मधुमेह का जाल

स्वस्थ तन, मन और जीवन चाहिए तो हमें प्रकृति की ओर लौटना ही होगा

मधुमेह का जाल

आखिर क्या वजह है कि मधुमेह का रोग महानगरों से लेकर कस्बों और गांवों तक अपनी पकड़ बढ़ाता जा रहा है?

मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक नए विश्लेषण में यह दावा हैरान करने वाला है कि साल 2050 तक दुनियाभर में 1.3 अरब लोग मधुमेह से पीड़ित हो सकते हैं। अभी यह आंकड़ा करीब 50 करोड़ है। इस तरह अगले 30 साल में मधुमेह पीड़ितों की संख्या दोगुनी होने की आशंका है। इस आंकड़े पर सवाल उठाए जा सकते हैं, लेकिन यह सच है कि आज कई युवाओं में भी मधुमेह के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। कुछ दशक पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। 

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आखिर क्या वजह है कि मधुमेह का रोग महानगरों से लेकर कस्बों और गांवों तक अपनी पकड़ बढ़ाता जा रहा है? यह जानना मुश्किल नहीं है। आज जीवनशैली, खानपान, कामकाज ... के तौर-तरीकों में बहुत बदलाव आ चुका है। शारीरिक श्रम कम होता जा रहा है। रसायनों के अंधाधुंध छिड़काव से तैयार खाद्यान्न में गुणवत्ता का अभाव है। फिर पढ़ाई, नौकरी में प्रतिस्पर्धा और दबाव बहुत बढ़ गया है। 

आयुर्वेद जैसे जीवन विज्ञान पर गर्व तो बहुत करते हैं, लेकिन उस पर अमल करने वाले कम रह गए हैं। देर रात तक जागना, मोबाइल फोन में व्यस्त रहना, सुबह देर से उठना, गरिष्ठ पदार्थों का सेवन ...  इन सबसे शरीर रोगों का घर बनता जा रहा है। कोरोना काल में लोगों का रुझान योग, प्राणायाम, ध्यान, व्यायाम, सात्विक भोजन की ओर हुआ था। ब्रह्म मुहूर्त में उठना, रात 10 बजे तक सो जाना ... जीवन के लिए ईश्वर का आभारी होना ... अब इन सबका लोप होता जा रहा है। तनाव बढ़ गया है। रिश्तों में तनाव, मन में तनाव ... हर कोई एक अंतर्द्वंद्व से जूझ रहा है।

उक्त शोध के मुख्य लेखक एवं यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के स्कूल ऑफ मेडिसिन में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन (आईएचएमई) में मुख्य शोध विज्ञानी लियान ओंग का यह कहना उचित है कि जिस गति से मधुमेह के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है, वह न केवल चिंताजनक है, बल्कि दुनिया में प्रत्येक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए चुनौतीपूर्ण भी है। 

सभी वैश्विक मामलों में 96 प्रतिशत मामले ‘टाइप 2’ मधुमेह (टी2डी) के हैं। सर्वाधिक व्यापक गणनाओं की मानें तो रोग की मौजूदा वैश्विक प्रसार दर 6.1 प्रतिशत है, जो इसे मृत्यु एवं निशक्तता के 10 प्रमुख कारणों में से एक बनाती है। अध्ययन यह भी कहता है कि क्षेत्रीय स्तर पर यह दर उत्तर अमेरिका और पश्चिम एशिया में सबसे अधिक 9.3 प्रतिशत है, जो साल 2050 तक बढ़कर 16.8 होने की आशंका है। 

वहीं, लातिन अमेरिका एवं कैरेबियाई देशों में यह दर 11.3 प्रतिशत है। निश्चित रूप से यह बहुत बड़ा आंकड़ा है। भारत अपनी विशाल जनसंख्या के साथ उन देशों में शामिल है, जहां मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस रोग पर काबू पाने का उपाय क्या है? निस्संदेह आज बाजार में ऐसी कई औषधियां हैं, जो मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी हैं, लेकिन सबसे अच्छा उपाय तो बचाव ही है। अपनी दिनचर्या ऐसी बनाएं कि वह प्रकृति के अनुकूल हो। विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार योग, प्राणायाम और शारीरिक श्रम को जीवन का हिस्सा बनाएं। 

इसके साथ खानपान भी सात्विक और संतुलित होना चाहिए। अगर कामकाज की वजह से सुबह बहुत जल्दी नहीं उठ सकते तो सूर्योदय से कुछ पहले अवश्य उठ जाएं। स्वस्थ तन, मन और जीवन चाहिए तो हमें प्रकृति की ओर लौटना ही होगा।

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