रयोदशी तिथियों में देखे गए स्वप्न भी निष्फल होते हैं।

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