मुसीबत का फंदा है यह प्रस्ताव

साइबर ठग नौकरी का झांसा देकर गुलाम बनाना चाहते हैं

मुसीबत का फंदा है यह प्रस्ताव

विदेश में नौकरी के लिए जाने वाले नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए

म्यांमार में ऑनलाइन ठगी के केंद्रों में नौकरी के लिए जाने वाले लोगों में से भारतीय नागरिकों की बड़ी संख्या चिंताजनक है। उसके म्यावाड्डी शहर स्थित इन केंद्रों से मुक्त करवाकर 125 भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाया गया है। ये लोग विदेश में अच्छी कमाई करने गए थे, लेकिन वहां इन पर मुसीबतें टूट पड़ीं। साइबर ठगों ने सोशल मीडिया पर जाल बिछा रखा है। वे बेरोजगार युवाओं को शिकार बनाते हैं। उन्हें मोटी कमाई और खुशहाल जिंदगी के सब्ज बाग दिखाकर विदेश बुलाते हैं। उसके बाद अपनी 'कैद' में रखते हैं। भारत के बेरोजगार युवा कितनी आसानी से इनके झांसे में आ जाते हैं, इसका अंदाजा आंकड़ों से लगाया जा सकता है। इस साल मार्च से अब तक म्यांमार के ठगी केंद्रों से रिहा हुए कुल 1,500 भारतीय नागरिकों को थाईलैंड होते हुए स्वदेश लाया जा चुका है। युवाओं को पता होना चाहिए कि साइबर ठग उन्हें कथित नौकरी देने के नाम पर गुलाम बनाना चाहते हैं। म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता और अशांति का माहौल है। वहां ऐसी कौनसी नौकरी है, जिसे करने से भारतीय नागरिकों को लाखों रुपए की कमाई होगी? यह सवाल हर उस युवा के मन में जरूर उठना चाहिए, जो कमाई करने के लिए म्यांमार जाना चाहता है। उस देश की अर्थव्यवस्था बदहाल है, वहां कोई बड़ा उद्योग नहीं है, कई आर्थिक प्रतिबंध लगे हुए हैं। अचानक म्यांमार के हाथ कौनसा खजाना लग गया कि वहां विदेशी नागरिकों को नौकरी करने के लिए बुलाया जा रहा है? जो भारतीय युवा वहां जाकर फंस गए, उन्हें पहले समाचार पत्रों और वेबसाइटों से पूरी जानकारी लेनी चाहिए थी।

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बैंकॉक स्थित भारतीय दूतावास की यह सलाह अत्यंत प्रासंगिक है कि 'भारतीय नागरिक विदेश में नौकरी का प्रस्ताव स्वीकार करने से पहले विदेशी नियोक्ताओं की विश्वसनीयता तथा भर्ती एजेंट एवं कंपनियों की जांच कर लें।' म्यांमार का म्यावाड्डी शहर साइबर अपराधियों का गढ़ बन चुका है। वहां से पिछले महीने ही 28 देशों के 1,500 लोग थाईलैंड पहुंचे थे। पिछले दो वर्षों में साइबर ठगी संबंधी कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। उनमें दिखाई दे रहे लोगों की भाषा, लहजे आदि का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि भारतीय नागरिकों के साथ पाकिस्तानी नागरिक भी इस धंधे में लगे हुए हैं। इसकी बड़ी वजह है- भाषा की समानता। साइबर ठग जानते हैं कि भारत में तेजी से डिजिटलीकरण हो रहा है, अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, लोग अपनी जमा-पूंजी बैंक खातों में रखते हैं। उन्होंने पिछले दो वर्षों में लोगों के खातों से लाखों से लेकर करोड़ों रुपए तक उड़ाए हैं। म्यांमार में साइबर ठगी के गिरोह चलाने वाले अपराधियों में कई चीनी नागरिक बताए जा रहे हैं। जो व्यक्ति उनके यहां 'नौकरी' करने जाता है, वे उसके साथ बहुत क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते हैं। वे ठगी के लिए टार्गेट देते हैं। अगर कोई व्यक्ति उसे हासिल करने में नाकाम रहता है तो उसकी पिटाई तक कर देते हैं। एक भारतीय युवा, जो बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर स्वदेश लौटा था, ने बताया था कि जब वहां उसकी तबीयत खराब हुई तो न दवा दी गई, न खाना दिया गया। बस, यह दबाव डालते रहे कि 'टार्गेट पूरे करें, ज्यादा से ज्यादा लोगों को लूटें!' भारत दो तरह से इन गिरोहों के निशाने पर है- वे भारतीय नागरिकों से ऑनलाइन ठगी करते हैं, भारतीय युवाओं से यह अपराध करवाते हैं। इसके मद्देनज़र सरकार को डिजिटल सुरक्षा को और मजबूत बनाने की जरूरत है। साथ ही, विदेश में नौकरी के लिए जाने वाले नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए। जो कंपनी बुला रही है, उसके बारे में जानकारी जुटाएं और अन्य कर्मचारियों के अनुभव जानें। बिल्कुल ही अनजान और बहुत ज्यादा कमाई का वादा करने वाली विदेशी कंपनी पर विश्वास करना जोखिम भरा हो सकता है।

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