आभासी दुनिया छीन रही सुकून

'रील लाइफ' को 'रियल लाइफ' पर हावी न होने दें

आभासी दुनिया छीन रही सुकून

हमेशा सोशल मीडिया में ही खोए रहना नुकसानदेह हो सकता है

सोशल मीडिया का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। एक मशहूर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ने इस वजह से आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसके फॉलोअर्स घटने लगे थे! उस इन्फ्लुएंसर के सामने पूरा जीवन था। उसने अब तक अपनी प्रतिभा के बल पर जो कुछ हासिल किया, वह भी कम नहीं था। उसके 3.59 लाख फॉलोअर्स थे और वह कई ब्रांड्स के लिए काम कर रही थी। आज सोशल मीडिया कई तरह से हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहा है। खासकर युवाओं को यह बात समझनी होगी कि जीवन सिर्फ 'लाइक, शेयर और सब्सक्राइब' का नाम नहीं है। जब सोशल मीडिया नहीं था, तब भी बहुत लोग अपने जीवन में सार्थक काम करते थे। अगर किसी पोस्ट पर कम लाइक आए हैं, उसे लोगों ने ज्यादा शेयर नहीं किया और फॉलोअर्स बढ़ने के बजाय घट रहे हैं तो इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं कि आप में प्रतिभा का अभाव है। सोशल मीडिया पर लाइक, शेयर, कमेंट आना कई बातों पर निर्भर करता है। अगर किसी का व्यवसाय इससे जुड़ा है तो उसे लगातार नई चीजें सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए। चूंकि लोगों की पसंद बदलती रहती है, इसलिए सोशल मीडिया में बदलाव आते हैं। ऑनलाइन व्यवसाय चलाने वाले व्यक्ति को इन पर नजर रखनी चाहिए। हालांकि हमेशा सोशल मीडिया में ही खोए रहना और दूसरों की उन्नति देखकर हीन भावना का शिकार होना नुकसानदेह हो सकता है।

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पश्चिमी देशों में कई लोग सोशल मीडिया के इस्तेमाल को सीमित करने या इससे हमेशा के लिए दूरी बनाने के लिए मनोवैज्ञानिक सलाह ले रहे हैं। अक्सर लोग सोशल मीडिया पोस्ट्स देखकर बेचैनी और मानसिक दबाव महसूस करने लगते हैं। किसी ने इंस्टाग्राम पर फोटो डाली कि 'हम तो स्विट्जरलैंड में छुट्टियां मना रहे हैं।' उसे देखकर वे लोग मानसिक दबाव महसूस कर सकते हैं, जो ऐसी जगह नहीं जा सकते। इसी तरह जब कोई व्यक्ति नई कार खरीदकर उसकी फोटो पोस्ट करता है तो उसके परिचितों में ऐसे लोग जरूर होंगे, जो मन ही मन इस बात को लेकर दबाव महसूस करेंगे कि उनके पास भी ऐसी कार होनी चाहिए। जब बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे आते हैं तो कई लोग अपने बच्चों की अंक तालिकाएं सोशल मीडिया पर डालते हैं। उनके अंक देखकर अन्य बच्चों पर वैसा प्रदर्शन करने का दबाव आता है। कई युवाओं में आदत होती है कि वे कपड़े, जूते, मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि चीजें खरीदकर उनकी फोटो सोशल मीडिया पर डालते हैं। इससे अन्य युवाओं के मन में भी ये चीजें खरीदने की इच्छा पैदा होती है। अब ऐसे एआई ऐप आ गए हैं, जो नकली फोटो बनाकर लोगों को भ्रमित कर सकते हैं। उनमें संबंधित व्यक्ति किसी खास प्रॉडक्ट के साथ नजर आएगा, भले ही उसने वह न खरीदा हो! जापान में युवाओं पर काफी दबाव होता है कि वे खास मौकों पर महिला/पुरुष मित्र के साथ नजर आएं। वहां कई युवा इन ऐप के जरिए नकली फोटो बनाकर उन्हें सोशल मीडिया पर यह लिखते हुए पोस्ट करते हैं कि हमारे जीवन में भी कोई है। जिन्हें ज्यादा अच्छी फोटो चाहिए, उन्हें पेशेवर फोटोग्राफर सेवाएं देने के लिए तैयार रहते हैं। अमेरिका में एक प्राइवेट जासूस के पास अनोखा मामला आया था। किसी महिला को उसके दफ्तर के पते पर एक अज्ञात व्यक्ति उपहार, फूल, केक, चॉकलेट, कार्ड आदि भेज रहा था। जांच में पता चला कि उन चीजों का ऑर्डर वह महिला ही करती थी, क्योंकि दफ्तर में अन्य लोगों को जन्मदिन, शादी की सालगिरह जैसे मौकों पर सोशल मीडिया पर खूब बधाइयां मिलती थीं, जबकि उसके फॉलोअर्स कम थे। इंटरनेट की आभासी दुनिया जब हमारे वास्तविक जीवन में दखल देने लगती है तो सावधान हो जाना चाहिए। 'रील लाइफ' को 'रियल लाइफ' पर इतना हावी न होने दें कि सुकून ही गायब हो जाए।

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