अगर भारत में कोरोना बढ़ता है तो… शायद इसलिए…

अगर भारत में कोरोना बढ़ता है तो… शायद इसलिए…

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। इस समय हम उम्मीद कर रहे हैं कि कोरोना वायरस के मामलों में कमी आए और जिन्हें इसका संक्रमण हुआ है, वे शीघ्र स्वस्थ हों। सोशल मीडिया पर एहतियात के कई मैसेज आपने पढ़े होंगे। स्वच्छता और सावधानी की यह शृंखला जारी रही तो हमारा देश कोरोना पर जरूर विजय प्राप्त करेगा।

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लेकिन इस बीच कुछ ऐसी तस्वीरेंं भी सामने आ रही हैं जो कोरोना महामारी के खिलाफ देश की लड़ाई को कमजोर कर रही हैं। कुछ लोग सोशल मीडिया पर कुतर्क कर व्यर्थ बहस को बढ़ावा दे रहे हैं। उनका कहना है कि देश के सामने असल समस्या भुखमरी, बेरोजगारी आदि हैं, इनसे ज्यादा मौतें हो रही हैं, लिहाजा पहले इनका समाधान किया जाए। कोरोना से तो चंद लोग मारे गए हैं। लिहाजा यह कोई बड़ी समस्या नहीं।

ये ‘मासूम’ लोग यह समझने की कोशिश नहीं करना चाहते कि नागरिकों के जीवन की सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। समाज में अनेक समस्याएं हैं और उनसे कोई इनकार नहीं कर सकता, उनका समाधान होना चाहिए, लेकिन कोरोना ने जिस प्रकार विदेशों में तबाही मचाई है, उसके बाद हमें इसके खतरे को कम नहीं आंकना चाहिए।

इसके अलावा, देश में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जब लोगों ने चिकित्सकों की राय मानने के बजाय वह किया जो उनका मन कहता है। इस प्रकार उन्होंने दूसरों के जीवन को भी खतरे में डालने की कोशिश की।

जर्मनी से लौटे और बाद में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए अपने बेटे को बेंगलूरु में रेलवे के एक अतिथि गृह में ‘छुपाकर’ रखने के कारण दक्षिण पश्चिमी रेलवे की एक अधिकारी निलंबित हो गई हैं। इस महिला अधिकारी ने अपने बेटे के जर्मनी से लौटने की जानकारी नहीं दी और उसे बेंगलूरु स्टेशन के पास रेलवे के एक अतिथिगृह में रखा।

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पंजाब में कुछ लोगों को कहा गया था कि वे खुद को दूसरों से अलग रखें लेकिन बाद में वे ‘लापता’ हो गए। कुछ इस फिराक में हैं कि मौका मिलते ही आइसोलेशन सेंटर से फरार हो जाएं। एक शख्स का कहना था कि उसे बेहतर सुविधाएं चाहिए, जिस प्रकार महंगे होटलों में होती हैं।

इस समय हम सबको बहुत संयम और सावधानी का परिचय देना होगा, क्योंकि यह खतरा किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण धरती के लिए है। चिकित्साकर्मी बहुत बहादुरी के साथ कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं, ऐसे में उनका सहयोग करने के बजाय ‘फरमाइशें’ करना, जांच से बचने के बहाने ढूंढ़ना कहीं न कहीं इस लड़ाई को कमजोर बनाएगा। ऐसे लोगों के लिए ट्विटर पर एक यूजर लिखते हैं, ‘यह ब्याह-शादी की पार्टी या पिकनिक का मौका नहीं, बल्कि महामारी से जूझने का समय है। कृपया समझदारी का परिचय दें। ऐसा कोई काम न करें कि आपकी वजह से दूसरों के जीवन पर संकट आए।’

हो सकता है कि इलाज के दौरान आपको कुछ समय के लिए परिजन से दूर रहना पड़े, उन सब सुविधाओं को छोड़ना पड़े जिनका अन्य दिनों में उपभोग करते हैं, लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि यह पूरी प्रक्रिया इसलिए जारी है ताकि हम सबका जीवन सुरक्षित हो। अगर किसी को एहतियात के तौर पर उसके परिजन से अलग रखा जाता है, इलाज के दौरान कुछ असुविधा होती है तो एक बार उन चिकित्साकर्मियों के बारे में भी सोचना चाहिए जो अपने प्राणों को जोखिम में डालकर दूसरों का जीवन बचाने में जुटे हैं।

इस समय अगर हमें कुछ तकलीफ भी होती है तो यह समझना चाहिए कि अपने देश के हित में थोड़ा योगदान कर रहे हैं। भारत में कोरोना के संक्रमण के बाद ऐसे भी मामले सामने आए हैं जब लोग स्वस्थ हुए; कोरोना हारा और संकल्प जीता। कुछ दवाइयों के प्रयोग हुए हैं जिनसे मरीजों की सेहत को काफी फायदा हुआ है।

इनसे संकेत मिलता है कि भविष्य में चिकित्सा वैज्ञानिक कोरोना वायरस पर काबू पाने में जरूर कामयाब होंगे, लेकिन इस वक्त जबकि इसकी कोई स्थापित दवा नहीं है और हम सावधानी, स्वच्छता और जागरूकता से वायरस को फैलने से रोक सकते हैं, तब हमारी जिम्मेदारियां और ज्यादा बढ़ जाती हैं।

इसलिए, कृपया केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी सावधानियों पर अमल करें। यदि चिकित्साधिकारी आपके हाथ पर मुहर लगाकर कुछ​ दिन ‘अलग’ रहने की सलाह देते हैं तो इसका पालन करें, ‘पीछा’ छुड़ाने की कोशिश न करें, क्योंकि इस तरह के प्रयास भविष्य में हालात बिगाड़ सकते हैं।

कोरोना महामारी से यह युद्ध हम उसी स्थिति में जीत सकते हैं जब हर नागरिक एक सैनिक की तरह अपनी जिम्मेदारी समझे। इसलिए आइए, हम स्वच्छता, सावधानी और संयम अपनाते हुए एकसाथ कोरोना महामारी से लड़ें और जीतें।

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