'डंकी रूट' एजेंटों को कठोर संदेश
ईडी ने की बड़ी कार्रवाई
अवैध तरीके से विदेश जाना पड़ेगा महंगा
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 'डंकी रूट' से लोगों को अमेरिका भेजने वाले कई एजेंटों की करोड़ों रुपए की संपत्तियां कुर्क कर कठोर संदेश दिया है। ये लोग युवाओं को सुनहरे सपने दिखाकर उनसे लाखों रुपए लेते हैं और मुसीबतों में धकेल देते हैं। पंजाब और हरियाणा में तो यह गंभीर समस्या बन गई है। वहां कई लोग अपने लड़कों को विदेश भेजने के लिए खेत, मकान और दुकान बेचने को तैयार हो जाते हैं। युवाओं में 'अमेरिका वाला लड़का' कहलाने का शौक बढ़ता जा रहा है। उन्हें लगता है कि एक बार अमेरिका चले गए तो उनकी प्रतिष्ठा में भारी बढ़ोतरी हो जाएगी। वहां एक-दो साल टिककर कमा लिए तो शादी भी हो जाएगी। इसमें कुछ हद तक सच्चाई है। प्राय: अपने गांव में ईमानदारी से कमाने वाले युवाओं को उतना सम्मान नहीं मिलता, जितना डंकी रूट से अमेरिका जाकर कमाने वालों को मिलता है। लोग अमेरिका का नाम सुनकर सोचते हैं कि वहां तो किसी चीज का अभाव नहीं है, आसमान से डॉलर ही डॉलर बरसते होंगे! उन्हें पता होना चाहिए कि असल अमेरिकी जीवन वह नहीं है, जो फिल्मों और धारावाहिकों में दिखाया गया है। वहां भी बहुत संघर्ष करना पड़ता है। अगर कमाई डॉलर में होती है तो खर्चे भी डॉलर में होते हैं। जो व्यक्ति अवैध तरीके से अमेरिका जाता है, उसे कदम-कदम पर शोषण का सामना करना पड़ता है। अगर सुरक्षा बलों की नजरों से बचने के बाद कहीं काम मिल गया तो कम वेतन मिलता है। किसी भी सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ नहीं ले सकते। पकड़े जाने की तलवार हमेशा लटकी रहती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ऐसे कई लोगों को जंजीरों से जकड़ कर स्वदेश भेज चुके हैं।
जिसके पास डंकी रूट वाले एजेंटों को देने के लिए चालीस-पचास लाख रुपए हैं, उसे कम-से-कम गरीब तो नहीं कहा जा सकता। अमेरिका जाने की ऐसी जिद एक छलावा है, जिसके शिकार भारतीय युवा हो रहे हैं। जब कोई एजेंट कहता है कि 'पक्का अमेरिका पहुंचा देंगे', 'पहुंचते ही नौकरी लगवा देंगे', 'एक साल में पूरा खर्चा वसूल हो जाएगा', तो युवाओं के मन में अमेरिकी जीवन की तस्वीरें तैरने लगती हैं। उन्हें लगता है कि उस धरती पर कदम रखने की देर है, उसके बाद सब ठीक हो जाएगा। इन युवाओं को यह नहीं बताया जाता कि डंकी रूट पर कोई पुष्पवर्षा नहीं हो रही है! यह एक खतरनाक रास्ता है, जिसमें जंगल, रेगिस्तान, समुद्र को पार करना पड़ता है। रास्ते में बहुत उत्पीड़न होता है। कई लोग तो भूख, प्यास और मारपीट की वजह से जान गंवा देते हैं। अमेरिका पहुंचने के बाद नौकरी नहीं मिली तो रहने-खाने का कोई ठिकाना नहीं होता है। भीख मांगने की नौबत आ जाती है। क्या लाखों रुपए किसी एजेंट को देकर इसलिए अमेरिका जाना है, ताकि वहां दूसरों के सामने गिड़गिड़ाएं, हाथ फैलाएं? क्या इसमें कोई अक्लमंदी की बात है? ये लोग भारत में रहकर 10 हजार रुपए खर्च कर कोई काम नहीं सीखेंगे, क्योंकि उस समय यह रकम बहुत बड़ी लगेगी, लेकिन लाखों रुपए किसी एजेंट को खुशी-खुशी थमा देंगे। पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों में सपनों के सौदागरों का लंबा-चौड़ा नेटवर्क फैला हुआ है, जो युवाओं को भ्रमित कर रहा है। एजेंसियों को अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए उन सबके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। जो व्यक्ति भारतीय युवाओं को गुमराह कर उनसे धन लेता है और डंकी रूट से विदेश भेजता है, वह देश की छवि को नुकसान पहुंचाता है। उसका अपराध क्षम्य नहीं है। जब एजेंसियां सख्ती बरतेंगी तो ऐसे तत्त्व युवाओं को गुमराह करने से परहेज करेंगे।

