ड्रोन क्रांति का नेतृत्व करे भारत

भारत बहुत पीछे नहीं है

ड्रोन क्रांति का नेतृत्व करे भारत

खेती-बाड़ी के कामों में ड्रोन से बहुत फायदे हो रहे हैं

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मौजूदा दौर में ड्रोन की उपयोगिता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में जो टिप्पणी की, वह आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति का हिस्सा ज्यादा प्रतीत होती है। प्राय: हर सरकार पर विपक्षी दलों के नेता वैज्ञानिक क्षेत्र में पीछे रहने का आरोप लगाते ही हैं। अगर इसके साथ ये उन उपलब्धियों को भी सामने रखें, जो संबंधित क्षेत्र में उनकी सरकारों द्वारा शासित राज्यों में हासिल की गई हैं तो उनकी बात का वजन बहुत बढ़ सकता है। जहां तक ड्रोन तकनीक का सवाल है तो इसके शीर्ष निर्माता देशों की सूची में अमेरिका, चीन, तुर्किये, इज़राइल जैसे देश आते हैं, लेकिन भारत भी बहुत पीछे नहीं है। हमारे देश में ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। एलओसी पर भारतीय ड्रोन मंडराते रहते हैं और पाकिस्तानी आतंकवादियों पर कड़ी नजर रखते हैं। अगर साल-डेढ़ साल में हुईं मुठभेड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि उनमें ड्रोन तकनीक ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसी शानदार कार्रवाइयों को अंजाम देने में ड्रोन के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता। खेती-बाड़ी के कामों में ड्रोन से बहुत फायदे हो रहे हैं। कोरोना काल में पुलिस ने कई जगह भीड़ इकट्ठी होने से रोकने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया था। इसी तरह अपराध नियंत्रण, हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में कानून व्यवस्था की स्थापना के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हुआ है। प्रयागराज महाकुंभ में ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है। भारत इस तकनीक से अनभिज्ञ नहीं है। हां, हमारी 'उड़ान' और ऊंची होनी चाहिए। हमें इस स्थिति में होना चाहिए, जहां से ड्रोन क्रांति का नेतृत्व कर सकें।

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भविष्य में ड्रोन और ज्यादा उन्नत होते जाएंगे। हमें इस क्षेत्र से जुड़ीं चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से ऊपर उठकर ऐसा माहौल बनाना होगा, जिससे विद्यार्थियों में ड्रोन तकनीक के प्रति रुचि पैदा हो। इसके तहत स्कूली बच्चों के सामने ड्रोन का प्रदर्शन किया जा सकता है। कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, जहां इस समय कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां सरकारी स्कूलों के बच्चों को ड्रोन तकनीक की जानकारी देने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करने चाहिएं। इससे राहुल गांधी ज्यादा अधिकारपूर्वक यह बात कह सकेंगे कि अब भाजपा शासित राज्य बेहतर कार्यक्रम करके दिखाएं। प्राय: सरकारी स्कूलों में किसानों के बच्चे पढ़ते हैं। अगर वे ड्रोन के बारे में जानेंगे तो उन्हें ऐसा 'मित्र' मिल जाएगा, जो खेती से जुड़े उनके कई काम आसान कर देगा। महानगरों में रहने वाले कई लोगों को नहीं मालूम होगा कि किसान के लिए खेतों की रखवाली करना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। कई इलाकों में आवारा पशु और जंगली जानवर खड़ी फसल को तहस-नहस कर देते हैं। ठंड के मौसम में रात-रातभर जागने, खेतों की रखवाली करने से कई किसानों की तबीयत बिगड़ जाती है। सर्द रात में जब सभी लोग रजाइयों में दुबके हुए चैन की नींद लेते हैं, उस दौरान खेतों में टॉर्च लेकर घूमना बहुत मुश्किल होता है। कुछ इलाकों में जहां जंगली जानवर, जहरीले जीव ज्यादा विचरण करते हैं, वहां किसान उनके शिकार हो जाते हैं। जब खेतों की रखवाली में इतनी मुश्किलें होंगी तो किसान यही सोचेगा कि उसके बच्चे इस काम में न आएं तो ही अच्छा है। इससे शहरों की ओर पलायन बढ़ता है। अगर ड्रोन को किसान का साथी बना दिया जाए तो उसकी कई मुश्किलें दूर  हो जाएंगी। यही नहीं, फसल पर खाद-दवाई छिड़कने, भोजन, दूध, फल, सब्जियों, चाय और जरूरी सामान पहुंचाने जैसे कामों में ड्रोन बड़ी क्रांति ला सकता है। चिकित्सा और ऑनलाइन शॉपिंग जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए सभी सरकारों को मिल-जुलकर काम करना चाहिए।

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