क्या आतंकवाद से ऐसे लड़ेंगे?
आतंकवाद का संबंध घृणा और कट्टरपंथ से है
इजराइल और चीन ने आतंकवाद को कुचला है
दिल्ली में लाल किले के पास हुई आतंकवादी घटना के बाद महाराष्ट्र के एक विधायक का यह बयान कि 'जुल्म और नाइन्साफी की कोख से आतंकवाद पैदा होता है', राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाने और वोटबैंक मजबूत करने की ओछी हरकत है। इस मामले में अब तक जो लोग पकड़े गए हैं, जिनमें कई डॉक्टर हैं, के साथ कौनसा जुल्म हुआ था? इन्होंने भारत के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों से पढ़ाई की थी। इनके परिवार भी साधन-संपन्न हैं। ये समाज में सम्मानित व्यक्ति समझे जाते रहे हैं। इसके बावजूद इन्होंने इतना बड़ा कांड कर दिया! इसके लिए आप किसे जिम्मेदार ठहराएंगे? देश ने अपने संसाधनों के अनुसार इनके लिए बेहतरीन मेडिकल कॉलेज, शिक्षक उपलब्ध कराए थे। सीखने के लिए अच्छा माहौल दिया था। डिग्री मिलने पर नौकरी दी थी। क्या यह जुल्म है? ऐसे तत्त्वों की हरकतों को 'नादानी' साबित करने के लिए हल्के बयान देना क्या दर्शाता है? कुछ लोग एक अलग ही दुनिया में रहते हैं। वे किसी के गंभीर अपराध को भी समस्त देशवासियों की गलती बता सकते हैं। उन्हें 'बैलेंस' बनाकर चलने में महारत हासिल होती है। देश में जब कोई आतंकवादी घटना होती है, वे उसकी निंदा करने के बाद 'अगर-मगर' जरूर जोड़ देते हैं, ताकि एक खास वर्ग को खुश रख सकें। वे सीधी और स्पष्ट बात कहने से कतराते हैं। क्या ऐसी बयानबाजी अपराधियों, अलगाववादियों और आतंकवादियों के लिए बौद्धिक ढाल का काम नहीं करती? बेशक दुनिया में जुल्म और ज्यादती की घटनाएं हो रही हैं। इन्हें रोकने और पीड़ितों को इन्साफ दिलाने की कोशिशें भी जारी हैं।
इनमें सुधार की बहुत गुंजाइश है। इससे इन्कार नहीं किया जा सकता। सवाल है- कार में धमाका कर दर्जनभर लोगों की जान लेना कहां का इन्साफ है? जो व्यक्ति ऐसा करता है, वह इन्सानियत का दुश्मन है। यह अपराध तब और ज्यादा गंभीर हो जाता है, जब आरोपी डॉक्टर होता है। इस मामले के बाद भारत सरकार को एक और बात समझनी होगी। जम्मू-कश्मीर सहित भारत में आतंकवाद की घटनाओं को गरीबी और अशिक्षा से जोड़कर देखा जाता है। यह धारणा कई बार गलत साबित हो चुकी है। दिल्ली में धमाके के बाद तो हर कोई सोशल मीडिया पर असलियत देख रहा है। आतंकवाद का संबंध घृणा और कट्टरपंथ से है। अगर कोई सरकार यह सोचती है कि वह अच्छी सड़कें, बेहतरीन कॉलेज, अस्पताल बनाकर आतंकवाद को खत्म कर देगी तो उसे पुनर्विचार करना चाहिए। हां, सड़क, कॉलेज, अस्पताल की जरूरत है। इनका निर्माण होना चाहिए। जहां तक आतंकवाद को नकेल डालने का सवाल है तो सिर्फ विकास कार्यों के बूते ऐसा होना संभव नहीं है। आतंकवाद से लड़ने के लिए बहुत बड़े स्तर पर रणनीति बनानी होगी। उन सभी तत्त्वों पर प्रहार करना होगा, जो आतंकवाद को खाद-पानी देते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी आलोचना होगी, लेकिन हमें दृढ़ रहना होगा। आतंकवाद का विनाश इजराइल कर रहा है। चीन, जो भारत से द्वेष रखता है और पाकिस्तान को समर्थन देता है, खुद आतंकवाद से पीड़ित रहा है। वह अपनी जमीन पर कट्टरपंथ को पनपने नहीं देता। उसके अधिकारी अत्याधुनिक तकनीक के जरिए ऐसे तत्त्वों पर कड़ी नजर रखते हैं। वहीं, भारत में घुसपैठियों को निकालने के लिए सरकार कोई कदम उठाती है तो कुछ 'बुद्धिजीवी' अदालत का दरवाजा खटखटा देते हैं। क्या हम आतंकवाद से ऐसे लड़ेंगे?

