'उम्मीद' से ज्यादा
जब पाक के खाते में डॉलर आने शुरू हो जाएंगे तो उसका एक हिस्सा निश्चित रूप से आतंकवाद पर खर्च होगा

हमारे सुरक्षा बलों पर कुछ हमले जरूर हुए हैं, लेकिन जवाबी कार्रवाई में बड़ी संख्या में आतंकवादी ढेर हुए हैं
डूबते पाकिस्तान को आखिरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का सहारा मिल ही गया। उसकी सरकार और आईएमएफ के बीच तीन अरब डॉलर का समझौता हो गया। इस समझौते तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान को बड़ा इंतजार करना पड़ा। बल्कि यह कहा जाए तो ज्यादा उचित रहेगा कि उसे बहुत तरसाया गया। इस बीच डॉलर के मुकाबले उसकी मुद्रा में भारी गिरावट आ चुकी है, जिससे विदेशी कर्जों की देनदारी और ब्याज की रकम बढ़ गई है।
पाकिस्तान उक्त सहायता को हालिया वैश्विक झटकों से निपटने और अर्थव्यवस्था को स्थिरता देने के लिए राहत के रूप में देख रहा है। पाक के बारे में यह प्रसिद्ध है कि जब उसे बड़ी आर्थिक सहायता या कर्ज मिल जाता है तो दुबई व लंदन में संपत्तियों की कीमत बढ़ जाती है। साथ ही एलओसी पर आतंकी गतिविधियों में इजाफा हो जाता है। यह इसलिए, क्योंकि उस सहायता/कर्ज का एक हिस्सा तो पाक फौज के उच्चाधिकारी हड़प कर विदेशों में इमारतें खड़ी कर लेते हैं, वहीं एक हिस्सा आतंकवाद को परवान चढ़ाने पर खर्च कर दिया जाता है।इसके तहत आतंकवादी संगठनों को फंडिंग, प्रशिक्षण और हथियार आदि मुहैया कराए जाते हैं और उनमें से कुछ आतंकवादियों को चुनकर एलओसी की ओर रवाना कर दिया जाता है। लिहाजा यह भारत के लिए अधिक सतर्कता बरतने का भी समय है। इस समय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। यह पड़ोसी देश आयात खर्चों का बिल चुकाने में बहुत देरी कर रहा है। लोगों का विश्वास पाकिस्तानी रुपए से घट गया है और वे अधिकाधिक डॉलर इकट्ठा करना चाहते हैं। पाक पर डिफाल्ट होने का खतरा भी मंडरा रहा है।
इन तमाम परेशानियों के बावजूद जब पाक के खाते में डॉलर आने शुरू हो जाएंगे तो उसका एक हिस्सा निश्चित रूप से आतंकवाद पर खर्च होगा। हालांकि पाकिस्तान के गंभीर आर्थिक संकट और भारतीय एजेंसियों की सख्ती के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों की फंडिंग पर लगाम लगी है। जो तत्त्व इनमें लिप्त रहे हैं, उन पर शिकंजा कसा गया है। जो पत्थरबाज कभी दनदनाते फिरते थे, वे अब दिखाई नहीं देते हैं।
हमारे सुरक्षा बलों पर कुछ हमले जरूर हुए हैं, लेकिन जवाबी कार्रवाई में बड़ी संख्या में आतंकवादी ढेर हुए हैं। अब जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इसके लिए तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को भगवती नगर शिविर से हरी झंडी दिखाकर रवाना कर दिया, जिसमें करीब 3,400 यात्री शामिल थे। वहीं, स्वतंत्रता दिवस समारोह में भी डेढ़ महीना बाकी है। पाकिस्तान हमेशा इन आयोजनों को बाधित करने की मंशा रखता है।
अब उसे कुछ डॉलर मिलने वाले हैं तो वह अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आएगा। यह रकम मिलने की उम्मीद में पाकिस्तानी मीडिया में हर्ष की लहर है, लेकिन बड़ा सवाल है कि तीन अरब डॉलर कितने दिन चल पाएंगे?
उसका मीडिया ही कह रहा है कि अर्थव्यवस्था संकट से गुजर रही है ... पिछले कई साल से तीव्र गिरावट की स्थिति है ... इससे गरीब जनता पर अनियंत्रित महंगाई के रूप में दबाव आ गया है ... बड़ी संख्या में लोगों के लिए गुजारा करना लगभग असंभव हो गया है। अब तीन अरब डॉलर का वित्त पोषण नौ महीने के लिए है, जो पाक की उम्मीद से ज्यादा है। वह वर्ष 2019 में हुए समझौते के तहत 6.5 अरब डॉलर के पैकेज में से 2.5 अरब डॉलर का इंतजार कर रहा था। जब पाक को 'उम्मीद' से ज्यादा मिलेगा तो उसका 'दुरुपयोग' होने की आशंका भी ज्यादा होगी।
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