लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में क्या बोले प्रधानमंत्री?

'आजादी की जंग में जिस-जिस ने बलिदान दिया है, त्याग किया है, तपस्या की है, उन्हें आदरपूर्वक नमन करता हूं'

लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में क्या बोले प्रधानमंत्री?

प्रधानमंत्री ने कहा​ कि आज झुग्गी-झोपड़ी से निकले बच्चे दुनिया में पराक्रम दिखा रहे हैं

नई दिल्ली/​दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराने के बाद देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इतना बड़ा देश, 140 करोड़ मेरे भाई-बहन, मेरे परिवारजन ... आज आजादी का पर्व मना रहे हैं। मैं देश के कोटि-कोटि जन को, देश और दुनिया में भारत को प्यार करने वाले, भारत का सम्मान करने वाले कोटि-कोटि जन को इस महान पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

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प्रधानमंत्री ने कहा​ कि देश की आजादी की जंग में जिस-जिस ने बलिदान दिया है, त्याग किया है, तपस्या की है, मैं उन्हें आदरपूर्वक नमन, उनका अभिनंदन करता हूं। इस बार प्राकृतिक आपदा ने देश के अनेक हिस्सों में अकल्पनीय संकट पैदा किए। जिन परिवारों ने इस संकट को सहन किया है, मैं उन सभी परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं। राज्य-केंद्र सरकार मिलकर उन सभी संकटों से मुक्त होकर तेजी से विकास की ओर आगे बढ़ेंगी, यह विश्वास दिलाता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा​ कि पूर्वोत्तर में विशेषकर मणिपुर में, जो हिंसा का दौर चला, कई लोगों को अपना जीवन खोना पड़ा, मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ। लेकिन कुछ दिनों से लगातार शांति की खबरें आ रही हैं। देश मणिपुर के लोगों के साथ है, मणिपुर के लोगों ने कुछ दिनों से जो शांति बनाए रखी है, उसको आगे बढ़ाए। शांति से ही समाधान का रास्ता निकलेगा। केंद्र और राज्य की सरकार मिलकर उन समस्याओं के समाधान के लिए भरपूर प्रयास कर रही हैं और करती रहेंगी।

प्रधानमंत्री ने कहा​ कि विश्वभर में भारत की चेतना के प्रति, भारत की सामर्थ्य के प्रति एक नया आकर्षण, एक नया विश्वास पैदा हुआ है। यह प्रकाशपुंज भारत से उठा है, जो विश्व अपने लिए ज्योति के रूप में देख रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा​ कि हम जो भी करेंगे, जो भी कदम उठाएंगे, जो फैसला लेंगे, वह अगले एक हजार साल तक अपनी दिशा निर्धारित करने वाला है, भारत के भाग्य को लिखने वाला है। इस कालखंड में कोई भूभाग ऐसा नहीं था, कोई समय ऐसा नहीं था, जब भारत के वीरों ने देश की आजादी की लौ को जलाए न रखा हो।

देश की नारीशक्ति, देश के किसान, देश के मजदूर, कोई भी ऐसा नहीं था, जो आजादी के सपने को लेकर जीता न हो। जनचेतना का वह व्यापक रूप, त्याग और तपस्या का वह व्यापक रूप, जन-जन के अंदर विश्वास जगाने वाला वह पल, आखिरकार 1947 में देश आजाद हुआ।

प्रधानमंत्री ने कहा​ कि आज झुग्गी-झोपड़ी से निकले बच्चे दुनिया में पराक्रम दिखा रहे हैं। छोटे-छोट गांव, कस्बे के नौजवान, हमारे बेटे-बेटियां आज कमाल दिखा रहे हैं। मैं देश के नौजवानों को कहना चाहता हूं, आज अवसरों की कमी नहीं है। आप जितने अवसर चाहेंगे, यह देश आसमान से ज्यादा अवसर देने की सामर्थ्य रखता है।

प्रधानमंत्री ने कहा​ कि मैं माताओं-बहनों, बेटियों से कहना चाहता हूं कि देश आज मेरी माताओं-बहनों की सामर्थ्य से आगे बढ़ा है। आज देश प्रगति की राह पर चल पड़ा है तो मेरे किसान भाई-बहनों का पुरुषार्थ है, यह आप ही का परिश्रम है कि देश आज कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा​ कि आज जी20 होस्ट करने का भारत को अवसर मिला है। पिछले एक साल से देश के हर कोने में जिस प्रकार से जी20 के अनेक आयोजन व कार्यक्रम हुए हैं, उसने देश के सामान्य मानव की सामर्थ्य से दुनिया को ​परिचित करवा दिया है। भारत की विविधता को दुनिया अचंभे से देख रही है, जिस कारण भारत का आकर्षण बढ़ा है।

प्रधानमंत्री ने कहा​ कि मैं साफ-साफ देख रहा हूं कि कोविड के बाद एक नई वैश्विक व्यवस्था, एक नया भू-राजनीतिक समीकरण बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। भू-राजनीतिक समीकरण की सारी व्याख्याएं बदल रही हैं। बदलते हुए विश्व को आकार देने में आज मेरे 140 करोड़ देशवासियों की सामर्थ्य नजर आ रही है।

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