महाकुंभ से बहुत से अमृत निकले, 'एकता का अमृत' इसका बहुत पवित्र प्रसाद: मोदी

प्रधानमंत्री ने बजट सत्र के दौरान लोकसभा में कहा ...

महाकुंभ से बहुत से अमृत निकले, 'एकता का अमृत' इसका बहुत पवित्र प्रसाद: मोदी

Photo: narendramodi FB Page

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को बजट सत्र के दौरान लोकसभा में कहा कि आज मैं इस सदन के माध्यम से कोटि-कोटि देशवासियों को नमन करता हूं, जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ। महाकुंभ की सफलता में अनेक लोगों का योगदान है। मैं सरकार के, समाज के सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन करता हूं। मैं देशभर के श्रद्धालुओं को, उप्र की जनता, विशेष तौर पर प्रयागराज की जनता का धन्यवाद करता हूं।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जनता जनार्दन का, जनता जनार्दन के संकल्पों के लिए, जनता जनार्दन की श्रद्धा से प्रेरित महाकुंभ था। हम सब जानते हैं, गंगाजी को धरती पर लाने के लिए एक भगीरथ प्रयास लगा था, वैसा ही महाप्रयास इस महाकुंभ के भव्य आयोजन में भी हमने देखा है। मैंने लाल किले से 'सबका प्रयास' के महत्त्व पर जोर दिया था। पूरे विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए। 'सबका प्रयास' का यही साक्षात स्वरूप है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष, अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हमने महसूस किया था कि कैसे देश एक हजार वर्षों के लिए तैयार हो रहा है। इसके ठीक एक साल बाद, महाकुंभ के आयोजन ने हम सबके इस विचार को और दृढ़ किया है। देश की यह सामूहिक चेतना देश की सामर्थ्य बताती है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उमंग, उत्साह यहीं तक सीमित नहीं था। बीते सप्ताह मैं मॉरीशस में था। मैं त्रिवेणी से महाकुंभ के समय का पावन जल लेकर गया था। जब उस ​पवित्र जल को मॉरीशस के गंगा तलाब में अर्पित किया गया, तब वहां जो श्रद्धा का, आस्था का, उत्सव का माहौल था, वह देखते ही बनता था। यह दिखाता है कि हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति, हमारे संस्कारों को आत्मसात करने की भावना कितनी प्रबल हो रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने करीब डेढ़ महीने तक, भारत में महाकुंभ का उत्साह देखा, उमंग को अनुभव किया। कैसे सुविधा, असुविधा की चिंता से ऊपर उठते हुए, कोटि-कोटि श्रद्धालु श्रद्धा भाव से जुटे, यह हमारी बहुत बड़ी ताकत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब अलग-अलग भाषा, बोली बोलने वाले लोग संगम तट पर 'हर-हर गंगे' का उद्घोष करते हैं, तो 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की झलक दिखती है, एकता की भावना बढ़ती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकुंभ से बहुत से अमृत निकले हैं, एकता का अमृत इसका बहुत पवित्र प्रसाद है। महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा, जिसमें देश के हर क्षेत्र से, हर कोने से आए लोग एक हो गए। लोग अहं' त्याग कर वयं के भाव' से, मैं नहीं हम की भावना से प्रयागराज में जुटे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरे विश्व में जब बिखराव की स्थितियां हैं, उस दौर में एकजुटता का यह विराट प्रदर्शन हमारी ताकत है। अनेकता में एकता भारत की विशेषता है, यह हम हमेशा कहते आए हैं और इसी के विराट रूप का अनुभव हमने प्रयागराज महाकुंभ में किया है। हमारा दायित्व है, अनेकता में एकता की इसी विशेषता को हम निरंतर समृद्ध करते रहें।

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