महान उद्देश्यों के लिए मिला है मनुष्य जीवन: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
'आहार के लिए ही जीवन नहीं मिला है'
'मनुष्य का जीवन महान साधनाओं और सिद्धियों के लिए प्राप्त हुआ है'
गदग/दक्षिण भारत। सोमवार को स्थानीय राजस्थान जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में पार्श्व बुद्धि वीर वाटिका में कषाय जय तप के पारणा समारोह में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए जैनाचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को तपस्या की आसक्ति हो सकती है, पर आहार की आसक्ति नहीं होनी चाहिए। तपस्या आहार की लालसा को कम कर आध्यात्मिक उन्नति के लिए है। महान उद्देश्यों के लिए जीना मनुष्य जीवन की सार्थकता है। आहार के प्रति अत्यधिक आसक्त होना तो निपट अज्ञानता है।
उन्होंने कहा कि जीवन के लिए आहार अनिवार्य है। बिना आहार के जीने की परिकल्पना असंभव है, लेकिन आहार के लिए ही जीवन नहीं मिला है। मनुष्य का जीवन महान साधनाओं और सिद्धियों के लिए प्राप्त हुआ है।पशु-पक्षी और जीव-जंतु इतिहास नहीं बना सकते, लेकिन विवेकवान और धर्मवान मनुष्य इस धरा पर वो कर सकता है, जो दूसरे कोई प्राणी नहीं कर सकते। मनुष्य का जन्म असामान्य घटना है। इसलिए सभी को हमेशा यह स्मरण में रहना चाहिए कि मात्र खा-पीकर जीवन पूरा नहीं करना है। आहार की आसक्ति मनुष्य जीवन का दुर्भाग्य है।
संघ के मंत्री हरीश गादिया ने बताया कि गुरुवंदना और बड़े मंगलपाठ के बाद सभी तपस्वियों ने अंबिका माता की पूजा-अर्चना की। गणि पद्मविमलसागरजी ने पारणे का संकल्प पाठ दिया। लाभार्थी परिवार ने मूंग के पानी से सभी तपस्वियों को पारणा करवाया। अध्यक्ष पंकज बाफना ने बताया कि मंगलवार को जैनधर्म के बावीसवें तीर्थंकर नेमिनाथ का जन्म महोत्सव यहां भव्यता से मनाया जाएगा।
पीठिका पर नेमिनाथ की मनोहारी प्रतिमा की स्थापना होगी। विविध जड़ी-बूटियों से उनके पंचाभिषेक होंगे। झूले में बाल नेमिनाथ की प्रतिष्ठा होगी।


